बड़वानी । जिले में अब छोटे किसान भी काले गेहूं की पैदावार को लेकर आकर्षित हो रहे हैं. काले गेहूं का बाजार भाव और प्रोटीन होने से किसान काले गेहूं की पैदावार की ओर ध्यान देने लगे हैं. कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एस के बड़ोदिया का कहना है की काले गेहूं में ऐंथासाएनिन नाम के प्रिगमेंट होते है. ऐंथासाएनिन की अधिकता से फलों, सब्जियों, अनाजों का रंग नीला या काला हो जाता है. ऐंथासाएनिन नेचुरल एंटी आक्सीडेंट भी है, जिस वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. आम गेहूं में ऐंथासाएनिन महज 5 PPM होता है, लेकिन काले गेहूं में 100 से 200 के आसपास PPM होता है.
काले गेहूं से बीमारी की रोकथाम में फायदा
काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है. आम गेहूं की तुलना में काले गेहूं में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है. यह शरीर से फ्री रेडिकल्स निकालकर हार्ट, कैंसर, डायबिटीज, मोटापा और अन्य बीमारियों की रोकथाम करता है.
शुगर फ्री होने के चलते बाजार में अब लोग इसे पसंद करने लगे हैं. लोग काले गेहूं का पेटेंट भी कराने लगे हैं. पंजाब और हरियाणा के बाद प्रदेश में भी कई जगहों पर काले गेहूं की बुआई होने लगी है. कुछ किसान इसके औषधीय गुणों और बाजार में भारी दामों की वजह से बोने लगे हैं.
किसानों को फायदा
तलून के किसानों ने इस गेहूं की फसल लगाई थी, जिसकी करीब 70 क्विंंटल तक पैदावर हुई है. काले गेहूं की बाजार में भारी मांग है, यह 50 रूपए किलो के भाव से बिक रहा है. किसान रवि परमार का कहना है कि व्यापारी इस फसल को लगाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं.
व्यापारियों में इस गेहूं की काफी मांग है. काले गेहूं से कई बीमारियां ठीक होती हैं, जिस वजह से निमाड़ क्षेत्र का किसान इसकी पैदावार में जुटा है. काले गेहूं का बीज 100 रुपए प्रति किलो में मिलता है, और इसकी कीमत भी आम गेहूं की तुलना में ज्यादा मिलती है. काले गेहूं कि रोटी का स्वाद भी अच्छा होने के चलते लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं. धीरे-धीरे छोटे किसान भी काले गेहूं को बोकर फायदा कमा रहे हैं.