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ग्रामीणों ने बारिश के लिए भगवान भोलेनाथ को पानी में डुबाया, फिर मंदिर में जड़ा ताला

बारिश के लिए टोटका कोई नई बात नहीं है, अषाढ़ मास की शुरुआत से ही ऐसे टोने टोटकों का चलन तेज हो जाता है, जिसके करने से बारिश होने की संभावना प्रबल हो जाती है. हालांकि, विज्ञान ऐसे टोने टोटकों को सिरे से खारिज कर देता है.

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Published : Jul 29, 2019, 3:31 PM IST

मंदिर में पूजा- अर्चना करते श्रद्धालु

बैतूल। कभी बिन बारिश जीवन वीरान हो जाता है तो कभी अति बारिश से जिंदगी बेहाल हो जाती है. कभी पानी के अभाव में फसलों के साथ किसानों के चेहरे भी मुरझा जाते हैं तो कभी बाढ़ से अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं. लिहाजा पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों ने इंद्रदेव को मनाने के लिए पुराने नुस्खों को आजमाया, जो सच भी साबित हुए.


शाहपुरा ब्लॉक में बारिश के लिए ग्रामीणों ने दुर्गा चौक स्थित प्राचीन शिव मंदिर में पहुंचकर शिवलिंग को पानी में डूबा दिया, फिर मंदिर में ताला जड़ दिया. उसके बाद पांच-छह दिन तक भगवान भोलेनाथ कैद रहते हैं, इस बीच बारिश हो जाने पर पहले ही मंदिर का ताला खोल दिया जाता है. नहीं तो पांच-छह दिन बाद मंदिर का ताला खोला जाता है. उनका मानना है कि ऐसा करने से शिव की जटा में विराजमान मोक्षदायिनी मां गंगा की कृपा से बारिश हो जाएगी.
वहीं, ग्रामीणों का पुराना नुस्खा रंग लाया और इस टोटके के दो दिन बाद ही जोरदार बारिश हुई. आलम ये है कि अब बारिश रोकने का ग्रामीमों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा है क्योंकि भरी बारिश से नदी-नाले उफान पर आ गये हैं. लोगों की गृहस्थी बर्बाद हो रही है. लगभग 4 से 5 घंटे तक भोपाल-नागपुर हाइवे भी बंद रहा.

बैतूल। कभी बिन बारिश जीवन वीरान हो जाता है तो कभी अति बारिश से जिंदगी बेहाल हो जाती है. कभी पानी के अभाव में फसलों के साथ किसानों के चेहरे भी मुरझा जाते हैं तो कभी बाढ़ से अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं. लिहाजा पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों ने इंद्रदेव को मनाने के लिए पुराने नुस्खों को आजमाया, जो सच भी साबित हुए.


शाहपुरा ब्लॉक में बारिश के लिए ग्रामीणों ने दुर्गा चौक स्थित प्राचीन शिव मंदिर में पहुंचकर शिवलिंग को पानी में डूबा दिया, फिर मंदिर में ताला जड़ दिया. उसके बाद पांच-छह दिन तक भगवान भोलेनाथ कैद रहते हैं, इस बीच बारिश हो जाने पर पहले ही मंदिर का ताला खोल दिया जाता है. नहीं तो पांच-छह दिन बाद मंदिर का ताला खोला जाता है. उनका मानना है कि ऐसा करने से शिव की जटा में विराजमान मोक्षदायिनी मां गंगा की कृपा से बारिश हो जाएगी.
वहीं, ग्रामीणों का पुराना नुस्खा रंग लाया और इस टोटके के दो दिन बाद ही जोरदार बारिश हुई. आलम ये है कि अब बारिश रोकने का ग्रामीमों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा है क्योंकि भरी बारिश से नदी-नाले उफान पर आ गये हैं. लोगों की गृहस्थी बर्बाद हो रही है. लगभग 4 से 5 घंटे तक भोपाल-नागपुर हाइवे भी बंद रहा.

Intro:बैतूल ।।

बारिश नहीं होने और सूखे के हालात निर्मित होने से नाराज श्रद्धालुओं ने प्राचीन शिव मंदिर में पहुंचकर 23 जुलाई को शिवलिंग को पानी डूबोकर ताला जड़ दिया था। श्रद्धालुओं का कहना था कि जब तक बारिश नहीं होगी तब तक मंदिर का ताला नहीं खोला जाएगा। श्रद्धालु मंदिर में ताला लगा दिए जाने से बाहर ही पूजा अर्चना कर लौट रहे थे। पांच से छह दिनों तक ताले की कैद में रहने वाले भगवान भोलेनाथ को रविवार को कैद से आजाद किया गया। वह भी इसलिए क्यों की बीते 3 दिनों से क्षेत्र में झमाझम बारिश हो रही है इसलिए श्रद्धालुओं ने मंदिर का ताला खोल दिया और पूजा अर्चना की। Body:शाहपुर में बारिस नही होने के कारण मंगलवार को दुर्गा चौक स्थित शिव मंदिर में गेट पर ताला लगा कर शिवलिंग को पानी में डूबा दिया था। पानी में डूबने के 2 दिन तो बाद ही नगर में जोरदार बारिस होना प्राम्भ हो गई थी। नागरिको का कहना है की जब तक बारिस नहीं होती शिवलिंग को पानी में में ही रखेंगे। लोगो की आस्था पर नगर में बारिस का दौर शुरू हो गया है, पिछले कुछ दिन से तेज बारिश हो रही है वही भौंरा नदी और सुखी नदी पर पानी आने से लगभग 4-5 घंटे भोपाल नागपुर हाइवे बंद रहा।

रविवार सुबह शंकर मंदिर के गेट का ताला खोल कर पूजा प्रारम्भ की। राजू राठौर ने बताया की ताला खोल दिया है। रविवार दिन भर मंदिर में अभिषेक कर विधिवत पूजा प्रारम्भ की गई। श्रद्धालुओं की आस्था के आगे भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न होना पड़ा और क्षेत्र में बारिश का दौर शुरू हो गया है। बारिश नहीं होने से जहां किसानों की फसल मुरझा रही थी वहीं पीने के पानी की भी समस्या खड़ी होने लगी थी।
Conclusion:लोगो ने बताया कि बारिश नहीं होने से इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। यही वजह है कि शिवलिंग को पानी में डूबोकर मंदिर में ताला लगाने को मजबूर होना पड़ा था।

बाइट -- नंदकिशोर सराठे ( श्रद्धालु )
बाइट -- राजू राठौर ( पुजारी )

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