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पानी छोड़ते ही नहरों ने तोड़ा दम, घटिया निर्माण की खुली पोल - Indira Sagar Project canal in Barwani

बड़वानी में इंदिरा सागर परियोजना की नहरों में पानी छोड़ते ही इनके गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य की पोल खुल गई. पानी छोड़ते ही ये नहरें क्षतिग्रस्त हो गईं.

canal damaged in Barwani
दम तोड़ती नहरें
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Published : Dec 14, 2019, 3:30 PM IST

बड़वानी। जिले में किसानों को रबी की फसल की सिंचाई के लिए इंदिरा सागर परियोजना की नहरों में पानी छोड़ते ही इनके गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य की पोल खुल गई. नहरों में पानी आते ही ये नहरें जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गईं. वहीं पानी के दबाव में नहरें जमीन में धंस गईं.

जिला मुख्यालय से लगे गांवों से होकर गुजरने वाली इंदिरा सागर परियोजना का निर्माण कार्य ग्वालियर की केडीएस प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी देख रही है. मॉनिटरिंग सरकारी विभाग के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क्रमांक 11 द्वारा की जा रही है. घटिया क्वॉलिटी की नहरों में जब पानी छोड़ा गया, तो नानी गांव, बड़वानी और बोम्या गांवों में मुख्य नहरों ने ही दम तोड़ दिया. नहरों के फूटने से हजारों क्यूसेक पानी बर्बाद हो गया.

पानी छोड़ा तो नहर ने दम तोड़ा

पानी से कई जगहों पर पर बरसाती झरनों जैसी स्थिति हो गई. किसानों के खेतों में पानी घुस गया. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क्रमांक 11 के सब इंजीनियर से जब ईटीवी भारत ने नहरों के निर्माण में भ्रष्टाचार और गुणवत्ता को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग और निर्माण एजेंसी ने लापरवाही बरती है.

बड़वानी। जिले में किसानों को रबी की फसल की सिंचाई के लिए इंदिरा सागर परियोजना की नहरों में पानी छोड़ते ही इनके गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य की पोल खुल गई. नहरों में पानी आते ही ये नहरें जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गईं. वहीं पानी के दबाव में नहरें जमीन में धंस गईं.

जिला मुख्यालय से लगे गांवों से होकर गुजरने वाली इंदिरा सागर परियोजना का निर्माण कार्य ग्वालियर की केडीएस प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी देख रही है. मॉनिटरिंग सरकारी विभाग के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क्रमांक 11 द्वारा की जा रही है. घटिया क्वॉलिटी की नहरों में जब पानी छोड़ा गया, तो नानी गांव, बड़वानी और बोम्या गांवों में मुख्य नहरों ने ही दम तोड़ दिया. नहरों के फूटने से हजारों क्यूसेक पानी बर्बाद हो गया.

पानी छोड़ा तो नहर ने दम तोड़ा

पानी से कई जगहों पर पर बरसाती झरनों जैसी स्थिति हो गई. किसानों के खेतों में पानी घुस गया. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क्रमांक 11 के सब इंजीनियर से जब ईटीवी भारत ने नहरों के निर्माण में भ्रष्टाचार और गुणवत्ता को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग और निर्माण एजेंसी ने लापरवाही बरती है.

Intro:बड़वानी । निमाड़ की महत्वपूर्ण जल परियोजनाओं पर भ्रष्टाचार का ग्रहण ऐसा लगा कि सरकारी बदल गई पर ढर्रा नहीं बदला, समयसीमा गुजरने के बावजूद परियोजनाए पूरी तो नही रही किन्तु इसका बजट साल दर साल जरूर बढ़ता जा है। निमाड़ से सरकार में तीन मंत्री शामिल है जो कि किसानों को आश्वासन के अलावा हवाई बातें कर अपने दायित्व की इतिश्री कर रहे हैं। ईटीवी भारत पहले भी क्षेत्र की परीयोजनाओं में अनियमितता को लेकर आवाज उठा चुका है । 15 दिन पहले इंदिरा सागर परियोजना की मुख्य नहर दो स्थानों से टूट गई थी जिससे हजारो क्युमेक्स पानी बह गया जो किसी काम न आ सका । निर्माण एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड ने ताबड़तोड़ घटिया निर्माण पर डालते हुए दुरस्त करवा दिया लेकिन बमुश्किल एक पखवाड़ा भी नही बिता और उसी जगह नहर फिर धंस गई। प्रदेश में किसानों के हितों के मुद्दे पर सत्ता में आई कांग्रेस के मंत्री बाला बच्चन और प्रभारी मंत्री विजयालक्ष्मी साधु ने हाल ही में जिला योजना समिति की बैठक में नहरों के मुद्दे पर प्रशासन का आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे। उसके बावजूद प्रशासनिक कसावट नजर नहीं आ रही है किसानों के अनुसार रबी की फसल को लेकर बोवनी का सीजन निकलता जा रहा है वहीं किसान नहर के पानी से सिंचाई की बाट देख रहे है किंतु टूटती फूटती नहरे किसानों पर पानी फेर रही है।


Body:जिले में किसानों को रबी की फसल के लिए इंदिरा सागर परियोजना की नहरों में पानी छोड़ा गया किन्तु गुणवत्ताविहीन निर्माण की पोल खुल गई और जगह-जगह से नहरें टूट फुट गई वही पानी के दबाव में नहरे की बह निकली।
मध्यप्रदेश में भले ही सरकार बदल गई किन्तु प्रदेश के मंत्रियों और अधिकारियों के काम करने के तौर तरीकों में कोई बदलाव नही आया । कमलनाथ सरकार के मंत्री जुबानी जुमलो में पुरानी सरकार के समय से चल रही परियोजनाओं में भ्रष्टाचार की बात तो मानते है और केवल कोरी कार्यवाही और सुधार की बात करते है किंतु स्थिति वर्तमान में जस की तस है इसका जीता जागता उदारहण इंदिरा सागर जल परियोजना है जिसको लेकर गृहमंत्री पिछले 10 माह से केवल सुधार की बात करते नजर आ रहे है किंतु प्रशासनिक हलचल कुछ नही होती।

बात करें इंदिरा सागर परियोजना की तो यह पश्चिम निमाड़ की एक वृहद जल परियोजना है जो 3182 करोड़ से अधिक की होकर 2009 में खण्डवा जिले से शुरू होकर दस साल बाद भी अपूर्ण है। इस परियोजना से 244 किमी लम्बी नहरों के जाल से कुल 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होने का लक्ष्य रखा गया है जिसमे बड़वानी जिले में तृतीय व चतुर्थ चरण की नहरों से बड़वानी व राजपुर विधानसभा में लगभग 90 किमी लम्बाई होकर 721 करोड़ रुपए से नहरों का विस्तार होना है जिससे जिले की 19 हजार 600 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होंगी जिससे करीब 134 गांवो के हजारों किसानों को फायदा मिलना है। यह परियोजना वैसे तो 2016 में पूर्ण होना थी किन्तु दस साल बाद भी अपूर्ण होकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई वही परियोजना का बजट भी साल दर साल बढ़ता जा रहा है।

जिला मुख्यालय से लगे गांवो से होकर गुजरने वाली इंदिरा सागर परियोजना के निर्माण कार्य केडीएस प्रा. लिमिटेड एजेंसी जो ग्वालियर की होकर देख रही रही है तथा मॉनिटरिंग सरकारी विभाग के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क्रमांक 11 द्वारा की जा रही है । गुणवत्ताविहीन नहरों में जब पानी छोड़ा गया तो नानी बड़वानी और बोम्या गांवो में मुख्य नहरों ने ही दम तोड़ दिया और हजारो क्युमेक्स पानी बर्बाद होगा वही कही स्थानों पर बरसाती झरनों जैसी स्थिति हो गई तो कई किसानों के खेतों में पानी घुस गया। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क्रमांक 11 के सब इंजीनियर से जब ईटीवी भारत ने नहरों के निर्माण में भ्रष्टाचार और गुणवत्ता को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग और निर्माण एजेंसी द्वारा लापरवाही बरती गई है वही क्षेत्र के विधायक व प्रदेश के गृहमंत्री केवल जुबानी खर्च कर नहरों की गुणवत्ता सुधारने की बात कर रहे हैं लेकिन इसके विपरीत लालफीताशाही के चलते नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ रहा है।
बाइट01-विजय वास्कले-सरपंच,बोम्या
बाइट02-कमल धाकड़-सुपरवाइजर निर्माण एजेंसी


Conclusion:खेती को लाभ का धंधा बताकर पिछले 15 साल प्रदेश में राज कर गई भाजपा के बाद अब किसानों के हक में बात करने वाली कांग्रेस की स्थिति चोर -चोर मसोरे भाईयो जैसी दिखाई दे रही है क्योंकि निमाड़ का किसान आज भी दोनों सरकारों में उपेक्षित है। बड़ी बड़ी परियोजनाए करप्शन की भेंट चढ़ गई किन्तु नेता केवल जुमलो पर ही किसानों के हित की बात करती नजर आती है। इंदिरा सागर जल परियोजना की नहरों के फूटने से एक और निर्माण तथा मॉनिटरिंग एजेंसी की पोल खुल गई वही प्रदेश के नम्बर 2 मंत्री बाला बच्चन की 10 माह से किसानों के हित की बात फूटी नहरों के समान थोथी साबित होती नजर आ रही है।
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