बैतूल। बिजली कंपनी का लाखों रुपए नगर पालिका पर बाकी होने व कंपनी द्वारा बार-बार नगरपालिका को सूचना देने के बाद भी जब नगर पालिका द्वारा बिजली कंपनी का बाकी लाखों रुपया कंपनी को अदा नहीं किया गया, तो बुधवार को बिजली कंपनी ने पूरे शहर की स्ट्रीट लाइट , तमाम पंप हाउस, नपा दफ्तर समेत नगर पालिका से जुड़े अन्य सभी बिजली कनेक्शन काट दिए हैं. नगर पालिका दफ्तर में जहां बिजली नहीं होने से कोई काम नहीं हो पाया तो वही पूरे शहर में पेयजल व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई है.
हालांकि यें कोई पहली बार नहीं हुआ है, लेकिन इस बार बिजली कंपनी के सख्त तेवर से साफ पता चलता है कि नगरपालिका बड़ी भूल कर बैठी है. बिजली कंपनी के इस सख्त कदम से जहां इसका सीधा असर आम जनजीवन पर पड़ने लगा है, तो वहीं देर शाम तक विभागों के वरिष्ठ सुचारू व्यवस्था के लिए माथापच्ची करते रहे. लगता है कि इस बार बिजली कंपनी किसी खास मान-मनौव्वल के बाद दया दिखाने के मूड में नहीं है. उम्मीद जरूर है कि जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद व्यवस्था जरूर सुधर जाएगी.
बताया गया है कि बिजली कंपनी का नगरपालिका पर लगभग 50 लाख रूपए का बिजली बिल बाकी है. जिसमें पूरे शहर में लगभग 50 से ज्यादा पंप हाउस, शहर की स्ट्रीट लाइट, नगर पालिका दफ्तर के अलावा अन्य विद्युत संयोजनों का प्रतिमाह लगभग 11 लाख पर बिजली का बिल नगरपालिका को भुगतान करना होता है. जैसा की जानकारी मिली है कि बीते कई माह से नगरपालिका बिजली बिलों का समय पर ना तो भुगतान कर पा रही है और ना ही पूरा बिजली का बिल कंपनी को अदा कर पा रही है.
नगर पालिका में इन दिनों जो हालात बने हैं उसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है. कहीं ना कहीं इसकी पूरी जिम्मेदार नगरपालिका ही है. जिसने बीते कई दशकों में केवल खर्चों के मार्ग पर ही चलना सीखा है. किंतु खर्चों के अनुपात में आमला नगर पालिका अपनी आय के कोई नए स्रोत ही पैदा नहीं कर पाई. जबकि इसके लिए स्थानीय कई संगठन नगर पालिका को कई बार मार्गदर्शन भी दे चुके हैं.
वहीं नगर पालिका और उसके कर्ताधर्ता बीते कई वर्षों में नगरपालिका के विभिन्न करों सहित जलकर आदि वसूलने में भी फिसड्डी साबित होती रही है. जिससे नगर पालिका को अपने सबसे बुरे दिनों का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के मुताबिक प्रति माह संचालनालय से नगरपालिका को 22 लाख रुपए प्राप्त होते हैं. किंतु इस अनुपात में नगरपालिका को प्रत्येक माह कर्मचारियों की सैलरी के लिए 33 लाख रुपए का भुगतान करना होता है. तो बिजली बिलों का 11 लाख तो अन्य मेंटेनेंस के खर्चों के लिए 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ता है. यानी नगर पालिका में आमदनी अठन्नी तो खर्चा रुपैया वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है. अब ऐसे में अगर, नगर पालिका को दुर्दिन दिनों का सामना करना पड़ रहा है तो ज्यादा आश्चर्य भी नहीं होना चाहिए.
सीएमओ बंसी पवार ने बताया है कि शासन से पैसे नहीं मिल पाने के कारण बिजली का बिल जमा नहीं हो पाया है. अगले माह जैसे ही पैसा आएगा, हम बिजली कंपनी का पूरा पैसा अदा कर देंगे.