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दिवाली फीकी कर रहा पीला सोना? सरकार ने तय की सोयबीन MSP, फिर किसान क्यों परेशान?

सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 किया है, इसके बावजूद किसान कम पैसे मिलने से परेशान हैं.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

SOYABEAN MSP LATEST ISSUE MP
सोयाबीन एमएसपी को लेकर फिर बवाल (Etv Bharat)

रतलाम : सरकार द्वारा सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल घोषित करने के बावजूद किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि मंडियों में औसत भाव 4000 से 4200 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है और इस दाम पर सोयाबीन बेचने से उन्हें प्रति क्विंटल 500 से 800 रुपए का नुकसान हो रहा है. किसान नेताओं का कहना है कि सोयाबीन को पील सोना कहा जाता है लेकिन इस पीले सोने की चमक त्योहारी सीजन में फीकी पड़ रही है क्योंकि लागत मूल्य के आधार पर सोयबीन का MSP 6000 रु प्रति क्विंटल होना चाहिए था पर ऐसा हुआ नहीं. वहीं जो दाम तय किए गए हैं मंडी में वो भी नहीं मिल रहे.

25 अक्टूबर तक उठाना होगा सोयाबीन पर नुकसान?

कृषि मंडियों में अब भी सोयाबीन 4500 रुपए प्रति क्विंटल से कम ही बिक रहा है. इस पर रतलाम के सोयाबीन उत्पादक किसान समरथ पाटीदार कहते हैं, '' सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन की घोषणा जरूर कर दी है लेकिन उसके बावजूद सोयाबीन 3800 से 4500 रु तक ही बिक रहा है. राज्य सरकार 25 अक्टूबर से 4892 पर सोयाबीन खरीदेगी. लेकिन उसके पहले किसानों को अपनी जरूरत के लिए सोयाबीन की फसल मंडियों में कम दाम पर बेचना पड़ रही.''

दिवाली सिर पर, किसान परेशान

सोयाबीन की एमएसपी 6000 रु प्रति क्विंटल जाने की मांग करने वाले किसान नेताओं का भी कहना है कि 6000 रु प्रति क्विंटल तो दूर सरकार अपनी स्वयं की घोषित एमएसपी पर भी किसानों का सोयाबीन नहीं बिकवा पा रही है. किसान नेता डीपी धाकड़ का कहते हैं, '' नवरात्रि के बाद अब दीपावली का त्योहार आने वाला है. लेकिन किसान अपनी फसल सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर बेचने के लिए या तो इंतजार कर रहे हैं या फिर सोयाबीन को 3500- 3800 और 4000 के दाम पर बेचने को मजबूर हैं. उस पर भी बारिश की वजह से सोयाबीन का उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित हुई है.''

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सोयाबीन के तेल में महंगाई की आग, 5 दिनों से लगातार बढ़ रहे रेट, जेब पर इतना पड़ेगा भार

MSP को लेकर अब भी संतुष्ट नहीं किसान?

गौरतलब है कि कैबिनेट की बैठक में सोयाबीन को 4892 रुपए के समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने का प्रस्ताव केन्द्र को मंजूरी के लिए भेजा गया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश में सोयाबीन खरीदी MSP पर करने की मंजूरी दे दी थी. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंजूरी के बाद भी प्रदेश के सोयाबनी उत्पादक किसान संतुष्ट नहीं हैं. किसान नेताओं का कहना है कि 6000 रुपए प्रति क्विंटल से कम में सोयाबीन की खरीदी मंजूर नहीं है. इसे लेकर तमाम किसान संगठनों ने मध्यप्रदेश में प्रदर्शन किया. वहीं सोयाबीन एमएसपी 4892 होने के बाद भी तय दाम नहीं मिलने से फिर किसानों में आक्रोश है.

तेजी से महंगा हो रहा सोयाबीन तेल

एक ओर जहां सोयाबीन MSP को लेकर किसान नाराजगी जाहिर कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सोयाबीन तेल के दाम में लगातार इजाफा हो रहा है. माना जा रहा है कि सोयाबीन के दाम बढ़ने का असर आने वाले दिनों में लोगों की जेब पर पड़ सकता है. सोयाबीन के दाम बढ़ने से किसानों को तो फायदा होगा पर आम आदमी को सोयाबीन ऑयल के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है.

रतलाम : सरकार द्वारा सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल घोषित करने के बावजूद किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि मंडियों में औसत भाव 4000 से 4200 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है और इस दाम पर सोयाबीन बेचने से उन्हें प्रति क्विंटल 500 से 800 रुपए का नुकसान हो रहा है. किसान नेताओं का कहना है कि सोयाबीन को पील सोना कहा जाता है लेकिन इस पीले सोने की चमक त्योहारी सीजन में फीकी पड़ रही है क्योंकि लागत मूल्य के आधार पर सोयबीन का MSP 6000 रु प्रति क्विंटल होना चाहिए था पर ऐसा हुआ नहीं. वहीं जो दाम तय किए गए हैं मंडी में वो भी नहीं मिल रहे.

25 अक्टूबर तक उठाना होगा सोयाबीन पर नुकसान?

कृषि मंडियों में अब भी सोयाबीन 4500 रुपए प्रति क्विंटल से कम ही बिक रहा है. इस पर रतलाम के सोयाबीन उत्पादक किसान समरथ पाटीदार कहते हैं, '' सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन की घोषणा जरूर कर दी है लेकिन उसके बावजूद सोयाबीन 3800 से 4500 रु तक ही बिक रहा है. राज्य सरकार 25 अक्टूबर से 4892 पर सोयाबीन खरीदेगी. लेकिन उसके पहले किसानों को अपनी जरूरत के लिए सोयाबीन की फसल मंडियों में कम दाम पर बेचना पड़ रही.''

दिवाली सिर पर, किसान परेशान

सोयाबीन की एमएसपी 6000 रु प्रति क्विंटल जाने की मांग करने वाले किसान नेताओं का भी कहना है कि 6000 रु प्रति क्विंटल तो दूर सरकार अपनी स्वयं की घोषित एमएसपी पर भी किसानों का सोयाबीन नहीं बिकवा पा रही है. किसान नेता डीपी धाकड़ का कहते हैं, '' नवरात्रि के बाद अब दीपावली का त्योहार आने वाला है. लेकिन किसान अपनी फसल सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर बेचने के लिए या तो इंतजार कर रहे हैं या फिर सोयाबीन को 3500- 3800 और 4000 के दाम पर बेचने को मजबूर हैं. उस पर भी बारिश की वजह से सोयाबीन का उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित हुई है.''

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तेजी से महंगा हो रहा सोयाबीन तेल

एक ओर जहां सोयाबीन MSP को लेकर किसान नाराजगी जाहिर कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सोयाबीन तेल के दाम में लगातार इजाफा हो रहा है. माना जा रहा है कि सोयाबीन के दाम बढ़ने का असर आने वाले दिनों में लोगों की जेब पर पड़ सकता है. सोयाबीन के दाम बढ़ने से किसानों को तो फायदा होगा पर आम आदमी को सोयाबीन ऑयल के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है.

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