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एमपी अजब है! पेड़ के नीचे बनाया क्वारेंटाइन सेंटर, पैदल घर पहुंचे 17 मजदूरों को रखा - मजदूरों का पलायन

बैतूल के जामू गांव में महाराष्ट्र से पैदल वापस आए 17 मजदूरों को आम के पेड़ के नीचे क्वारेंटाइन किया गया है.

Quarantine done under mango tree by screening 17 laborers from Maharashtra in betul
पेड़ के नीचे क्वारेंटाइन सेंटर
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Published : Apr 25, 2020, 5:09 PM IST

बैतूल। कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा मजदूर प्रभावित हैं और लॉडाउन का एक महीने बीत जाने के बाद भी मजदूरों का पलायन जारी है. इसी कड़ी में 17 मजदूर पैदल चलकर महाराष्ट्र से भीमपुर तहसील के अपने गांव जामू पहुंचे, जहां उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद एक आम के पेड़ के नीचे क्वारंटाइन कर दिया गया है. इस दौरान उन्हें 14 दिनों तक किसी से भी मिलने-जुलने से मना किया गया है.

ग्राम पंचायत जामू के पंचायत सचिव रमेश येवले ने बताया कि सभी मजदूर महाराष्ट्र से आए हैं, इसलिए उन्हें ग्रामीणों से अलग रहने की हिदायत दी गई है. येवले ने बताया कि सभी मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के उपरांत उन्हें स्कूल अथवा पंचायत भवन में रूकवाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन गर्मी और पानी की समस्या के चलते मजदूरों ने स्वयं के खेत में स्थित आम के पेड़ के नीचे रहने का निर्णय लिया क्योंकि खेत में पेड़ की छाया भी है और पर्याप्त पानी भी है.

ये सभी महाराष्ट्र मजदूरी करने गए थे, लेकिन काम बंद हो जाने के कारण उनके सामने पेट भरने का संकट पैदा हो गया. जिसके चलते वे पैदल ही गांव के लिए निकल पड़े. इस दौरान किसी सज्जन ने उन्हें वरूड़ तक माल वाहक वाहन में लाकर छोड़ दिया. वरूड़ से ये लोग पैदल ही गांव तक पहुंचे हैं.

बैतूल। कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा मजदूर प्रभावित हैं और लॉडाउन का एक महीने बीत जाने के बाद भी मजदूरों का पलायन जारी है. इसी कड़ी में 17 मजदूर पैदल चलकर महाराष्ट्र से भीमपुर तहसील के अपने गांव जामू पहुंचे, जहां उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद एक आम के पेड़ के नीचे क्वारंटाइन कर दिया गया है. इस दौरान उन्हें 14 दिनों तक किसी से भी मिलने-जुलने से मना किया गया है.

ग्राम पंचायत जामू के पंचायत सचिव रमेश येवले ने बताया कि सभी मजदूर महाराष्ट्र से आए हैं, इसलिए उन्हें ग्रामीणों से अलग रहने की हिदायत दी गई है. येवले ने बताया कि सभी मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के उपरांत उन्हें स्कूल अथवा पंचायत भवन में रूकवाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन गर्मी और पानी की समस्या के चलते मजदूरों ने स्वयं के खेत में स्थित आम के पेड़ के नीचे रहने का निर्णय लिया क्योंकि खेत में पेड़ की छाया भी है और पर्याप्त पानी भी है.

ये सभी महाराष्ट्र मजदूरी करने गए थे, लेकिन काम बंद हो जाने के कारण उनके सामने पेट भरने का संकट पैदा हो गया. जिसके चलते वे पैदल ही गांव के लिए निकल पड़े. इस दौरान किसी सज्जन ने उन्हें वरूड़ तक माल वाहक वाहन में लाकर छोड़ दिया. वरूड़ से ये लोग पैदल ही गांव तक पहुंचे हैं.

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