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Bullock Cart Library: बैलगाड़ी में लाइब्रेरी, थाली-चम्मच पीटकर लगने वाली क्लास! ये है MP की टीचर का अनूठा जुगाड़ ताकि बच्चे पढ़ें और बढ़ें

बैतूल। लाइब्रेरी तो आपने खूब देखी होंगी लेकिन आज हम आपको ऐसी लाइब्रेरी से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो बस, कार बाइक की तरह पेट्रोल डीजल से नहीं बल्कि एक बैलगाड़ी में चलती है (Bullock Cart Library). कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई ना रूके इसके शिक्षिका कमला दवंडे ने यह अनूठी पहल की है. वह बैलगाड़ी से घर-घर जाकर बच्चों को किताबें बांट रही हैं. ताकी पढ़ सके इंडिया और आगे भी बढ़े. (Betul Unique Library)

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Published : Jan 27, 2022, 1:35 PM IST

Betul Bullock cart school
बैतूल में बैलगाड़ी पर स्कूल

बैतूल। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई ना रूके इसके लिए एक शिक्षिका ने बैलगाड़ी को ही लाइब्रेरी बना दिया और घर-घर जाकर बच्चों को किताबें बांट रही हैं (Bullock Cart Library). एक बच्चा को थाली बजाने के लिए लगाया है, ताकि बच्चे बाहर आकर किताबें ले सकें. उनकी अनूठी पहल बच्चों के पालकों, ग्रामीणों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पसंद आ रही है. कमला दवंडे इस काम को अकेले ही कर रही हैं बावजूद इसके उन्होने अपने इस अभियान को बाधित नहीं होने दिया.

बैतूल में प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका बैलगाड़ी से बांट रही किताबें

प्रधान पाठक की अनूठी पहल

कोरोना की तीसरी लहर चल रही है, रोजाना नए-नए संक्रमित मरीज मिल रहे हैं जिसको देखते हुए शिवराज सरकार ने स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए हैं. ऐसे में निजी स्कूलों के बच्चों की ऑनलाइन क्लास लेकर पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन सरकारी स्कूल अभी भी मोहल्ला क्लास और रेडियो पर ही निर्भर हैं. इसे देखते हुए आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के भैंसदेही विकासखंड के ग्राम रामजीढाना के स्कूल की प्रधान पाठक कमला दवंडे ने अनूठा तरीका निकाला है.

थाली बजाकर लगाती हैं मोहल्ला क्लास (Betul mohalla class)

प्रधान पाठक कमला दवंडे ने बताया कि स्कूल में 87 बच्चे हैं और तीन शिक्षक हैं. जिसमें से एक शिक्षक को अधीक्षक बना दिया गया है जबकि एक कोरोना की वजह से छुट्टी पर हैं. वह अकेली शिक्षक बची थीं और सभी बच्चों को किताबें बांटना जरूरी था. इसके लिए उन्होंने एक बैलगाड़ी पर सभी किताबें रखी और मोहल्ला क्लास का बैनर लगाकर घर-घर जाकर ​बच्चों को किताबें बांट रही हैं. बैलगाड़ी लाइब्रेरी के अलावा गांव में अलग अलग घरों में मोहल्ला क्लास भी लगती है. जिस पालक के घर बच्चों की क्लास लगती है वह घर की थाली और चम्मच को टकराकर घंटियां बजाता है. (betul primary school lady teacher initiative)

लापरवाही की इंतहा ! MP में बिना वैरिएंट की पहचान के चल रहा है कोरोना का इलाज, अब भी जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए दिल्ली के आसरे

कोविड काल में भी नहीं होगी पढ़ाई प्रभावित

कमला दवंडे द्वारा किए गए इस नवाचार की बच्चों के अभिवावक, ग्रामीण और अधिकारी भी तारीफ करने से नहीं चूक रहे हैं. बैलगाड़ी में चलित विद्यालय खासा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बच्चों में भी पढ़ाई को लेकर खासी ललक दिखाई दे रही है. शिक्षिका का भी मानना है कि बच्चे घर पर ही पढ़ाई कर सकेंगे और यदि कोई परेशानी आएगी तो इसका हल भी निकाला जाएगा. उन्होंने कहा इस कार्य में ग्रामीण सुनील शैलुकर का सराहनीय सहयोग दिया है.

(MP teacher distributing books to rural students)

बैतूल। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई ना रूके इसके लिए एक शिक्षिका ने बैलगाड़ी को ही लाइब्रेरी बना दिया और घर-घर जाकर बच्चों को किताबें बांट रही हैं (Bullock Cart Library). एक बच्चा को थाली बजाने के लिए लगाया है, ताकि बच्चे बाहर आकर किताबें ले सकें. उनकी अनूठी पहल बच्चों के पालकों, ग्रामीणों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पसंद आ रही है. कमला दवंडे इस काम को अकेले ही कर रही हैं बावजूद इसके उन्होने अपने इस अभियान को बाधित नहीं होने दिया.

बैतूल में प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका बैलगाड़ी से बांट रही किताबें

प्रधान पाठक की अनूठी पहल

कोरोना की तीसरी लहर चल रही है, रोजाना नए-नए संक्रमित मरीज मिल रहे हैं जिसको देखते हुए शिवराज सरकार ने स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए हैं. ऐसे में निजी स्कूलों के बच्चों की ऑनलाइन क्लास लेकर पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन सरकारी स्कूल अभी भी मोहल्ला क्लास और रेडियो पर ही निर्भर हैं. इसे देखते हुए आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के भैंसदेही विकासखंड के ग्राम रामजीढाना के स्कूल की प्रधान पाठक कमला दवंडे ने अनूठा तरीका निकाला है.

थाली बजाकर लगाती हैं मोहल्ला क्लास (Betul mohalla class)

प्रधान पाठक कमला दवंडे ने बताया कि स्कूल में 87 बच्चे हैं और तीन शिक्षक हैं. जिसमें से एक शिक्षक को अधीक्षक बना दिया गया है जबकि एक कोरोना की वजह से छुट्टी पर हैं. वह अकेली शिक्षक बची थीं और सभी बच्चों को किताबें बांटना जरूरी था. इसके लिए उन्होंने एक बैलगाड़ी पर सभी किताबें रखी और मोहल्ला क्लास का बैनर लगाकर घर-घर जाकर ​बच्चों को किताबें बांट रही हैं. बैलगाड़ी लाइब्रेरी के अलावा गांव में अलग अलग घरों में मोहल्ला क्लास भी लगती है. जिस पालक के घर बच्चों की क्लास लगती है वह घर की थाली और चम्मच को टकराकर घंटियां बजाता है. (betul primary school lady teacher initiative)

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कमला दवंडे द्वारा किए गए इस नवाचार की बच्चों के अभिवावक, ग्रामीण और अधिकारी भी तारीफ करने से नहीं चूक रहे हैं. बैलगाड़ी में चलित विद्यालय खासा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बच्चों में भी पढ़ाई को लेकर खासी ललक दिखाई दे रही है. शिक्षिका का भी मानना है कि बच्चे घर पर ही पढ़ाई कर सकेंगे और यदि कोई परेशानी आएगी तो इसका हल भी निकाला जाएगा. उन्होंने कहा इस कार्य में ग्रामीण सुनील शैलुकर का सराहनीय सहयोग दिया है.

(MP teacher distributing books to rural students)

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