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विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ बावनगजा पर पसरा सन्नाटा, नहीं पहुंच रहे श्रद्धालु - lockdown

बड़वानी के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बावनगजा पर अनलॉक 1.0 के बावजूद श्रद्धालु नहीं पहुंच रहे हैं. जिसकी वजह से अब यहां मंदिर प्रबंधन के सामने कई समस्याएं आ रहीं हैं.

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जैन तीर्थ बावनगजा
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Published : Jun 18, 2020, 2:21 AM IST

Updated : Jun 18, 2020, 5:42 PM IST

बड़वानी। जिला मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध जैन तीर्थ बावनगजा पर अनलॉक 1.0 के बावजूद सन्नाटा पसरा हुआ है. तमाम धार्मिक स्थलों को खोलने के सरकारी आदेश के बाद ये तीर्थ स्थल भी श्रध्दालुओं और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन अभी महज दो-चार श्रद्धालु ही यहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ सतपुड़ा की उच्च श्रृंखला चूलगिरी पर स्थित है. यहां एक ही पहाड़ी को काटकर 52 गज की पाषाण प्रतिमा स्थापित की गई है, जो जैन धर्म के अनुयायियों का पवित्र तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए पर्यटन का केंद्र है.

जैन तीर्थ बावनगजा पर पसरा सन्नाटा

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर की है प्रतिमा

पहाड़ की चट्टान को काटकर बनाई ये प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी की है. ये प्रतिमा 84 फीट यानी 52 गज ऊंजी है. माना जाता है कि इसका निर्माण 12 वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था, लेकिन इस संबंध में पर्याप्त जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है. पाषाण प्रतिमा को बनाने वाले का नाम भी अज्ञात है. वहीं एक शिलालेख के अनुसार सवंत् 1516 में बावनगजा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया और इसके आस-पास 10 से अधिक जिनालय बनाए गए.

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जैन तीर्थ बावनगजा

कोरोना काल में पसरा सन्नाटा

सतपुड़ा की पर्वत श्रंखला में स्थित जैन तीर्थ बहुत ही मनोरम है. बारिश के मौसम में यहां अलग ही छटा देखते को मिलती है. वैसे तो इस तीर्थ स्थान पर पर्यटकों का आना-जाना 12 महीना ही लगा रहता है, लेकिन कोरोना काल के चलते मौजूदा समय में यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. प्रदेश सरकार ने बावनगजा को धार्मिक पर्यटन स्थल भी घोषित किया है. साथ ही यहां एक बार में 500 यात्रियों के ठहरने की सर्वसुविधाजनक व्यवस्था की गई है. जिसका संचालन बावनगजा ट्रस्ट द्वारा किया जाता है.

तीर्थ स्थल के प्रबंधक इंद्रजीत मंडलोई बताते हैं कि बरसात के मौसम में जहां रोज करीब 13 सौ से ज्यादा श्रद्धालु और पर्यटक आते थे, लेकिन कोरोना काल के चलते इनकी संख्या में भारी कमी आई है. जिससे अब तीर्थ नगरी के प्रबंधन में कई समस्याएं आ रहीं हैं. इस स्थान पर 12 वर्षों में एक बार मेला लगता है. सतपुड़ा की मनोरम पहाड़ियों में स्थित ये प्रतिमा भूरे रंग की है. सैकड़ों सालों से ये दिव्य प्रतिमा अहिंसा और आपसी सद्भाव का संदेश देते आ रही है.

बड़वानी। जिला मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध जैन तीर्थ बावनगजा पर अनलॉक 1.0 के बावजूद सन्नाटा पसरा हुआ है. तमाम धार्मिक स्थलों को खोलने के सरकारी आदेश के बाद ये तीर्थ स्थल भी श्रध्दालुओं और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन अभी महज दो-चार श्रद्धालु ही यहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ सतपुड़ा की उच्च श्रृंखला चूलगिरी पर स्थित है. यहां एक ही पहाड़ी को काटकर 52 गज की पाषाण प्रतिमा स्थापित की गई है, जो जैन धर्म के अनुयायियों का पवित्र तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए पर्यटन का केंद्र है.

जैन तीर्थ बावनगजा पर पसरा सन्नाटा

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर की है प्रतिमा

पहाड़ की चट्टान को काटकर बनाई ये प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी की है. ये प्रतिमा 84 फीट यानी 52 गज ऊंजी है. माना जाता है कि इसका निर्माण 12 वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था, लेकिन इस संबंध में पर्याप्त जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है. पाषाण प्रतिमा को बनाने वाले का नाम भी अज्ञात है. वहीं एक शिलालेख के अनुसार सवंत् 1516 में बावनगजा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया और इसके आस-पास 10 से अधिक जिनालय बनाए गए.

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जैन तीर्थ बावनगजा

कोरोना काल में पसरा सन्नाटा

सतपुड़ा की पर्वत श्रंखला में स्थित जैन तीर्थ बहुत ही मनोरम है. बारिश के मौसम में यहां अलग ही छटा देखते को मिलती है. वैसे तो इस तीर्थ स्थान पर पर्यटकों का आना-जाना 12 महीना ही लगा रहता है, लेकिन कोरोना काल के चलते मौजूदा समय में यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. प्रदेश सरकार ने बावनगजा को धार्मिक पर्यटन स्थल भी घोषित किया है. साथ ही यहां एक बार में 500 यात्रियों के ठहरने की सर्वसुविधाजनक व्यवस्था की गई है. जिसका संचालन बावनगजा ट्रस्ट द्वारा किया जाता है.

तीर्थ स्थल के प्रबंधक इंद्रजीत मंडलोई बताते हैं कि बरसात के मौसम में जहां रोज करीब 13 सौ से ज्यादा श्रद्धालु और पर्यटक आते थे, लेकिन कोरोना काल के चलते इनकी संख्या में भारी कमी आई है. जिससे अब तीर्थ नगरी के प्रबंधन में कई समस्याएं आ रहीं हैं. इस स्थान पर 12 वर्षों में एक बार मेला लगता है. सतपुड़ा की मनोरम पहाड़ियों में स्थित ये प्रतिमा भूरे रंग की है. सैकड़ों सालों से ये दिव्य प्रतिमा अहिंसा और आपसी सद्भाव का संदेश देते आ रही है.

Last Updated : Jun 18, 2020, 5:42 PM IST
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