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युवा पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य के गुर सिखा रहीं मउमाला, कॉलेजों में दे रहीं प्रशिक्षण

शास्त्रीय नृत्य कत्थक में अपनी अलग पहचान बनाने वाली दिल्ली की युवा कलाकार मउमाला बड़वानी में स्पिक मैके सोसाइटी के तहत शहीद भीमा नायक महाविद्यालय में विद्यार्थियों को शास्त्रीय नृत्य की बारीकियों से अवगत कराया.

शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण देतीं मउमाला
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Published : Oct 20, 2019, 8:32 PM IST

Updated : Oct 20, 2019, 8:48 PM IST

बड़वानी। शहर के शहीद भीमा नायक महाविद्यालय में शास्त्रीय संगीत व नृत्य में पारंगत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली कलाकार मउमाला ने विद्यार्थियों को कत्थक नृत्य की मुद्रा व भावों की अभिव्यक्ति के बारे में बताते हुए प्रशिक्षण दिया.

शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण देतीं मउमाला

भारतीय शास्त्रीय संगीत व लोक संस्कृति का प्रचार प्रसार करने स्पिक मैके सोसाइटी के तहत शासकीय व निजी विद्यालयों व महाविद्यालयों में मउमाला ने कत्थक नृत्य का प्रदर्शन करते हुए नृत्य की विधाओं से छात्राओं को अवगत कराया.

उन्होंने बताया कि शास्त्रीय नृत्य आठ तरह के होते हैं, जिसमें कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिसी, कथकली, कुचीपुड़ी, सत्रीय, मणिपुरी शामिल है. उन्होंने शास्त्रीय नृत्य की तालीम उस्ताद बिरजू महाराज के सानिध्य में पूरी की थी. साथ ही इसके प्रसार के लिए स्पिक मैके सोसाइटी से जुड़कर युवा पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य के गुर सिखा रही हैं.

उनका कहना है कि आधुनिकता की दौड़ में कुछ समय लोगों की रुचि बदली थी, किन्तु अब टीवी शो व शोसल मीडिया पर चल रहे कार्यक्रमों के चलते युवा पीढ़ी का झुकाव बढ़ रहा है. मउमाला भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों को इसका महत्व समझा रही हैं.

बड़वानी। शहर के शहीद भीमा नायक महाविद्यालय में शास्त्रीय संगीत व नृत्य में पारंगत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली कलाकार मउमाला ने विद्यार्थियों को कत्थक नृत्य की मुद्रा व भावों की अभिव्यक्ति के बारे में बताते हुए प्रशिक्षण दिया.

शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण देतीं मउमाला

भारतीय शास्त्रीय संगीत व लोक संस्कृति का प्रचार प्रसार करने स्पिक मैके सोसाइटी के तहत शासकीय व निजी विद्यालयों व महाविद्यालयों में मउमाला ने कत्थक नृत्य का प्रदर्शन करते हुए नृत्य की विधाओं से छात्राओं को अवगत कराया.

उन्होंने बताया कि शास्त्रीय नृत्य आठ तरह के होते हैं, जिसमें कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिसी, कथकली, कुचीपुड़ी, सत्रीय, मणिपुरी शामिल है. उन्होंने शास्त्रीय नृत्य की तालीम उस्ताद बिरजू महाराज के सानिध्य में पूरी की थी. साथ ही इसके प्रसार के लिए स्पिक मैके सोसाइटी से जुड़कर युवा पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य के गुर सिखा रही हैं.

उनका कहना है कि आधुनिकता की दौड़ में कुछ समय लोगों की रुचि बदली थी, किन्तु अब टीवी शो व शोसल मीडिया पर चल रहे कार्यक्रमों के चलते युवा पीढ़ी का झुकाव बढ़ रहा है. मउमाला भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों को इसका महत्व समझा रही हैं.

Intro:बड़वानी। जिला मुख्यालय पर शहीद भीमा नायक महाविद्यालय में शास्त्रीय संगीत व नृत्य में पारंगत अंतरास्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली कलाकार सुश्री मउमाला ने विद्यार्थियों को कत्थक नृत्य की मुद्रा व भावों की अभिव्यक्ति के बारे में बताते हुए प्रशिक्षण दिया।


Body: भारतीय शास्त्रीय संगीत तथा लोक संस्कृति का प्रचार प्रसार करने स्पिक मैके के तहत बड़वानी जिले में शासकीय व निजी विद्यालयों व महाविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली सुश्री मउमाला ने कत्थक नृत्य का प्रदर्शन करते हुए नृत्य की विधाओ के बारे में छात्राओं को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि शास्त्रीय नृत्य 8 प्रकार के होते है जिसमे कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिसा,कथकली, कचीपुड़ी, सत्रीय, मणिपुरी आदि।
मउमाला ने बताया कि बताया कि शास्त्रीय नृत्य की तालीम उस्ताद बिरजू महाराज के सानिध्य में पूरी की साथ ही देश विदेशो में कई शहरो में प्रस्तुतियां दी है साथ ही इसके प्रसार प्रचार के लिए स्पिक मैके से जुड़ कर युवा पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य के गुर सीखा रही है, हालांकि आधुनिकता की दौड़ में कुछ समय लोगो की रुचि बदली थी किन्तु अब टीवी शो व शोसल मीडिया पर चल रहे कार्यक्रमों के चलते युवापीढ़ी का झुकाव बना हुआ है।
बाइट01-सुश्री मउमाला - प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना


Conclusion:देश एवं विदेशो में कत्थक जैसे शास्त्रीय नृत्य में अपनी अलग पहचान बनाने वाली दिल्ली की युवा कलाकार सुश्री मउमाला बड़वानी जैसे आदिवासी बहुल पिछड़े जिले में स्पिक मैके के तहत विद्यार्थियों को शास्त्रीय नृत्य की बारीकियों से अवगत करा रही है।
Last Updated : Oct 20, 2019, 8:48 PM IST
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