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लॉकडाउन में बढ़ी केले की खेती करने वाले किसानों की मुसीबत, लागत भी निकलना हुआ मुश्किल

बड़वानी जिले में इनदिनों टोटल लॉकडाउन है, जिसकी वजह से केले की खेती करने वाले किसानों का बुरा हाल है. फसल तैयार है, लेकिन उसे किसान काट नहीं पा रहे हैं, क्योंकि अभी बाजार खुला नहीं हैं.

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Published : Apr 28, 2020, 11:09 AM IST

Updated : Apr 28, 2020, 4:02 PM IST

Ground zero report of lockdown
ग्राउंड जीरो रिपोर्ट

बड़वानी। लॉकडाउन की वजह से खेतों में ही केले की फसल बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है. कभी उत्पादकों को भारी मुनाफा देने वाली यह फसल इनदिनों खेतों में ही जमींदोज होती जा रही है, जिसके चलते किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. जिले में हजारों एकड़ जमीन पर केले की खेती की जाती है, फसल पूरी तरह पक कर तैयार है, लेकिन बाजार बंद हैं. लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है.

इंसानों की तरह केले की फसल भी लॉकडाउन हो गई है ,कोई खरीददार नहीं मिल रहा है. कोई व्यापारी माल खरीदता भी है, तो वो भी औने - पैने दामों पर. अच्छी पैदावार देखकर किसानों की उम्मीद बंधी थी, वही केला अब गले की फांस बन गया है. केला उत्पादक किसान के मुताबिक सालभर की मेहनत के बाद इस समय केले की पैदावार बेहतरीन हुई है, लॉकडाउन के पहले इस बेहतरीन फसल के भाव भी बेहतरीन थे, 12 से 13 रुपए किलो यानी 12 सौ से 13 सौ रुपए क्विंटल का रेट था, लेकिन इन दिनों व्यापारी इसे बमुश्किल 1 से डेढ़ रुपए यानी 100 से 150 रुपए क्विंटल के रेट से ही व्यापारी केला खरीद रहे हैं.

एक किसान ने बताया कि, उन्होंने, 18 एकड़ में केले की फसल लगाए हैं, इसकी लागत प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख रुपए तक आई है, लेकिन इन दिनों जिस तरह भाव मिल रहे हैं. वो लागत का 1 प्रतिशत भी नहीं है. इधर व्यापारी इन किसानों से केला खरीद कर मंडियों में 30 से 40 रुपए किलो बेच रहे हैं और भारी मुनाफा कमा रहे हैं.

खेतों में हालात यह हैं कि, पौधों से केले गिरने लगे हैं, अंगुलियों की रगड़ से ही केले का छिलका उतरने लगा है, कुछ दिन और फसल नहीं बिकी, तो खेतों में ही पड़े-पड़े खराब हो जाएंगे‌.

जिले में दिनों टोटल लॉकडाउन के चलते केले की फसल उत्पादकों का बुरा हाल है, ईटीवी भारत ने किसानों की समस्याओं को नजदीक से देखा, कि किस तरह किसानों की सांस हलक में अटकी है. केले जमीन पर न गिरे इसलिए किसानों ने एक झाड़ को दूसरे झाड़ से इस तरह बांध रखा है, ताकि केलों के वजन से झाड़ जमींदोज न हों, हालांकि, किसानों की यह तरकीब भी बेअसर नजर दिखाई दी. किसानों की मांग है कि, सरकार केला उत्पादकों से स्थानीय स्तर पर खरीद कर वाजिब दाम दिलाएं. पिछले वर्ष यही केला देश के बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, इंदौर सहित विदेशों में भी निर्यात हुआ था.

बड़वानी। लॉकडाउन की वजह से खेतों में ही केले की फसल बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है. कभी उत्पादकों को भारी मुनाफा देने वाली यह फसल इनदिनों खेतों में ही जमींदोज होती जा रही है, जिसके चलते किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. जिले में हजारों एकड़ जमीन पर केले की खेती की जाती है, फसल पूरी तरह पक कर तैयार है, लेकिन बाजार बंद हैं. लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है.

इंसानों की तरह केले की फसल भी लॉकडाउन हो गई है ,कोई खरीददार नहीं मिल रहा है. कोई व्यापारी माल खरीदता भी है, तो वो भी औने - पैने दामों पर. अच्छी पैदावार देखकर किसानों की उम्मीद बंधी थी, वही केला अब गले की फांस बन गया है. केला उत्पादक किसान के मुताबिक सालभर की मेहनत के बाद इस समय केले की पैदावार बेहतरीन हुई है, लॉकडाउन के पहले इस बेहतरीन फसल के भाव भी बेहतरीन थे, 12 से 13 रुपए किलो यानी 12 सौ से 13 सौ रुपए क्विंटल का रेट था, लेकिन इन दिनों व्यापारी इसे बमुश्किल 1 से डेढ़ रुपए यानी 100 से 150 रुपए क्विंटल के रेट से ही व्यापारी केला खरीद रहे हैं.

एक किसान ने बताया कि, उन्होंने, 18 एकड़ में केले की फसल लगाए हैं, इसकी लागत प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख रुपए तक आई है, लेकिन इन दिनों जिस तरह भाव मिल रहे हैं. वो लागत का 1 प्रतिशत भी नहीं है. इधर व्यापारी इन किसानों से केला खरीद कर मंडियों में 30 से 40 रुपए किलो बेच रहे हैं और भारी मुनाफा कमा रहे हैं.

खेतों में हालात यह हैं कि, पौधों से केले गिरने लगे हैं, अंगुलियों की रगड़ से ही केले का छिलका उतरने लगा है, कुछ दिन और फसल नहीं बिकी, तो खेतों में ही पड़े-पड़े खराब हो जाएंगे‌.

जिले में दिनों टोटल लॉकडाउन के चलते केले की फसल उत्पादकों का बुरा हाल है, ईटीवी भारत ने किसानों की समस्याओं को नजदीक से देखा, कि किस तरह किसानों की सांस हलक में अटकी है. केले जमीन पर न गिरे इसलिए किसानों ने एक झाड़ को दूसरे झाड़ से इस तरह बांध रखा है, ताकि केलों के वजन से झाड़ जमींदोज न हों, हालांकि, किसानों की यह तरकीब भी बेअसर नजर दिखाई दी. किसानों की मांग है कि, सरकार केला उत्पादकों से स्थानीय स्तर पर खरीद कर वाजिब दाम दिलाएं. पिछले वर्ष यही केला देश के बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, इंदौर सहित विदेशों में भी निर्यात हुआ था.

Last Updated : Apr 28, 2020, 4:02 PM IST
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