बड़वानी। भारत के पारंपारिक मिट्टी के बर्तन जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं. गर्मी का मौसम शुरू होते ही बाजार इनसे गुलजार हो जाता है. ग्राहक इन्हें खरीदने के लिए फरवरी से ही इंतजार करने लगते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से इन्हें बेचने वाले विक्रेता खुद संकट में फंस गए हैं. शहर के मुख्य सड़कों के किनारे दुकाने लगाने वाले दुकानदार बस ग्राहक के आने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन शाम होते-होते इनकी उम्मीद टूट जाती हैं जब उनका सामान खरीदने के लिए काई नहीं पहुंचता है. उनका मानना है कि इस बार लॉकडाउन की वजह से इनकी दुकान पर ग्राहक कम पहुंच रहे हैं या पहुंच ही नहीं रहे हैं. जिसके कारण इनकी बिक्री की रफ्तार थम हो गई है.
मिट्टी के बर्तन बेचने वाले दुकानदार भागा बाई ने बताया कि इस बार उनके माल को खरीदने को कोई तैयार नहीं है. लाखों रुपये का माल यूं ही पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से लोग खरीददारी के लिए बाहर नहीं निकल रहे हैं. जिसकी वजह से उनका माल भी नहीं बिक रहा है. उन्होंने बताया कि जिस माल को बेचने के लिए हमने किसी से उधार के पैसों से खरीदा था. उसे पैसे कहां से देंगे. क्योंकि सामान तो बिक नहीं रहा है.
प्रशासन की ओर से सिर्फ दाल चावल दिए जा रहे हैं जिससे ये लोग घर से बनाकर खा रहे हैं. उन्होंने कहा कि झाबुआ के पास मेघनगर है वहां से माल को लेकर यहां लाते हैं. विक्रेता ने कहा कि इस समय बिल्कुल भी ग्राहकी नहीं है. और गर्मी का सीजन खत्म होने वाला है लेकिन सारा माल जैसा का वैसा ही रखा है. उनका कहना है कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि माल की उधारी कैसे चुकाएंगे. विक्रेता ओगन्ती बाई ने कहा कि जहां से माल खरीदा है यदि वहां पर टाइम पर पैसा नहीं देंगे तो ब्याज बढ़ेगा. इस समय तो घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है.
गुजरात से लाते हैं मिट्टी का सामान
झाबुआ के मेघनगर और गुजरात से आधुनिक कलाकृतियों से सुसज्जित पानी के मटके और अन्य वस्तुएं खरीद कर बेची जाती है.