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अंधियारे को ज्ञान से दे रहे हैं मात, नेत्रहीन दंपति बच्चों में जगा रहे हैं शिक्षा की अलख

बड़वानी के नेत्रहीन दंपति स्कूली बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. वो अपनी जिंदगी के अंधियारे को भुला कर बच्चों की जिंदगी में ज्ञान का उजाला फैला रहे हैं.

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Published : Feb 23, 2019, 3:41 PM IST

बड़वानी। उनकी जिंदगी में रोशनी की चमक फीकी जरूर पड़ गई है, लेकिन वे खुद एक दीपक बनकर 200 बच्चों की जिंदगियों में उजाला फैला रहे हैं. एक ऐसा उजाला जो ताउम्र उन्हें जिंदगी के मुश्किल पड़ावों को पार करने में मदद करेगा. ये उजाला है शिक्षा का.

teacher
शिक्षक


हम बात कर रहे हैं वनग्राम डोंगरगांव के नेत्रहीन दंपत्ति वरदीचंद पाटीदार और उनकी पत्नी सीमा पाटीदार की. जो अलग-अलग घटनाओं में कई सालों पहले अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं. लेकिन आज अपने हौसले के दम पर वो 200 बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. ये दंपति अपने बुलंद हौसलों के बलबूते पर स्वावलंबी बन गए हैं और आम लोगों की तरह अपनी जिंदगी जी रहे हैं. वो रोज अपने घर से 2 किमी दूर कभी बस से तो कभी पैदल चलकर अम्बा फलिए के स्कूल में पढ़ाने जाते हैं. आम लोगों की तरह अपना काम करते हैं.

शिक्षक


ये नेत्रहीन दंपति ब्रेल लिपी के माध्यम से नन्हे जुगनुओं समान बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. जहां एक ओर बच्चों की जिंदगी शिक्षा और ज्ञान की रोशनी से चमक रही है, तो वहीं साथी शिक्षक इन पति-पत्नी से प्रेरणा ले रहे हैं. उनका कहना है कि इन्हें देखकर उन्हें सीख मिलती है कि अगर हौसला बुलंद हो, तो हम अपनी कमी को भी अपनी ताकत बना सकते हैं.


इन पति-पत्नी की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा है, लेकिन हम दाद देते हैं इनकी जिंदादिली की, जो अपने जज्बे से इन मासूमों की जिंदगी को रोशन कर रहे हैं और कईयों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं.

बड़वानी। उनकी जिंदगी में रोशनी की चमक फीकी जरूर पड़ गई है, लेकिन वे खुद एक दीपक बनकर 200 बच्चों की जिंदगियों में उजाला फैला रहे हैं. एक ऐसा उजाला जो ताउम्र उन्हें जिंदगी के मुश्किल पड़ावों को पार करने में मदद करेगा. ये उजाला है शिक्षा का.

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शिक्षक


हम बात कर रहे हैं वनग्राम डोंगरगांव के नेत्रहीन दंपत्ति वरदीचंद पाटीदार और उनकी पत्नी सीमा पाटीदार की. जो अलग-अलग घटनाओं में कई सालों पहले अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं. लेकिन आज अपने हौसले के दम पर वो 200 बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. ये दंपति अपने बुलंद हौसलों के बलबूते पर स्वावलंबी बन गए हैं और आम लोगों की तरह अपनी जिंदगी जी रहे हैं. वो रोज अपने घर से 2 किमी दूर कभी बस से तो कभी पैदल चलकर अम्बा फलिए के स्कूल में पढ़ाने जाते हैं. आम लोगों की तरह अपना काम करते हैं.

शिक्षक


ये नेत्रहीन दंपति ब्रेल लिपी के माध्यम से नन्हे जुगनुओं समान बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. जहां एक ओर बच्चों की जिंदगी शिक्षा और ज्ञान की रोशनी से चमक रही है, तो वहीं साथी शिक्षक इन पति-पत्नी से प्रेरणा ले रहे हैं. उनका कहना है कि इन्हें देखकर उन्हें सीख मिलती है कि अगर हौसला बुलंद हो, तो हम अपनी कमी को भी अपनी ताकत बना सकते हैं.


इन पति-पत्नी की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा है, लेकिन हम दाद देते हैं इनकी जिंदादिली की, जो अपने जज्बे से इन मासूमों की जिंदगी को रोशन कर रहे हैं और कईयों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं.

Intro:स्पेशल
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बड़वानी। जिले के ठेठ आदिवासी अंचल में नेत्रहीन दम्पति प्राथमिक शालाओ में ज्ञान का प्रकाश फैला रहे है वही सहकर्मी भी उनके हौसले के आगे दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर है। जी हां समय की मार से जीवन मे भले ही उनके अंधेरा हो लेकिन जीवटता से क्षेत्र में ज्ञान का प्रकाश बिखेर रहे है जिससे पहाड़ी अंचल के नन्हे जुगनू रोशन हो रहे है । छात्र भले ही नासमझ हो लेकिन इनके जज्बे कम उम्र में भी सलाम करते है और प्रेरणा लेकर अभी से कुछ बनने का सपना सजा रहे है। जन्म से दृष्टिहीन होना उतना दुष्कर नही होता जितना किसी दुर्घटना के बाद, जीवनभर के लिए अंधेरे में जीना जिसकी मात्र कल्पना से शरीर मे सिहरन पैदा हो जाती है आइए हम मिलाते है ऐसे ही एक जिंदादिल दम्पति से जिनकी जिंदगी ताउम्र के लिए अंधेरे में है लेकिन उनकी हिम्मत और जज्बे से कइयों की जिंदगी रोशन हो रही है। हाथों में हाथ लिए साथ साथ चल रहे नेत्रहीन पति पत्नी को अब आंखों से कुछ नही दिखाई देने का कोई मलाल नही है, दोनो एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना भली भांति समझते है। आम लोग की तरह अपनी दिनचर्या बिना किसी की सहायता के शुरू करते है और अपना भोजन इत्यादि खुद बना कर खाते है।


Body:हम बात कर रहे है एक ऐसे नेत्रहीन शिक्षक दम्पत्ति की जो बड़वानी जिले की पाटी तहसील के वनग्राम डोंगरगांव में रहकर शिक्षा का अलख जला रहे है ,ऐसे पति पत्नी जिनकी दोनो आंखे की ज्योति अलग अलग घटनाओं में चली गई लेकिन आम लोगो की तरह अपनी दिनचर्या का निर्वहन कर रहे है साथ ही अपने पैरों पर खड़े होकर आने वाले भविष्य को ज्ञान की रोशनी से रोशन कर रहे है। जहाँ कुछ लोग अंधत्व को अपनी कमजोरी मान लेते है और ओरो पर निर्भर हो जाते है वही कुछ बिरले लोग अपनी अमित छाप छोड़ जाते है। जी हां हम बात कर रहे है बड़वानी जिले के डोंगरगांव तथा अम्बा फलिया में पदस्थ नेत्रहीन शिक्षक पाटीदार दम्पत्ति की । शिक्षक वरदीचंद पाटीदार और उनकी पत्नी सीमा पाटीदार दोनो ही नेत्रहीन है । दोनो ही प्राथमिक शालाओ में छात्रों को ब्रेललिपि के माध्यम से अध्यापन करवाते है। शिक्षक वरदीचंद के हौसले की दाद इसलिए भी देना होगी कि डोंगरगांव से करीब 2 किमी दूर अम्बा फलिए में प्रतिदिन 2 किमी दूर पैदल चल कर स्कूल पहुंच जाते है और जल्दी पहुँचने पर स्कूल का ताला भी स्वंय खोलते है वहीं डोंगरगांव के कन्या छात्रावास में निवासरत शिक्षिका सीमा पाटीदार कभी कभी अधीक्षिका की गैरमौजूदगी में छात्राओं का ध्यान बखूबी रख लेती है । बीए तक शिक्षित यह दम्पत्ति डीएड भी किए हुए साथ ही 100 बच्चो वाली स्कूल में पाटीदार छात्रों को गणित,हिंदी और पर्यावरण विषय पढ़ाते है वही डोंगरगांव की प्राथमिक शाला में दर्ज 100 छात्राओं को श्रीमती पाटीदार ब्रेल लिपि के माध्यम से विभिन्न विषय पढ़ाती है।
शिक्षक दम्पति की कहानी भी किसी हादसे से कम नही है धार जिले की धरमपुरी तहसील के ग्राम बिखरौन की रहने वाली शिक्षिका सीमा पाटीदार 11 वर्ष की थी जब सबकुछ देखते देखते एक रात को सोकर उठी तो उसके जीवन मे अंधियारा छा चुका था ,अचानक उसकी आँखों की रोशनी जा चुकी थी वही मूलतः रतलाम जिले के ग्राम हतनारा के रहने वाले वरदीचंद 14 वर्ष की आयु में अपने खेत मे अंकल के साथ कुँए में था जहा अचानक ब्लास्टिंग होने के चलते बारूद के जहरीले धुंए और रेत के कण आंखों में जाने से दोनों आंखों की रोशनी चली गई। इस तरह अल्पआयु में खुली आंखों से सपने देखने वाले इस दम्पति के सामने काला अंधियारा छा चुका था , शुरुआत में तो दोनों को यह अंधियारा कचोटने लगा फिर धीरे धीरे दोनो ने इसी अंधियारे को लोगो के लिए रोशनी का सबब बना लिया और आज संसाधन विहीन पहाड़ी अंचल में शिक्षा की ज्योत जला रहे है। वरदीचंद बच्चो को पढ़ाने के अलावा पलंग, कुर्सी भी बड़ी सफाई से बुन लेते है । इस नेत्रहीन शिक्षक दम्पति की शादी 2004 में एक इंदौर की संस्था के माध्यम से हुई थी इनकी एक 8 वर्षीय बेटी भी है जो पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर केंद्रीय विघालय बड़वानी में अध्ययनरत है।
बाइट01-सीमा पाटीदार
बाइट02- वरदीचंद पाटीदार
बाइट03- रोशनी जमरे-छात्रा
बाइट04- निर्मला- अधीक्षिका
बाइट05- सुनीता-शिक्षिका
बाइट06- खुशबू-शिक्षिका


Conclusion:अलग अलग घटनाओं में अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके इस पाटीदार शिक्षक दम्पति के हौसले बस देखते ही बनते है , अब दोनो को इस बात का मलाल नही है कि उन्हें दिखाई नही देता है। दोनो ही क्षेत्र के नॉनिहलो के जीवन मे शिक्षा की अलख जगा कर उनका जीवन रोशन कर रहे है साथ ही सहयोगियों के लिए प्रेरणास्रोत बन उनकी भी इच्छाशक्ति को बेहतर से बेहतर करने के लिए प्रेरित कर रहे है।
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