बड़वानी। शहर के शहीद भीमा नायक महाविद्यालय में शास्त्रीय संगीत व नृत्य में पारंगत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली कलाकार मउमाला ने विद्यार्थियों को कत्थक नृत्य की मुद्रा व भावों की अभिव्यक्ति के बारे में बताते हुए प्रशिक्षण दिया.
भारतीय शास्त्रीय संगीत व लोक संस्कृति का प्रचार प्रसार करने स्पिक मैके सोसाइटी के तहत शासकीय व निजी विद्यालयों व महाविद्यालयों में मउमाला ने कत्थक नृत्य का प्रदर्शन करते हुए नृत्य की विधाओं से छात्राओं को अवगत कराया.
उन्होंने बताया कि शास्त्रीय नृत्य आठ तरह के होते हैं, जिसमें कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिसी, कथकली, कुचीपुड़ी, सत्रीय, मणिपुरी शामिल है. उन्होंने शास्त्रीय नृत्य की तालीम उस्ताद बिरजू महाराज के सानिध्य में पूरी की थी. साथ ही इसके प्रसार के लिए स्पिक मैके सोसाइटी से जुड़कर युवा पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य के गुर सिखा रही हैं.
उनका कहना है कि आधुनिकता की दौड़ में कुछ समय लोगों की रुचि बदली थी, किन्तु अब टीवी शो व शोसल मीडिया पर चल रहे कार्यक्रमों के चलते युवा पीढ़ी का झुकाव बढ़ रहा है. मउमाला भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों को इसका महत्व समझा रही हैं.