बालाघाट। आज हम आपको मिलाते है एक ऐसी बुजुर्ग महिला से जो अपनी जिंदगी के 100 साल पार कर चुकी हैं. इसके बावजूद भी वह अपने स्वयं के काम खुद पर आत्मनिर्भर रहकर पूरा कर रही है. आज के दौर में इस उम्र में काम करना किसी चुनौती से कम नहीं है हालांकि वे अपने भरे पूरे परिवार के साथ रहती हैं लेकिन खुद के कार्य स्वयं ही पूरा करती हैं.
अपने काम खुद करती हैं पुरना बाई: बालाघाट के लिंगा गांव की रहने वाली बुजुर्ग महिला पुरना बाई पांचे जो 107 वर्ष की हैं और अपने भरे पूरे परिवार के साथ अपना जीवन बिता रही हैं. आज के आधुनिक युग में सौ साल की जिंदगी जीना किसी सपने से कम नहीं है. इतनी उम्र दराज होने के बाद भी पुरना बाई बिना चश्मे के अपने स्वयं के कार्य खुद कर लेती हैं. हालांकि उम्र अधिक होने से पुरना बाई के कानों में अब कम सुनाई देता है लेकिन दिमागी तौर पर वह दुरुस्त हैं. पुरना बाई के परिवार के लोग बताते हैं कि उन्होंने अभी तक अपने जीवन की 5 पीढ़ियों का सफर तय कर लिया है.
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बुजुर्ग महिला का हुआ सम्मान: अब भारत निर्वाचन आयोग द्वारा एक खास पहल शुरू की गई है. जिसमें 100 या 100 साल से अधिक जीवन यापन करने वाले उम्र दराज लोगों को चिन्हित किया जा रहा है. जिनका सम्मान भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा किया जा रहा है. इसी सिलसिले में वृद्धजन दिवस पर 100 साल पूरे कर चुके बालाघाट जिले से 32 बुजुर्गो का चयन किया गया, जिसमें से एक पुरना बाई भी हैं. यह जिले में सबसे उम्रदराज हैं. जिनका सम्मान भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा बालाघाट कलेक्ट्रेट कार्यालय में किया गया. बता दें कि पूरे मध्यप्रदेश में ऐसे मतदाताओं की संख्या 4927 है. जिन्होंने 1951-1952 से अब तक चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा भी लिया है. ऐसे वरिष्ठ मतदाताओं का वृद्ध जन दिवस के अवसर पर आज शाॅल, श्रीफल, प्रमाण पत्र देकर फूल माला पहनाकर सम्मान किया गया.
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