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पूर्णा जलाशय किसानों के लिए बना मुसीबत का सबब, मुआवजा नहीं मिलने से परेशान ग्रामीण

किसानों की जमीन पर बना पूर्णा जलाशय किसानों के लिए परेशानी की सबब बनता जा रहा है. एक तरफ किसान जमीन का वाजिब मुआवजा नहीं मिलने से परेशान हैं, तो वहीं डैम के बढ़ते जलस्तर के चलते फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो रही है.

पूर्णा जलाशय किसानों के लिए बना मुसीबत का सबब
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Published : Jul 31, 2019, 1:38 PM IST

बैतूल। जिले की भैंसदेही तहसील में नवनिर्मित पूर्णा जलाशय किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है. किसानों की मानें तो पहले किसानों को बांध निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि का वाजिब मुआवजा नहीं दिया गया. वहीं लगातार बारिश से डैम के बढ़ते जलस्तर के चलते फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो रही है.

पूर्णा जलाशय किसानों के लिए बना मुसीबत का सबब


भैंसदेही ब्लॉक मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर पूर्णा नदी पर बने जलाशय में बारिश की वजह से पानी का भराव तेजी से हो रहा है. जलाशय के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई भूमि का शासकीय दर पर 11 करोड़ 24 लाख रुपए का मुवावजा निर्धारित किया गया था, लेकिन डूब क्षेत्र में आने वाले कई किसानों ने इसे कम बताते हुए लेने से इंकार कर दिया था. विभागीय जानकारी के हिसाब से 63 किसानों से भूमि अधिग्रहित कर बनाए गए डैम के 63 किसानों में से 50 किसानों से भूमि की रजिस्ट्री करवाकर उन्हें मुआवजा दिया जा चुका है. वहीं 13 किसानों के पारिवारिक विवाद के चलते उनके प्रकरण हल नहीं हो पाए हैं.

बैतूल। जिले की भैंसदेही तहसील में नवनिर्मित पूर्णा जलाशय किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है. किसानों की मानें तो पहले किसानों को बांध निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि का वाजिब मुआवजा नहीं दिया गया. वहीं लगातार बारिश से डैम के बढ़ते जलस्तर के चलते फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो रही है.

पूर्णा जलाशय किसानों के लिए बना मुसीबत का सबब


भैंसदेही ब्लॉक मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर पूर्णा नदी पर बने जलाशय में बारिश की वजह से पानी का भराव तेजी से हो रहा है. जलाशय के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई भूमि का शासकीय दर पर 11 करोड़ 24 लाख रुपए का मुवावजा निर्धारित किया गया था, लेकिन डूब क्षेत्र में आने वाले कई किसानों ने इसे कम बताते हुए लेने से इंकार कर दिया था. विभागीय जानकारी के हिसाब से 63 किसानों से भूमि अधिग्रहित कर बनाए गए डैम के 63 किसानों में से 50 किसानों से भूमि की रजिस्ट्री करवाकर उन्हें मुआवजा दिया जा चुका है. वहीं 13 किसानों के पारिवारिक विवाद के चलते उनके प्रकरण हल नहीं हो पाए हैं.

Intro:बैतूल ।।

बैतुल जिले की भैसदेही तहसील में नव निर्मित पूर्णा जलाशय कुछ किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। किसानों की माने तो पहले किसान को बांध निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि का वाजिब मुवावजा नही दिया गया । वही बीते हफ्ते से हो रही लगातार बारिस से डेम के बढ़ते जल स्तर के चलते किसान की खड़ी हुई फसल पानी मे डूबकर बर्बाद हो रही है जिसको लेकर किसान चिंतित है । किसानों ने कई बार जिम्मेदार विभाग के अधिकारी से लेकर जिला कलेक्टर तक गुहार लगा ली हैं लेकिन हर बार उसे आश्वासन के अलावा कुछ नही मिला। Body:भैसदेही ब्लॉक मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर पूर्णा नदी पर बना ये पूर्णा जलाशय है बीते हफ्ते से हो रही लगातार बारिश की वजह से जलाशय में पानी का भराव तेजी से हो रहा है । देवलवाड़ा ग्राम और घोघामा ग्राम की पक्की सड़क पूर्ण रूप से डूब डूब चुकी है । 17 करोड रुपए की लागत से निर्मित इस जलाशय से 530 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होगी । वही इस जलाशय के निर्माण के लिए अधिग्रहण की गई भूमि का शासकीय दर पर 11करोड़ 24 लाख रु का मुवावजा निर्धारित किया गया था लेकिन डूब क्षेत्र में आने वाले कई किसानों ने इसे कम बताते हुए लेने से इंकार कर दिया था ।

विभागीय जानकारी के हिसाब से 63 किसानों से भूमि अधिग्रहित कर बनाये गए डैम के 63 किसानों में से 50 किसानों से भूमि की रजिस्ट्री करवाकर उन्हें मुवावजा दिया जा चुका है । तो वही 13 किसानों के पारिवारिक विवाद के चलते उनके प्रकरण हल नही हो पाए है जिन किसानो को मुवावजा नही मिला है उन्हें 15 दिनों मुआवजा दे दिया जाएगा । वाजिब मुवावजा नही मिलने के कारण उन्होंने मुवावजा नही लिया और अपनी भूमि पर फसल बोई थी लेकिन केचमेंट एरिया में जल भराव की वजह से उनकी खड़ी फसल डूब रही है। जिससे उन्हें लाखो का नुकशान उठाना पड़ रहा है।

डूब क्षेत्र में अपनी भूमि पर गन्ना बाड़ी लगाने वाले किसान कि माने तो उसकी पारिवारिक भूमि जो लगभग दस एकड़ थी जो डूब में चली गई है और शासन महज 6 लाख प्रति एकड़ से मुआवजा दे रहा है जो कि पर्याप्त नहीं है । कम से कम 10 से 12 लाख रुपए प्रति एकड़ से मुआवजा मिलना चाहिए एक तो भूमि का मुवावजा नही मिला अब जल भराव की वजह से खेत मे लगी गन्ने और अन्य फसलें खराब हो रही है इससे तकरीबन 50 लाख रुपयों का नुकसान हो जाएगा । Conclusion:वही इरिगेशन विभाग के मुताबिक 13 किसानों को छोड़कर शेष किसानों को मुवावजा दिया जा चुका है बचे हुए किसानों के आपसी बटवारे और सिंचित असिंचित भूमि होने के कारण इनका प्रकरण हल नही हो सका था । इन किसानों के प्रकरणों का निराकरण करके प्रस्ताव बना दिया है । आगामी 15 दिनों में इनको भुगतान कर दिया जाएगा । इन किसानों को पहले ही बता दिया गया था की नाला क्लोज कर दिया गया है आप फसल ना बोए ।

बाईट - सीताराम पीड़ित ( किसान )
बाईट - विपिन वामनकर ( SDO इरिगेशन विभाग )
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