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बैतूल के किसानों के लिए वरदान साबित हुई काजू की खेती, साल भर में कमा रहे 4 से 5 लाख रुपए

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Published : Jul 17, 2019, 12:14 PM IST

बैतूल जिले के शाहपुर ब्लाक में रहने वाले किसान काजू की खेती कर रहे हैं. जिससे इन किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है. कल तक तंगहाली की जिंदगी गुजार रहे ये किसान अब काजू की खेती कर मालामाल हो रहे है. बैतूल जिले के शाहपुर ब्लाक की जमीन काजू की खेती के लिए उपयुक्त पाई गई है. ज़िले में अब तक 400 एकड़ में काजू का प्लांटेशन हो चुका है. और जल्द ही ये रकवा पांच हजार एकड़ तक होगा .यहां देश का बेहतरीन क्वालिटी का काजू होगा.

काजू की खेती कर रहे बैतूल के किसान

बैतूल। बैतूल में किसान पारंपपरिक खेती छोड़ अब फायदे की खेती कर रहे हैं. शाहपुर ब्लाक में रहने वाले आदिवासी किसान काजू की खेती कर मालामाल हो रहे हैं..बैतूल प्रदेश का पहला ऐसा जिला है, जहां काजू की व्यावसायिक खेती शुरू की गई है. यहां की लाल मिट्टी काजू उत्पादन के लिए वरदान साबित हुई है. खास बात ये है कि किसान काजू की खेती के लिए खेत के आसपास की बंजर जमीन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. काजू की खेती से किसानों के जीवन में खुशहाली आई है.

काजू की खेती कर मालामाल हो रहे बैतूल के किसान

बैतूल में 250 से ज्यादा किसान 'व्हाइट गोल्ड' यानी काजू की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. शाहपुर ब्लॉक के निशाना गांव के किसान बताते है कि उन्होंने अपने खेतों में 15-15 काजू के पेड़ लगाए है जिनसे सीजन में 12 से 15 किलो प्रति पेड़ काजू मिल जाता है. काजू की खेती से वो सालाना 4 से 5 लाख रुपए तक कमा रहे है. आदिवासी किसानों को काजू की खेती करने की राह दिखाने का काम मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग ने किया. क्योंकि वैज्ञानिकों को बैतूल की लाल मिट्टी काजू की खेती करने के लिए सबसे मुफीद मानी जाती है. उद्यानिकी विभाग ने किसानों को सस्ती दरों पर काजू के पौधे उपलब्ध कराए.

बैतूल ज़िले की आवोहवा व्हाइट गोल्ड यानी काजू के उत्पादन के लिए बेहतरीन साबित हो रहा है. इस बात पर देशभर से आए कृषि और उद्यानिकी वैज्ञानिकों ने मुहर लगा दी है. यही वजह है कि अब बैतूल ज़िला मध्यप्रदेश का काजू उत्पादन हब बनने जा रहा है. ज़िले में अब तक 400 एकड़ में काजू का प्लांटेशन हो चुका है. और जल्द ही ये रकवा पांच हजार एकड़ तक होगा .यहां देश का बेहतरीन क्वालिटी का काजू होगा.

बैतूल। बैतूल में किसान पारंपपरिक खेती छोड़ अब फायदे की खेती कर रहे हैं. शाहपुर ब्लाक में रहने वाले आदिवासी किसान काजू की खेती कर मालामाल हो रहे हैं..बैतूल प्रदेश का पहला ऐसा जिला है, जहां काजू की व्यावसायिक खेती शुरू की गई है. यहां की लाल मिट्टी काजू उत्पादन के लिए वरदान साबित हुई है. खास बात ये है कि किसान काजू की खेती के लिए खेत के आसपास की बंजर जमीन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. काजू की खेती से किसानों के जीवन में खुशहाली आई है.

काजू की खेती कर मालामाल हो रहे बैतूल के किसान

बैतूल में 250 से ज्यादा किसान 'व्हाइट गोल्ड' यानी काजू की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. शाहपुर ब्लॉक के निशाना गांव के किसान बताते है कि उन्होंने अपने खेतों में 15-15 काजू के पेड़ लगाए है जिनसे सीजन में 12 से 15 किलो प्रति पेड़ काजू मिल जाता है. काजू की खेती से वो सालाना 4 से 5 लाख रुपए तक कमा रहे है. आदिवासी किसानों को काजू की खेती करने की राह दिखाने का काम मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग ने किया. क्योंकि वैज्ञानिकों को बैतूल की लाल मिट्टी काजू की खेती करने के लिए सबसे मुफीद मानी जाती है. उद्यानिकी विभाग ने किसानों को सस्ती दरों पर काजू के पौधे उपलब्ध कराए.

बैतूल ज़िले की आवोहवा व्हाइट गोल्ड यानी काजू के उत्पादन के लिए बेहतरीन साबित हो रहा है. इस बात पर देशभर से आए कृषि और उद्यानिकी वैज्ञानिकों ने मुहर लगा दी है. यही वजह है कि अब बैतूल ज़िला मध्यप्रदेश का काजू उत्पादन हब बनने जा रहा है. ज़िले में अब तक 400 एकड़ में काजू का प्लांटेशन हो चुका है. और जल्द ही ये रकवा पांच हजार एकड़ तक होगा .यहां देश का बेहतरीन क्वालिटी का काजू होगा.

Intro:बैतूल ।।

मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में अब किसान काजू की भी खेती करने लगे है । किसान अपनी पारंपरिक खेती के साथ साथ काजू की खेती भी कर रहे है । लगातार मौसम की मार झेल रहे ये किसान गेहू, चना मक्का और अन्य फसलों के साथ काजू की खेती कर लाखो कमा रहे है । जिले के शाहपुर और घोड़ाडोंगरी ब्लॉक की लाल बर्रा मिट्टी काजू की खेती के लिए वरदान साबित हो रही है ।


Body:उद्यानिकी विभाग की मदद से बैतूल में किसानो ने अपने खेतों की मेड पर काजू के पेड़ लगाए है जिसका फायदा यह है कि वे लोग खाली पड़ी जमीन पर सब्जी, गेहू, चना और मक्का की फसल लगा पाते है जिसके कारण वे काजू की फसल के साथ साथ अन्य फसलें भी ले रहे है । यह कच्चा काजू बाजार में 100 रुपये किलो बिकता है । खास बात यह है कि लाल बर्रा मिट्टी में काजू की फसल आसानी से हो जाती है ।

शाहपुर ब्लॉक के निशाना गांव में किसान बताते है कि उन्होंने अपने खेतों में 15-15 काजू के पेड़ लगाए है । जिनसे सीजन में 12 से 15 किलो प्रति पेड़ काजू मिल रहा है । वे अपने खेतों में काजू की फसलों के साथ साथ अन्य फसलें भी ले रहे है । किसानों ने बताया कि काजू की खेती के लिए ज्यादा पानी नही लगता है और उनके पास मौजूद गोबर खाद इन पेड़ों पर डालते है । किसानों के मुताबिक फिलहाल वे काजू और अन्य फसलों को मिलाकर 3 से 4 लाख सालाना कमा रहे है जिससे उनका जीवन स्तर सुधर रहा है ।

उद्यानिकी विभाग के मुताबिक जिले में 250 से ज्यादा किसान काजू की खेती फिलहाल कर रहे है । फिलहाल जिले में 400 एकड़ में काजू की खेती हो रही है अगले पांच सालों में इसे बढ़ाकर पांच हजार एकड़ कर दिया जाएगा । विभाग के मुताबिक लाल बर्रा किस्म की मिट्टी में उगता है । काजू की किस्म अच्छी रहे इसके लिए घोड़ाडोंगरी में प्रोसेसिंग यूनिट लगाई गई है । अभी 8 मशीन लगी है इनसे काजू को निकाला जाता है ।
फिलहाल जिले में वेंगरुला - 47 काजू लगाया गया है ।


Conclusion:लगातार मौसम की मार झेल रहे बैतूल के किसान परंपरागत खेती के साथ साथ व्यावसायिक खेती भी करने लगे है जिससे उनका जीवन स्तर भी सुधरने लगा है ।

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