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एंबुलेंस नहीं मिलने से बीमार प्रसूता की हुई मौत, सीएमएचओ ने कही ये बात - Ghodongri block

बैतूल के भंडारपानी गांव में महिला की डिलीवरी के बाद प्रसूता को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीण उसे झोली में डालकर सड़क तक लाए थे, लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली. जिसके चलते महिला की मौत हो गई.

Villagers carrying maternity in bag
झोली में प्रसूता को ले जाते ग्रामीण
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Published : Sep 12, 2020, 2:49 PM IST

बैतूल। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का भंडारपानी गांव 1800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बसा है. यहां जाने के लिए रास्ता नहीं है. भंडारपानी की जग्गो बाई की डिलीवरी के तीन दिन पहले गांव में हुई थी. जिसे डिलीवरी होने के बाद अचानक दर्द होने और एंबुलेंस के नहीं पहुंचने पर महिला की मौत हो गई थी. इस मामले में सीएमएचओ डॉक्टर प्रदीप धाकड़ ने कहा कि यहां पहुंचविहीन मार्ग है, जहां आदिवासी लोग अवैध रुप से रह रहे है. जिसकी उन्होंने जानकारी ली है.

सीएमएचओ प्रदीप धाकड़

ये है पूरा मामला-

भंडारपानी की जग्गो बाई ने बेटी को जन्म दिया था. वहीं जग्गो बाई को डिलीवरी होने के बाद 9 सितंबर को दर्द हाे रहा था. जिसके बाद गांव के लाेग लकड़ी पर कपड़े की झोली बनाकर उसे कंधों पर 1800 फीट नीचे इमलीखेड़ा लेकर आए. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने दोपहर को 108 को फोन किया था. जिसके बाद भोपाल से सूचना मिली कि घोड़ाडोंगरी की एंबुलेंस ढाई घंटे बाद मिल पाएगी.

इसके बाद गांव के सरपंच साबू लाल, सचिव मालेकार सरकार ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था की और घोड़ाडोंगरी अस्पताल के लिए महिला व परिजनों को रवाना किया, लेकिन 10 किमी दूर रास्ते में प्रसूता महिला की मौत हो गई. परिजन महिला को लेकर वापस आ गए और कपड़े की झोली बनाकर महिला के शव को गांव ले गए, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया.

श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा उन्होंने 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. पीड़िता एंबुलेंस का इंतजार करती रही. एंबुलेंस समय पर आ जाती तो शायद महिला की मौत नहीं होती. इस मौत का कौन जिम्मेदार है. अब तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा. सरकार को पीड़ित परिवार को राहत राशि देना चाहिए. ताकि परिवार चल सके.

ये भी पढ़े- एंबुलेंस की तलाश में बीमार प्रसूता काे झोली में डालकर लाए लोग, महिला की मौत

सीएमएचओ डॉक्टर प्रदीप धाकड़ ने कहा कि ये आदिवासी परिवार अवैध रूप से भंडारपानी गांव में रहते है, जहां पहुंचमार्ग नहीं है. महिला की तबियत बिगड़ने पर ग्रामीणों ने 108 को फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस दूसरे मरीज को लेने गई थी, जिसके कारण पहुंच नहीं पाई. फिलहाल उन्होंने इसकी जांच करवाई है.

बैतूल। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का भंडारपानी गांव 1800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बसा है. यहां जाने के लिए रास्ता नहीं है. भंडारपानी की जग्गो बाई की डिलीवरी के तीन दिन पहले गांव में हुई थी. जिसे डिलीवरी होने के बाद अचानक दर्द होने और एंबुलेंस के नहीं पहुंचने पर महिला की मौत हो गई थी. इस मामले में सीएमएचओ डॉक्टर प्रदीप धाकड़ ने कहा कि यहां पहुंचविहीन मार्ग है, जहां आदिवासी लोग अवैध रुप से रह रहे है. जिसकी उन्होंने जानकारी ली है.

सीएमएचओ प्रदीप धाकड़

ये है पूरा मामला-

भंडारपानी की जग्गो बाई ने बेटी को जन्म दिया था. वहीं जग्गो बाई को डिलीवरी होने के बाद 9 सितंबर को दर्द हाे रहा था. जिसके बाद गांव के लाेग लकड़ी पर कपड़े की झोली बनाकर उसे कंधों पर 1800 फीट नीचे इमलीखेड़ा लेकर आए. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने दोपहर को 108 को फोन किया था. जिसके बाद भोपाल से सूचना मिली कि घोड़ाडोंगरी की एंबुलेंस ढाई घंटे बाद मिल पाएगी.

इसके बाद गांव के सरपंच साबू लाल, सचिव मालेकार सरकार ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था की और घोड़ाडोंगरी अस्पताल के लिए महिला व परिजनों को रवाना किया, लेकिन 10 किमी दूर रास्ते में प्रसूता महिला की मौत हो गई. परिजन महिला को लेकर वापस आ गए और कपड़े की झोली बनाकर महिला के शव को गांव ले गए, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया.

श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा उन्होंने 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. पीड़िता एंबुलेंस का इंतजार करती रही. एंबुलेंस समय पर आ जाती तो शायद महिला की मौत नहीं होती. इस मौत का कौन जिम्मेदार है. अब तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा. सरकार को पीड़ित परिवार को राहत राशि देना चाहिए. ताकि परिवार चल सके.

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सीएमएचओ डॉक्टर प्रदीप धाकड़ ने कहा कि ये आदिवासी परिवार अवैध रूप से भंडारपानी गांव में रहते है, जहां पहुंचमार्ग नहीं है. महिला की तबियत बिगड़ने पर ग्रामीणों ने 108 को फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस दूसरे मरीज को लेने गई थी, जिसके कारण पहुंच नहीं पाई. फिलहाल उन्होंने इसकी जांच करवाई है.

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