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बैतूल में अनोखी परंपरा, रज्जड़ समाज खुद को मानता है पांडवों का वंशज, कांटों की सेज पर खुशी से लेटते हैं लोग

Betul Unique Tradition: एमपी के बैतूल जिले में अपने प्रेम और भक्ति की परिचय लोग अजीब तरीके से देते हैं. बैतूल में रज्जड़ समाज के लोग नुकीली कांटेदार झाड़ियों पर लेटते हैं.

Betul Unique Tradition
कांटो के बिस्तर पर लेटते हैं ग्रामीण
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 19, 2023, 6:38 PM IST

Updated : Dec 19, 2023, 7:19 PM IST

बैतूल में अनोखी परंपरा

बैतूल। बैतूल में रज्जड़ समाज खुद को पांडवों का वंश मानते हैं. रज्जड समाज एक अनोखी परंपरा निभाते आ रहा है. परंपरा के तहत बहन की विदाई के लिए यह लोग कांटों की सेज सजाकर हंसते-हंसते लोट कर नाचते-गाते हैं. इस परंपरा का निर्वहन भगवान के प्रति सच्ची भक्ति और आस्था व्यक्त करने के लिए है. इससे उनके समाज की बलैया कटती है और खुशहाली आती है.

कटीली झाड़ियों पर लेटते हैं लोग: परंपरा को निभाने के लिए रज्जड़ समाज के लोग कई दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. नुकीले और कांटेदार झाड़ियों को तोड़कर लाया जाता है और सेज बनाकर उसकी विधिवत पूजा होती है. फिर बच्चे हो या बूढे़ समाज के सभी लोग इस सेज पर लेटते हुए एक तरफ से दूसरी तरफ चले जाते हैं. इससे उनके शरीर में घाव ही घाव हो जाते हैं. बावजूद इसके दर्द से चींखने चिल्लाने के बजाय ये लोग जश्न मनाते हैं.

Betul Unique Tradition
बैतूल में अनोखी परंपरा

परंपरा के पीछे ये है मान्यता: मान्यता है कि एक बार पांडव पानी के लिए भटक रहे थे. बहुत देर बाद उन्हें एक नाहल समुदाय का एक व्यक्ति दिखाई दिया. पांडवों ने उस नाहल से पूछा कि इन जंगलों में पानी कहां मिलेगा, लेकिन नाहल ने पानी का स्रोत बताने से पहले पांडवों के सामने एक शर्त रख दी. नाहल ने कहा कि, पानी का स्रोत बताने के बाद उनको अपनी बहन की शादी उससे करानी होगी. पांडवों की कोई बहन नहीं थी. इस पर पांडवों ने एक भोंदई नाम की लड़की को अपनी बहन बना लिया और पूरे रीति-रिवाजों से उसकी शादी नाहल के साथ करा दी.

यहां पढ़ें...

पांडवों ने कांटों पर लेटकर दी थी परीक्षा: पर विदाई के वक्त नाहल ने पांडवों को कांटों पर लेटकर अपने सच्चे होने की परीक्षा देने को कहा. इस पर सभी पांडव एक-एक कर कांटों पर लेटे और खुशी-खुशी अपनी बहन को नाहल के साथ विदा किया. इसी परंपरा को निभाते हुए रज्जड़ समाज के ये लोग अगहन मास के दिन पूजा करने के बाद नुकीले कांटों की टहनियां तोड़कर लाते हैं. फिर उन टहनियों की पूजा की जाती है. इसके बाद एक-एक करके ये लोग नंगे बदन इन कांटों पर लेटकर सत्य और भक्ति का परिचय देते हैं.

बैतूल में अनोखी परंपरा

बैतूल। बैतूल में रज्जड़ समाज खुद को पांडवों का वंश मानते हैं. रज्जड समाज एक अनोखी परंपरा निभाते आ रहा है. परंपरा के तहत बहन की विदाई के लिए यह लोग कांटों की सेज सजाकर हंसते-हंसते लोट कर नाचते-गाते हैं. इस परंपरा का निर्वहन भगवान के प्रति सच्ची भक्ति और आस्था व्यक्त करने के लिए है. इससे उनके समाज की बलैया कटती है और खुशहाली आती है.

कटीली झाड़ियों पर लेटते हैं लोग: परंपरा को निभाने के लिए रज्जड़ समाज के लोग कई दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. नुकीले और कांटेदार झाड़ियों को तोड़कर लाया जाता है और सेज बनाकर उसकी विधिवत पूजा होती है. फिर बच्चे हो या बूढे़ समाज के सभी लोग इस सेज पर लेटते हुए एक तरफ से दूसरी तरफ चले जाते हैं. इससे उनके शरीर में घाव ही घाव हो जाते हैं. बावजूद इसके दर्द से चींखने चिल्लाने के बजाय ये लोग जश्न मनाते हैं.

Betul Unique Tradition
बैतूल में अनोखी परंपरा

परंपरा के पीछे ये है मान्यता: मान्यता है कि एक बार पांडव पानी के लिए भटक रहे थे. बहुत देर बाद उन्हें एक नाहल समुदाय का एक व्यक्ति दिखाई दिया. पांडवों ने उस नाहल से पूछा कि इन जंगलों में पानी कहां मिलेगा, लेकिन नाहल ने पानी का स्रोत बताने से पहले पांडवों के सामने एक शर्त रख दी. नाहल ने कहा कि, पानी का स्रोत बताने के बाद उनको अपनी बहन की शादी उससे करानी होगी. पांडवों की कोई बहन नहीं थी. इस पर पांडवों ने एक भोंदई नाम की लड़की को अपनी बहन बना लिया और पूरे रीति-रिवाजों से उसकी शादी नाहल के साथ करा दी.

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पांडवों ने कांटों पर लेटकर दी थी परीक्षा: पर विदाई के वक्त नाहल ने पांडवों को कांटों पर लेटकर अपने सच्चे होने की परीक्षा देने को कहा. इस पर सभी पांडव एक-एक कर कांटों पर लेटे और खुशी-खुशी अपनी बहन को नाहल के साथ विदा किया. इसी परंपरा को निभाते हुए रज्जड़ समाज के ये लोग अगहन मास के दिन पूजा करने के बाद नुकीले कांटों की टहनियां तोड़कर लाते हैं. फिर उन टहनियों की पूजा की जाती है. इसके बाद एक-एक करके ये लोग नंगे बदन इन कांटों पर लेटकर सत्य और भक्ति का परिचय देते हैं.

Last Updated : Dec 19, 2023, 7:19 PM IST
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