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10 साल बाद भी अधूरी है शहीद भीमा नायक परियोजना, झूठा साबित हुआ मंत्री का वादा

शहीद भीमा नायक परियोजना के 10 साल पूरे होने के बाद भी निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है. वहीं बाला बच्चन ने भ्रष्टाचार की जांच और कार्रवाई का वादा किया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

दस साल बाद भी अधूरी है शहीद भीमा नायक परियोजना
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Published : Nov 21, 2019, 3:41 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 8:23 PM IST

बड़वानी। सरकार के तमाम वादों के बाद भी शहीद भीमा नायक परियोजना आज भी अधूरी और खस्ताहाल है. नहर की दीवारों में बड़ी- बड़ी दरारे हो गई हैं और पूरी नहर में घास ने कब्जा जमा रखा है. पिछले दिनों ईटीवी भारत से बातचीत में प्रदेश के गृह मंत्री ने नहर का काम समय से करवाने और इसमें भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करने का वादा किया था, लेकिन ये जुमला ही साबित हुआ.

10 साल बाद भी अधूरी है शहीद भीमा नायक परियोजना

काम छोड़कर भाग चुकी है निर्माण कंपनी
ETV भारत से खास बातचीत में गृह मंत्री ने इस परियोजना को कांग्रेस की देन बताया बताते हुए देरी और अनियमितता को लेकर निर्माण एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड करने और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हुआ. निर्माण कंपनी आईवीआरसीएल काम छोड़कर भाग चुकी है.

साल 2009 में शुरू हुआ था काम
बता दें कि लोअर गोई परियोजना साल 2009 में चालू हुई थी, जिसका निर्माण पूरा करने की अवधि 4 साल थी, लेकिन 10 साल में इसके निर्माण की अवधि 6 बार बढ़ाई जा चुकी है. वहीं इसकी लागत 332.55 करोड़ रुपये से बढ़कर 545.36 करोड़ हो गई है. लेकिन इस दौरान इस परियोजना का सिर्फ नाम ही बदला नहर के हालात आज भी वैसे ही हैं.

इस परियोजना में जमकर भ्रष्टाचार हुआ, जिससे नहर खंडहर में तब्दील हो गया. बावजूद इसके प्रदेश सरकार ने इस ओर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया. ऐसे में 10 साल से इस परियोजना के पूरे होने का इंतजार कर रहे किसानों को इंतजार कब खत्म होगा, ये कहा नहीं जा सकता.

बड़वानी। सरकार के तमाम वादों के बाद भी शहीद भीमा नायक परियोजना आज भी अधूरी और खस्ताहाल है. नहर की दीवारों में बड़ी- बड़ी दरारे हो गई हैं और पूरी नहर में घास ने कब्जा जमा रखा है. पिछले दिनों ईटीवी भारत से बातचीत में प्रदेश के गृह मंत्री ने नहर का काम समय से करवाने और इसमें भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करने का वादा किया था, लेकिन ये जुमला ही साबित हुआ.

10 साल बाद भी अधूरी है शहीद भीमा नायक परियोजना

काम छोड़कर भाग चुकी है निर्माण कंपनी
ETV भारत से खास बातचीत में गृह मंत्री ने इस परियोजना को कांग्रेस की देन बताया बताते हुए देरी और अनियमितता को लेकर निर्माण एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड करने और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हुआ. निर्माण कंपनी आईवीआरसीएल काम छोड़कर भाग चुकी है.

साल 2009 में शुरू हुआ था काम
बता दें कि लोअर गोई परियोजना साल 2009 में चालू हुई थी, जिसका निर्माण पूरा करने की अवधि 4 साल थी, लेकिन 10 साल में इसके निर्माण की अवधि 6 बार बढ़ाई जा चुकी है. वहीं इसकी लागत 332.55 करोड़ रुपये से बढ़कर 545.36 करोड़ हो गई है. लेकिन इस दौरान इस परियोजना का सिर्फ नाम ही बदला नहर के हालात आज भी वैसे ही हैं.

इस परियोजना में जमकर भ्रष्टाचार हुआ, जिससे नहर खंडहर में तब्दील हो गया. बावजूद इसके प्रदेश सरकार ने इस ओर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया. ऐसे में 10 साल से इस परियोजना के पूरे होने का इंतजार कर रहे किसानों को इंतजार कब खत्म होगा, ये कहा नहीं जा सकता.

Intro:विशेष स्टोरी
बड़वानी। जिले में इन दिनों किसान पानी से परेशान है पहले तो खरीफ की फसलों पर इतना पानी गिरा की निमाड़ के किसानो के अरमान पानी मे बह गए वही अब रबी की फसलो के लिए पानी का इंतजार फिर उनके सपनों पर पानी न फेर दे , बस यहीं चिंता उन्हें अब सताने लगी है। वहीं प्रदेश में सरकार में कमलनाथ के बाद नम्बर दो पर आने वाले मंत्री बाला बच्चन भी साल भर से केवल जुबानी भरोसा बड़वानी जिले के किसानों को दे रहे है। करोड़ो की लागत से बन रही जिले की महत्ती जल परियोजना की मुख्य 27 किमी नहर में घास ही घास व अधूरा निर्माण साफ दिखाई दे रहा है।


Body:आदिवासी बड़वानी जिले में खरीफ की बर्बाद फसलो के बाद अब किसान रबी की फसलों की बुआई के लिए तैयारी कर रहा है लेकिन उन्हें अभी से फसलो को लेकर चिंता सताने लगी है वही जिले के विधायक व गृहमंत्री बाला बच्चन का आश्वासन भी महज जुमलेबाजी के अलावा कुछ नही । प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 11 माह पूर्व ईटीवी भारत ने जनवरी में गृहमंत्री से खास मुलाकात में जिले के किसानों को लेकर लोअर गोई परियोजना जिसे बदलकर शहीद भीमा नायक के नाम पर कर दिया है उसमें हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार तथा नहरों के अधूरी होने व गुणवत्तापूर्ण कार्य होने का मुद्दा सामने रखा था जिस पर गृहमंत्री ने इसे कांग्रेस सरकार की देन बताते हुए परियोजना में देरी व अनियमितता को लेकर निर्माण एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड करने की बात कही थी वही 11 माह बाद भी केवल कार्यवाही की बात कर रहे है जबकि निर्माण एजेंसी अधूरा कार्य छोड़ कर भाग निकली।
बता दे कि शहीद भीमा नायक लोअर गोई परियोजना वर्ष 2009 में शुरू हुई थी जिसे पूरा करने 4 साल और मेंटेनेंस के लिए 1 साल तय किया गया था वही निर्माण लागत 332.55 करोड़ रुपए थी साथ ही निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन दस सालो में इसकी अवधि 6 बार बढ़ाई गई और बजट भी बढ़कर 545.36 करोड़ हो गया। देरी के चलते जहां बजट बढ़ता गया लेकिन निर्माण की गति जस की तस रही। अब तक इसकी नहरों का कार्य अधूरा पड़ा है वही डेम निर्माण स्थल पर भी भ्रष्टाचार की काली परछाई पड़ती दिखाई दे रही है जिसके चलते साल 2015 में बांध के ऊपरी हिस्से में दरार भी देखने को मिली थी।
अब बात करें किसानों की चिंता की तो इस परियोजना के चलते उप नहरों की लम्बाई 221 किमी है तथा मुख्य नहर की लंबाई 27.555 किमी है जिसकी 5.50 मीटर सतह की चौड़ाई व 143.18 एमसीएम पूर्ण जल क्षमता है।
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि 10 साल बाद भी स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है वर्तमान में अधूरी नहरों में भी 3 से चार फिर की घास व पौधे उँग आए है ऐसे में अगर नहरों से इन्हें नही हटाया गया तो उनके खेतो तक थोड़ा बहुत पानी भी नही पहुचेगा ऐसे में पानी की वजह से फिर फसलो पर संकट खड़ा हो जाएगा।
बाइट01-किशोर माली-नहर प्रभावित ,किसान
बाइट02- मोहन जमरा-नहर प्रभावित ,किसान

जिले की राजपुर विधानसभा से चुनाव जीतकर गृहमंत्री बने बाला बच्चन का चुनावी क्षेत्र शहीद भीमा नायक जल परियोजना से सर्वाधिक प्रभावित होगा अगर किसानों को समय पर इस परियोजना का लाभ मिल जाए किन्तु ठीक 11 माह पहले ईटीवी भारत ने इस मुद्दे को उठाया था तब मंत्री जी न बड़े बड़े दांवे किए थे वही बात 11 माह बाद भी दोहरा रहे है कि इस परियोजना में जो भी गड़बड़ हुई है ठीक किया जाएगा लेकिन कब सुधार होगा?कब क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलेगा नहरों के पानी से ? साल भर होने के है निर्माण एजेंसी कम्पनी को ब्लैकलिस्टेड नही किया और न ही कोई कार्यवाही की गई। तो क्या गृहमंत्री केवल जुबानी जमा खर्च करके जिले के किसानों को पानी उपलब्ध कराएंगे क्योकि उनके दांवे रबी की फसल के लिहाज से तो झूठे साबित हो रहे है।
बाइट03-बाला बच्चन- गृहमंत्री
(नोट- 28 जनवरी 19 को ईटीवी भारत ने परियोजना में भ्रष्टाचार को लेकर स्टोरी प्रकाशित की थी जिसमे गृहमंत्री का बयान था ब्लैकलिस्टेड करने का साल भर बाद भी कुछ नही हुआ। अगर डेस्क के पास उस स्टोरी का बैंकिंग हो तो हम बयान उठा सकते है।)



Conclusion:क्षेत्र की महत्ती जल परियोजना को न जाने किसकी नजर लगी कि बीते दस सालों में परियोजना का नाम बदल दिया गया बजट बढ़ा दिया 6 बार निर्माण को पूरा करने की समयावधि बढ़ा दी गई। करोड़ो खर्च हो गए । निर्माण एजेंसी ने हाथ खड़े कर दिए।काम बंद कर भाग खड़ी हुई। सरकार बदली , परियोजना से प्रभावित होने वाले क्षेत्र से मंत्री भी बने लेकिन स्थिति किसानों के लिए जस की तस। 27 किमी की मुख्य नहर में घास ही घास नजर आ रही तो भ्रष्टाचार की छाप भी अधूरे निर्माण में दिखाई दे रही है। लेकिन सरकारे बदल रही किन्तु किसानों की बदहाली नही।
Last Updated : Nov 21, 2019, 8:23 PM IST
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