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बड़बानी:एक शिक्षक ऐसा भी जो बच्चों की शिक्षा के लिए रहता है अपने परिवार से दूर

बड़वानी जिले में एक शिक्षक ऐसे भी है. जो अपने परिवार से दूर रहकर बच्चों का भविष्य बनाने में जुटे हैं. शिक्षक रामचन्द्र सिंह चौहान पिछले आठ सालों से एक आंगनवाड़ी में संचालित होने वाले भवन में प्राथमिक स्कूल के बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं.

शिक्षक रामचन्द्र सिंह चौहान
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Published : Sep 5, 2019, 11:44 PM IST

Updated : Sep 5, 2019, 11:50 PM IST

बड़बानी। प्रदेश सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए शहरी, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में तरह तरह की योजनाएं चलाकर शिक्षा को बढ़वा दे रही है. ताकि सभी क्षेत्रों के साथ-साथ आदिवासी इलाकों में भी बच्चे पढ़कर लिखकर अपना भविष्य संवार सके. वहीं एक शिक्षक रामचंद्र सिंह चौहान वर्तमान के द्रोणाचार्य है. जो अपने से घर से दूर रहकर आदिवासी बच्चों को आधुनिक शिक्षा देकर उन्हें भविष्य का अर्जुन बना रहे हैं.

दुर्गम इलाकों में शिक्षा की अलक जगाते शिक्षक रामचंद्र सिंह चौहान

शिक्षक रामचन्द्र सिंह चौहान पिछले आठ सालों से एक आंगनवाड़ी में संचालित होने वाले भवन में प्राथमिक स्कूल के बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं. शिक्षक रामचन्द्र ने बताया कि स्कूल चलाने के लिए भवन की सुविधा नहीं हैं. उन्हें मजबूरी में आंगनबाड़ी के भवन में स्कूल चलाना पड़ता है और इसी भवन में आंगनवाड़ी लगती है. उन्होंने बताया कि जब कलेक्टर ने इस स्कूल का दौरा किया था तो उन्होंने स्कूल भवन की समस्या और मिड डे मिल की जानकारी दी थी.

शिक्षक रामचंद्र बताते है कि उनका शुरु से ही बच्चों से लगाव रहा है. शिक्षक ने बताया कि मेरा घर 20 किमी दूर बोकराटा में है और स्कूल आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. इसी में सुबह से शाम हो जाती थी.

बड़बानी। प्रदेश सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए शहरी, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में तरह तरह की योजनाएं चलाकर शिक्षा को बढ़वा दे रही है. ताकि सभी क्षेत्रों के साथ-साथ आदिवासी इलाकों में भी बच्चे पढ़कर लिखकर अपना भविष्य संवार सके. वहीं एक शिक्षक रामचंद्र सिंह चौहान वर्तमान के द्रोणाचार्य है. जो अपने से घर से दूर रहकर आदिवासी बच्चों को आधुनिक शिक्षा देकर उन्हें भविष्य का अर्जुन बना रहे हैं.

दुर्गम इलाकों में शिक्षा की अलक जगाते शिक्षक रामचंद्र सिंह चौहान

शिक्षक रामचन्द्र सिंह चौहान पिछले आठ सालों से एक आंगनवाड़ी में संचालित होने वाले भवन में प्राथमिक स्कूल के बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं. शिक्षक रामचन्द्र ने बताया कि स्कूल चलाने के लिए भवन की सुविधा नहीं हैं. उन्हें मजबूरी में आंगनबाड़ी के भवन में स्कूल चलाना पड़ता है और इसी भवन में आंगनवाड़ी लगती है. उन्होंने बताया कि जब कलेक्टर ने इस स्कूल का दौरा किया था तो उन्होंने स्कूल भवन की समस्या और मिड डे मिल की जानकारी दी थी.

शिक्षक रामचंद्र बताते है कि उनका शुरु से ही बच्चों से लगाव रहा है. शिक्षक ने बताया कि मेरा घर 20 किमी दूर बोकराटा में है और स्कूल आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. इसी में सुबह से शाम हो जाती थी.

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Last Updated : Sep 5, 2019, 11:50 PM IST
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