बैतूल। जिले में 22 जुलाई को सांस्कृतिक सेवा समिति (राष्ट्र रक्षा मिशन) तिरंगे का जन्मदिन सादगी पूर्ण तरीके से मनाएगा. दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश के सबसे ज्यादा संक्रमण वाले जिलों में सख्ती और सतर्कता बरतने के निर्देश सोमवार को जारी किए हैं. वहीं बैतूल में भी लगातार कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं, हर दिन जिले में 5 से 10 कोरोना के पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. जिले में संक्रमित मरीजों की संख्या 171 पहुंच चुकी है, ऐसे में होमगार्ड सैनिकों के साथ 22 जुलाई को सामुहिक रूप से मनाए जाने वाले कार्यक्रम को स्थगित करते हुए समिति ने तिरंगे का सादगी पूर्ण तरीके से जन्मदिवस मनाने का निर्णय लिया है.
समिति की अध्यक्ष गौरी पदम ने बताया कि, कार्यक्रम में एसपी सिमाला प्रसाद केक काटकर कार्यक्रम का शुभारंभ करने वाली थीं, लेकिन ये कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया है, उन्होंने देशवासियों से तिरंगे के सम्मान में 22 जुलाई को अपनी व्हाट्सएप डीपी और फेसबुक प्रोफाइल पर तिरंगा लगाने की अपील की है. साथ ही तिरंगा दिवस को घर पर ही रहकर मनाने की अपील की है. समिति के पदाधिकारी और सदस्य केक काटकर तिरंगे का बैच, पुलिस और होमगार्ड सैनिक को बांटेंगे, ताकी इस दिन को यादगार बनाया जा सके.
जाने तिरंगे का इतिहास:
22 जुलाई 1947 को तिरंगा भारत के राष्ट्र ध्वज के रूप मे अंगीकार किया गया था. तिरंगा भारत का राष्ट्रीय ध्वज है, जो तीन रंगों से बना है, इसलिए इसे तिरंगा कहा जाता है. तिरंगे में सबसे ऊपर गहरा केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग बराबर अनुपात में है. तिरंगे को साधारण भाषा में झंडा भी कहा जाता है, झंडे की चौड़ाई और लम्बाई का अनुपात 2:3 है. सफेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है, जिसका प्रारूप अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थापित सिंह के शीर्ष फलक के चक्र में दिखने वाले चक्र की तरह है. चक्र की परिधि लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है, चक्र में 24 तीलियां हैं. देश के आजाद होने के बाद संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 22 जुलाई 1947 में वर्तमान तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया था. सबसे पहले देश के राष्ट्रीय ध्वज की पेशकश 1921 में महात्मा गांधी ने की थी.