भिंड। मध्यप्रदेश में जब यूरिया खाद को लेकर किल्लत के बीच 37 किसानों को 10 हजार बोरी खाद वितरित करने का मामला सामने आया है. जिसके बाद सीएम शिवराज ने भी यूरिया को लेकर अधिकारियों को कई निर्देश दिए. इसके बावजूद जिले में यूरिया खाद की बंदरबांट हो रही है. बता दें कि खुद को किसानों की सरकार बताने वाली बीजेपी सरकार ने सोसाइटियों से उचित दाम पर यूरिया उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है. लेकिन हकीकत यह है कि किसानों को एक या दो बोरी खाद के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है. कभी-कभी तो कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है. वहीं सोसायटी के बाहर खाद उपलब्ध न होने के बैनर तक टांग दिए गए हैं. वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहरबानी से करीब 450 मीट्रिक टन खाद महज कुछ ही किसानों को देने का मामला भिण्ड जिले में सामने आया है.
जिले में इस बार 37 किसानों ने अधिकारियों-कर्मचारियों की मेहरबानी से 10 हजार बोरी से अधिक खाद खरीद लिया. जिसमें से मार्केटिंग सोसायटी गोहद, मार्केटिंग सोसायटी मेहगांव, जैन खाद भंडार लहार, चौहान खाद भंडार गोहद, पंडित खाद भंडार, किसान सेवा केंद्र ने 20 किसानों को 9 हजार बोरी खाद बेच दिया. यूरिया के लिए भिण्ड जिले के किसान खाद के लिए दरदर भटक रहे हैं. शासकीय संस्थओं पर खाद नहीं होने के बेनर देखकर किसान खाद आने के इंतजार में सोसाइटियों के चक्कर काट रहे हैं. वहीं प्राइवेट दुकानदार भी खाद नहीं होने की बात कहकर किसानों को चलता कर रहे हैं.
लग रहीं लंबी कतारें, फिर भी नहीं मिल रहा खाद
मेहगांव की मार्केटिंग सोसाइटी के बाहर हर रोज किसानों की लंबी कतारें लगी रहती है. इसके बावजूद किसानों को खाद नहीं मिल रहा है. हर बार खाद न होने की बात कह कर चलता कर दिया जाता है. एक किसान ने बताया के बीते तीन दिन से वे लगातार आर हे हैं. सुबह से लाइन में लगते है, फिर भी खाद नहीं मिल रहा है. मामले में ईटीवी भारत ने सोसाइटी प्रबंधक से बात की, तो उन्होंने कहा कि लगातार खाद का वितरण किया जा रहा है, लेकिन शनिवार को खाद खत्म हो गया था. जिसके लिए आर्डर लगा दिया गया है और एक दो दिन में ही बिक्री दोबारा शुरू हो जाएगी.
एक ही आधार कार्ड पर दिया हजारों बोरी खाद
सरकार कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने एक नियम बनाया है. जिसके तहत छोटे किसानों को दो बोरी और बड़े किसनों को पांच बोरी खाद दिया जाता है. इसके बावजूद एक ही आधार कार्ड पर हजार हजार बोरी खाद दे दिया गया. जिसमें कई आधार कार्ड तो विक्रय केन्द्र के कर्मचारियों के ही बताए जा रहे हैं. हालांकि इस साल सरकार खाद वितरण को लेकर आधार कार्ड के माध्यम से लगातार नजर बनाएं हुए हैं. इसी से इस बात का खुलासा हुआ है कि सिर्फ 37 किसानों को 10 हजार से ज्यादा बोरी खाद दे दिया गया.
आशंका है कि यदि मामले की जांच की गई, तो कई घोटाले उजागर हो सकते हैं. कलेक्टर ने भी इस बात को लेकर आश्वस्त किया है कि मामले की जांच करवाई जाएगी. वहीं जांच में सामने आ सकता है कि यह खाद जरूरतमंद किसानों ने खरीदा है या कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों ने खरीदा है. बता दें कि मामले को लेकर प्रमुख सचिव का एक पत्र भी आया है, जिसमें खाद की कालाबाजारी का जिक्र है. वहीं कलेक्टर वीरेंद्र रावत ने जिले के सभी एसडीएम और उपसंचालक कृषि को जांच के आदेश दिए हैं.