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7 दिन बाद MP में हो जाएगा अंधेरा! सिंगाजी और बिरसिंहपुर में 3 दिन, तो सारणी पावर प्लांट में 7 दिन का कोयला बचा

मध्य प्रदेश में कोयले का संकट गहराने लगा है. बात करें बैतूल के सतपुड़ा पावर प्लांट की तो यहां भी सिर्फ एक सप्ताह का कोयला शेष है. यहां रोजाना 7 हजार मीट्रिक टन के आपसास कोयले की खपत हो रही है.

7 दिन बाद MP में हो जाएगा अंधेरा!
7 दिन बाद MP में हो जाएगा अंधेरा!
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Published : Oct 11, 2021, 9:33 PM IST

बैतूल। सरप्लस बिजली उत्पादन के लिए अपनी पहचान बनाने वाले मध्य प्रदेश में कोयला संकट से सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. प्रदेश के चार में से दो बड़े पॉवर प्लांटों में महज 3-3 दिनों का कोयला ही शेष है. वह भी जब सिंगाजी प्लांट को सारणी सतपुड़ा पॉवर प्लांट की दो इकाइयों का कोयला डेढ़ साल से लगातार भेजा जा रहा है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के बिजली घरों में कोयला संकट गहरा रहा है. जबकि दो प्लांटों के पास 7 दिनों का कोयला है. वहीं बात करें, सतपुड़ा पावर प्लांट की तो यहां भी सिर्फ एक सप्ताह का कोयला शेष है.

सतपुड़ा पावर प्लांट के पास 7 दिन का स्टॉक

सतपुड़ा पावर प्लांट में सिर्फ एक सप्ताह का कोयला शेष है. यहां रोजाना 7 हजार मीट्रिक टन के आपसास कोयले की खपत हो रही है. स्टॉक 61 हजार 700 मीट्रिक टन के आसपास है. कोयले की आपूर्ति बढ़ाने डब्ल्यूसीएल और कोल इंडिया से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारी सतत संपर्क में बने हैं.

प्लांटों में कोल स्टॉक
प्लांटों में कोल स्टॉक

रोजाना 68 हजार मीट्रिक टन खपत

मप्र के सभी सरकारी बिजली घरों की 16 इकाइयां पूरी क्षमता पर चलती है, तो रोजाना 68 हजार मीट्रिक टन से अधिक कोयले की आवश्यकता होती है. मौजूदा स्थिति में 7 इकाइयां बंद हैं. 9 इकाइयों में लगभग 43 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है. शनिवार को 49 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हुई. जबकि आपूर्ति 43 हजार मीट्रिक टन ही हुई. वह भी तब जब सिंगाजी पॉवर प्लांट को एक साथ 7 रैक कोयला मिला. फिलहाल मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास 2 लाख 27 हजार 400 मीट्रिक टन कोयल स्टॉक है.

कहां-कितनी डिमांड
कहां-कितनी डिमांड

मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी पर 500 करोड़ रुपए बकाए

डब्ल्यूसीएल (वेस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड) सीएमडी मनोज कुमार बताते हैं कि मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी पर 500 करोड़ रुपए बकाए हैं. एक साल पहले तक मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के पास 10 से 15 लाख मीट्रिक टन तक कोयले का भंडारण हुआ करता था. लेकिन अब यह स्थिति निर्मित हो गई है कि कोयले की कमी के चलते बिजली इकाइयां तक बंद रखनी पड़ रही हैं. इतना ही नहीं, सुबह के समय जब बिजली की डिमांड अधिक रहती है तब इकाइयों को क्षमतानुरूप चलाया जा रहा है. बाकी समय लगभग सभी इकाइयों को आधी क्षमता से चलाना पड़ रहा है.

कितनी बन रही बिजली
कितनी बन रही बिजली

बंद हो सकता है बिजली का प्रोडक्शन, संकट में सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट, सिर्फ 3 दिन का ही कोयला शेष

प्रदेश की 16 में 7 इकाइयां बंद

मप्र में चार सरकारी बिजली घर हैं, जिनमें 16 विद्युत इकाइयां हैं. जिनकी कुल क्षमता 5400 मेगावाट है. कोयला संकट और तकनीकी कारणों से 16 में से 7 इकाइयां बंद हैं. जिनमें सतपुड़ा की 6, 7, 8 और 9 नंबर, बिरसिंहपुर की 1 और 4 नंबर और सिंगाजी पावर प्लांट की 4 नंबर इकाई शामिल हैं. जबकि सतपुड़ा की 2, अमरकंटक की 1 और सिंगाजी और बिरसिंहपुर की 3-3 इकाइयों से 2400 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन हो रहा है. यानी की मप्र के सरकारी बिजली घरों से आधे से भी कम उत्पादन हो रहा है.

बैतूल। सरप्लस बिजली उत्पादन के लिए अपनी पहचान बनाने वाले मध्य प्रदेश में कोयला संकट से सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. प्रदेश के चार में से दो बड़े पॉवर प्लांटों में महज 3-3 दिनों का कोयला ही शेष है. वह भी जब सिंगाजी प्लांट को सारणी सतपुड़ा पॉवर प्लांट की दो इकाइयों का कोयला डेढ़ साल से लगातार भेजा जा रहा है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के बिजली घरों में कोयला संकट गहरा रहा है. जबकि दो प्लांटों के पास 7 दिनों का कोयला है. वहीं बात करें, सतपुड़ा पावर प्लांट की तो यहां भी सिर्फ एक सप्ताह का कोयला शेष है.

सतपुड़ा पावर प्लांट के पास 7 दिन का स्टॉक

सतपुड़ा पावर प्लांट में सिर्फ एक सप्ताह का कोयला शेष है. यहां रोजाना 7 हजार मीट्रिक टन के आपसास कोयले की खपत हो रही है. स्टॉक 61 हजार 700 मीट्रिक टन के आसपास है. कोयले की आपूर्ति बढ़ाने डब्ल्यूसीएल और कोल इंडिया से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारी सतत संपर्क में बने हैं.

प्लांटों में कोल स्टॉक
प्लांटों में कोल स्टॉक

रोजाना 68 हजार मीट्रिक टन खपत

मप्र के सभी सरकारी बिजली घरों की 16 इकाइयां पूरी क्षमता पर चलती है, तो रोजाना 68 हजार मीट्रिक टन से अधिक कोयले की आवश्यकता होती है. मौजूदा स्थिति में 7 इकाइयां बंद हैं. 9 इकाइयों में लगभग 43 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है. शनिवार को 49 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हुई. जबकि आपूर्ति 43 हजार मीट्रिक टन ही हुई. वह भी तब जब सिंगाजी पॉवर प्लांट को एक साथ 7 रैक कोयला मिला. फिलहाल मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास 2 लाख 27 हजार 400 मीट्रिक टन कोयल स्टॉक है.

कहां-कितनी डिमांड
कहां-कितनी डिमांड

मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी पर 500 करोड़ रुपए बकाए

डब्ल्यूसीएल (वेस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड) सीएमडी मनोज कुमार बताते हैं कि मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी पर 500 करोड़ रुपए बकाए हैं. एक साल पहले तक मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के पास 10 से 15 लाख मीट्रिक टन तक कोयले का भंडारण हुआ करता था. लेकिन अब यह स्थिति निर्मित हो गई है कि कोयले की कमी के चलते बिजली इकाइयां तक बंद रखनी पड़ रही हैं. इतना ही नहीं, सुबह के समय जब बिजली की डिमांड अधिक रहती है तब इकाइयों को क्षमतानुरूप चलाया जा रहा है. बाकी समय लगभग सभी इकाइयों को आधी क्षमता से चलाना पड़ रहा है.

कितनी बन रही बिजली
कितनी बन रही बिजली

बंद हो सकता है बिजली का प्रोडक्शन, संकट में सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट, सिर्फ 3 दिन का ही कोयला शेष

प्रदेश की 16 में 7 इकाइयां बंद

मप्र में चार सरकारी बिजली घर हैं, जिनमें 16 विद्युत इकाइयां हैं. जिनकी कुल क्षमता 5400 मेगावाट है. कोयला संकट और तकनीकी कारणों से 16 में से 7 इकाइयां बंद हैं. जिनमें सतपुड़ा की 6, 7, 8 और 9 नंबर, बिरसिंहपुर की 1 और 4 नंबर और सिंगाजी पावर प्लांट की 4 नंबर इकाई शामिल हैं. जबकि सतपुड़ा की 2, अमरकंटक की 1 और सिंगाजी और बिरसिंहपुर की 3-3 इकाइयों से 2400 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन हो रहा है. यानी की मप्र के सरकारी बिजली घरों से आधे से भी कम उत्पादन हो रहा है.

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