बैतूल। विज्ञान के इस आधुनिक युग में भूत प्रेतों का मायावी संसार आज भी रहस्य का विषय बना हुआ है. आज भी लोग आत्मा, भूत-प्रेतों के अस्तित्व को मानते हैं. इन सबके बीच बैतूल जिले में एक ऐसी जगह है, जहां हजारों की तादाद में लोग प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए पहुंचते हैं. कहते हैं लातों के भूत बातों से नहीं मानते, यह कहावत सोलह आने सच साबित होती है, बैतूल जिले से 40 किलोमीटर दूर मलाजपुर गांव में स्थित गुरु साहब बाबा के समाधि स्थल पर, जहां पिछले 400 सालों से भूतों का मेला लगता आ रहा है.
गुरु साहब बाबा की समाधि स्थल पर हर साल पूष माह की पूर्णिमा से 1 महीने के लिए मेला शुरू होता है. जिसे भूतों का मेला कहा जाता है और इस मेले में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं, जो प्रेत बाधा से पीड़ित होते हैं और जिनका कहीं इलाज नहीं हो पाता. मान्यता है कि यहां आकर उन्हें आराम जरूर मिलता है.
यहां तरह-तरह के भूत आते हैं और लातों के भूत वहां खाते हैं मार. ऐसी मार जिसे देखने वाले दहल जाते हैं, वहीं मार खाने वाले भूतों को सर पर पैर रखकर भागने को मजबूर होना पड़ता है. भूतों की पिटाई की जाती है और फिर भगाने और ना लौटने की कसमें दिलाई जाती हैं.
मान्यता है की प्रेतबाधा से ग्रस्त व्यक्ति यहां पहुंचते ही असामान्य हरकत शुरू कर देता है. चीखते-चिल्लाते हुए लोग इसी का हिस्सा हैं. यहां असामान्य महिला पुरुष समाधि की उल्टी परिक्रमा लगाता है. शाम को आरती के बाद यहां शुरू होता है भूतों से सवाल-जवाब का सिलसिला.
श्रद्धालु बताते हैं कि गुरु साहब बाबा की महिमा है और यहां आने के बाद भूत प्रेत से छुटकारा मिल जाता है. यहां प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाया जाता है जो कभी खराब नहीं होता. यही नही इस गुड़ के पास मक्खियां या कीड़े मकोड़े भी दिखाई नहीं देते हैं.
बुजुर्ग बताते हैं कि इस तिथि को गुरु साहब बाबा ने यहां प्राणायाम की मुद्रा में जीवित समाधि ली थी. उनकी समाधि लेने के बाद से लोग यहां मन्नतें लेकर पहुंचते रहे हैं.
चार सौ सालों से यहां इसी तरह भूत प्रेत से मुक्ति दिलाने का कारनामा होता है. जिसे मेडिकल साइंस अंधविश्वास मानता है. लेकिन लोग आस्था के कारण यहां आते हैं