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Boycott Election and Leaders: वादाखिलाफी से बैतूल जिले के इस गांव में इतना रोष, चुनाव बहिष्कार के साथ ही नेताओं का प्रवेश निषेध - कई मरीज हुए मौत का शिकार

बैतूल जिले के मनकाढाना के ग्रामीण इतने खफा हैं कि उन्होंने अपने गांव में नेताओं का प्रवेश निषेध कर दिया है. बाकायदा गांव के प्रवेश द्वार इसके पोस्टर व बैनर लगाए हैं. इसमें लिखा है कि किसी भी नेता का इस गांव में प्रवेश प्रतिबंधित है. दरअसल, इस गांव के लोग सालों से मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. ग्रामीणों ने चुनाव का भी बहिष्कार भी कर दिया है. Boycott Election and Leaders

Boycott Election and Leaders
वादाखिलाफी से बैतूल जिले के गांव में रोष, चुनाव बहिष्कार
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 16, 2023, 9:44 AM IST

Updated : Oct 16, 2023, 11:41 AM IST

वादाखिलाफी से बैतूल जिले के इस गांव में इतना रोष

बैतूल। विधानसभा चुनाव को लेकर नेता गांव-गांव जाकर प्रचार में जुटे हुए हैं. लेकिन बैतूल जिले के एक गांव में नेताओं के प्रवेश पर ही प्रतिबंध लगा दिया है. ग्रामीणों ने वादाखिलाफी के चलते गांव में नेताओं का प्रवेश निषेध किया है. बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के गांव मनकाढाना के ग्रामीणों ने गांव में नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. नेताओं की वादाखिलाफी से नाराज ग्रामीणों ने प्रदर्शन करते हुए चुनाव का बहिष्कार किया है. ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश मार्ग पर बैनर लगा दिए हैं.

कई मरीज हो चुके मौत का शिकार : ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक इस गांव में किसी भी नेता को आने नहीं दिया जाएगा. ग्रामीणों ने सड़क निर्माण, पट्टे सहित मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर नेताओं के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है. बता दें कि मनकाढाना गांव में करीब 4 किलोमीटर हिरणघाटा तक पक्की सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण परेशान हैं. सड़क नहीं होने के कारण गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है. गांव में गर्भवती महिलाओं एवं मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए मरीज को खाट पर लेटकर 4 किलोमीटर पैदल चलकर हिरण घाट तक लाना पड़ता है. इसके बाद वाहन से मरीज को अस्पताल पहुंचते हैं. इस दौरान कई गर्भवती महिलाओं की मौत भी हो चुकी है.

किसी भी नेता को नहीं आने देंगे : ग्रामीण महिला सावित्री शेलुकर ने बताया कि गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. गांव में एंबुलेंस नहीं आ पाती. गर्भवती महिलाओं एवं मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए खटिया का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीण महिला उर्मिला भुसुमकर ने बताया कि गांव में नेता आते हैं, वादे करते हैं, लेकिन वादों को पूरा नहीं करते. इसलिए हम सभी ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि गांव में नेताओं के आने पर प्रतिबंध लगाया जाए. ग्रामीणों ने गांव में नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है.

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मूलभूत सुविधाओं का अभाव : जब तक सड़क सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की मांग पूरी नहीं की जाती, तब तक गांव में नेताओं का प्रवेश निषेध रहेगा. वहीं ग्रामीण आगामी विधानसभा चुनाव का भी बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों का कहना है कि जमीन का पट्टा नहीं मिल पाता है. जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बन पाते. छात्र सुनील ने बताया कि जमीन का पट्टा नहीं बनने के कारण जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. इस कारण पढ़ाई में दिक्कतें हो रही हैं. गांव के विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ रहे हैं. वहीं गांव में पढ़े-लिखे युवा भी हैं. जिन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

वादाखिलाफी से बैतूल जिले के इस गांव में इतना रोष

बैतूल। विधानसभा चुनाव को लेकर नेता गांव-गांव जाकर प्रचार में जुटे हुए हैं. लेकिन बैतूल जिले के एक गांव में नेताओं के प्रवेश पर ही प्रतिबंध लगा दिया है. ग्रामीणों ने वादाखिलाफी के चलते गांव में नेताओं का प्रवेश निषेध किया है. बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के गांव मनकाढाना के ग्रामीणों ने गांव में नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. नेताओं की वादाखिलाफी से नाराज ग्रामीणों ने प्रदर्शन करते हुए चुनाव का बहिष्कार किया है. ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश मार्ग पर बैनर लगा दिए हैं.

कई मरीज हो चुके मौत का शिकार : ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक इस गांव में किसी भी नेता को आने नहीं दिया जाएगा. ग्रामीणों ने सड़क निर्माण, पट्टे सहित मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर नेताओं के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है. बता दें कि मनकाढाना गांव में करीब 4 किलोमीटर हिरणघाटा तक पक्की सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण परेशान हैं. सड़क नहीं होने के कारण गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है. गांव में गर्भवती महिलाओं एवं मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए मरीज को खाट पर लेटकर 4 किलोमीटर पैदल चलकर हिरण घाट तक लाना पड़ता है. इसके बाद वाहन से मरीज को अस्पताल पहुंचते हैं. इस दौरान कई गर्भवती महिलाओं की मौत भी हो चुकी है.

किसी भी नेता को नहीं आने देंगे : ग्रामीण महिला सावित्री शेलुकर ने बताया कि गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. गांव में एंबुलेंस नहीं आ पाती. गर्भवती महिलाओं एवं मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए खटिया का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीण महिला उर्मिला भुसुमकर ने बताया कि गांव में नेता आते हैं, वादे करते हैं, लेकिन वादों को पूरा नहीं करते. इसलिए हम सभी ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि गांव में नेताओं के आने पर प्रतिबंध लगाया जाए. ग्रामीणों ने गांव में नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है.

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मूलभूत सुविधाओं का अभाव : जब तक सड़क सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की मांग पूरी नहीं की जाती, तब तक गांव में नेताओं का प्रवेश निषेध रहेगा. वहीं ग्रामीण आगामी विधानसभा चुनाव का भी बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों का कहना है कि जमीन का पट्टा नहीं मिल पाता है. जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बन पाते. छात्र सुनील ने बताया कि जमीन का पट्टा नहीं बनने के कारण जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. इस कारण पढ़ाई में दिक्कतें हो रही हैं. गांव के विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ रहे हैं. वहीं गांव में पढ़े-लिखे युवा भी हैं. जिन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

Last Updated : Oct 16, 2023, 11:41 AM IST
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