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ISRO अध्यक्ष सोमनाथ को मिला IAF विश्व अंतरिक्ष पुरस्कार, चंद्रयान-3 के लिए हुए सम्मानित

इसरो का चंद्रयान-3 मिशन वैज्ञानिक जिज्ञासा और लागत प्रभावी इंजीनियरिंग के तालमेल का उदाहरण है, जो उत्कृष्टता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

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By PTI

Published : 2 hours ago

ISRO Chairman S Somnath
ISRO अध्यक्ष एस सोमनाथ (फोटो - ANI Photo)

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को कहा कि उसके अध्यक्ष एस सोमनाथ को चंद्रयान-3 की उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री महासंघ (आईएएफ) का प्रतिष्ठित विश्व अंतरिक्ष पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

यहां मुख्यालय वाली राष्ट्रीय एजेंसी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि "यह मान्यता अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के योगदान का जश्न मनाती है. मिलान (इटली) में जश्न चल रहा है, क्योंकि हम नई सीमाओं के लिए प्रयास जारी रखे हुए हैं."

भारतीय वायुसेना के अनुसार, इसरो का चंद्रयान-3 मिशन वैज्ञानिक जिज्ञासा और लागत प्रभावी इंजीनियरिंग के तालमेल का उदाहरण है, जो उत्कृष्टता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और अंतरिक्ष अन्वेषण द्वारा मानवता को प्रदान की जाने वाली विशाल क्षमता का प्रतीक है.

चंद्रमा की संरचना और भूविज्ञान के पहले से अनदेखे पहलुओं को तेजी से उजागर करते हुए, यह मिशन इनोवेशन के लिए एक वैश्विक प्रमाण के रूप में खड़ा है. भारतीय वायुसेना ने एक बयान में कहा कि ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए, चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला मिशन बन गया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकांक्षा और तकनीकी कौशल दोनों को प्रदर्शित करता है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-3 को पिछले वर्ष 6 जुलाई को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था और इसने 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव के निकट सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी.

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को कहा कि उसके अध्यक्ष एस सोमनाथ को चंद्रयान-3 की उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री महासंघ (आईएएफ) का प्रतिष्ठित विश्व अंतरिक्ष पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

यहां मुख्यालय वाली राष्ट्रीय एजेंसी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि "यह मान्यता अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के योगदान का जश्न मनाती है. मिलान (इटली) में जश्न चल रहा है, क्योंकि हम नई सीमाओं के लिए प्रयास जारी रखे हुए हैं."

भारतीय वायुसेना के अनुसार, इसरो का चंद्रयान-3 मिशन वैज्ञानिक जिज्ञासा और लागत प्रभावी इंजीनियरिंग के तालमेल का उदाहरण है, जो उत्कृष्टता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और अंतरिक्ष अन्वेषण द्वारा मानवता को प्रदान की जाने वाली विशाल क्षमता का प्रतीक है.

चंद्रमा की संरचना और भूविज्ञान के पहले से अनदेखे पहलुओं को तेजी से उजागर करते हुए, यह मिशन इनोवेशन के लिए एक वैश्विक प्रमाण के रूप में खड़ा है. भारतीय वायुसेना ने एक बयान में कहा कि ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए, चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला मिशन बन गया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकांक्षा और तकनीकी कौशल दोनों को प्रदर्शित करता है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-3 को पिछले वर्ष 6 जुलाई को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था और इसने 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव के निकट सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी.

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