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जीना इसी का नाम : मरीजों के लिए डॉ प्रज्ञा ने स्कूटी से किया 180 किमी का सफर

कोरोना काल में जहां बदइंतजामी और दवाओं के लिए मारामारी की खबरें सुनने को मिल रही हैं. ऐसे में डॉक्टर प्रज्ञा जैसे लोगों का सेवाभाव सुकून देता है. डॉ प्रज्ञा अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए अकेले ही स्कूटी पर निकल पड़ीं. मरीजों की सेवा करने के लिए उन्होंने ना धूप की परवाह की, ना भूख-प्यास की फिक्र.

salute to dr pragya
डॉ प्रज्ञा के हौसले को सलाम
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Published : Apr 22, 2021, 8:44 PM IST

बालाघाट। कोरोना काल में सेवा के जज्बे की एक बड़ी मिसाल बालाघाट की एक बेटी ने पेश की है. प्रज्ञा घरड़े नाम की यह बेटी पेशे से डॉक्टर है और नागपुर के निजी अस्पताल के एक कोविड केयर सेंटर में सेवाएं देती हैं.

जीना इसी का नाम : मरीजों के लिए डॉ प्रज्ञा ने स्कूटी से किया 180 किमी का सफर

जीना इसी का नाम है

डॉ. प्रज्ञा छुट्टी पर अपने घर आईं थीं. अचानक संक्रमण बढऩे के बाद उन्हें छुट्टी के बीच ही नागपुर चिकित्सकीय सेवाएं देने लौटना पड़ रहा था. लेकिन लॉकडाउन में महाराष्ट्र की ओर जाने वाली बसें और ट्रेन के साधन नहीं मिलने पर डॉ प्रज्ञा ने अपनी स्कूटी से ही नागपुर तक का सफर तय करने का फैसला किया.डॉ प्रज्ञा के परिजन पहले तो बेटी को ऐसे भेजने में झिझक रहे थे, लेकिन उनकी सेवा भावना और दृढ़ इच्छाशक्ति देखते हुए उन्होंने भी बेटी का साथ देना ठीक समझा. डॉक्टर प्रज्ञा सुबह स्कूटी से नागपुर के लिए निकल गईं.दोपहर में वहां पहुंचते ही वो मरीज के इलाज में लग गईं.

ready for job
काम पर चलना है, मरीजों की सेवा करनी है

मरीजों की सेवा नौकरी नहीं, धर्म है

बालाघाट की इस साहसी बेटी प्रज्ञा ने बताया कि वह नागपुर में रोजाना 6 घंटे एक कोविड अस्पताल में सेवा देती हैं. यहां वे RMO के पद पर कार्यरत हैं. इसके अलावा रोजाना शाम को भी एक अन्य अस्पताल में सेवाएं देती हैं. उन्हें लगभग रोज 12 घंटे से ज्यादा समय तक PPE किट पहनकर काम करना पड़ता है.

dr pragya ready
ना धूप की चिंता, ना खाने-पीने की फिक्र

किसी के काम आना ही जीवन है

प्रज्ञा ने बताया कि वह अपने घर आईं थीं. इस दौरान लॉकडाउन लग जाने के कारण नागपुर वापसी का साधन नहीं मिला. लेकिन जब उन्हें ये पता चला कि मरीजों की संख्या बढ़ रही है, तो वो स्कूटी से ही लगभग 180 किमी तक का सफर तय कर नागपुर पहुंच गईं.

'किसी के काम आना ही जीवन है'

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सफर मुश्किल था, लेकिन मन की शांति मिली

खुद स्कूटी चलाकर बालाघाट से नागपुर तक तेज धूप और गर्मी में 180 किलोमीटर का सफर 7 घंटे में पूरा हुआ. धूप और गर्मी ने तो परेशान किया ही, रास्ते में कुछ खाने पीने को नहीं मिला, लेकिन दोबारा अपने काम पर लौटने और मरीजों की सेवा करने का सुकून मन को शांति दे रहा है.

बालाघाट। कोरोना काल में सेवा के जज्बे की एक बड़ी मिसाल बालाघाट की एक बेटी ने पेश की है. प्रज्ञा घरड़े नाम की यह बेटी पेशे से डॉक्टर है और नागपुर के निजी अस्पताल के एक कोविड केयर सेंटर में सेवाएं देती हैं.

जीना इसी का नाम : मरीजों के लिए डॉ प्रज्ञा ने स्कूटी से किया 180 किमी का सफर

जीना इसी का नाम है

डॉ. प्रज्ञा छुट्टी पर अपने घर आईं थीं. अचानक संक्रमण बढऩे के बाद उन्हें छुट्टी के बीच ही नागपुर चिकित्सकीय सेवाएं देने लौटना पड़ रहा था. लेकिन लॉकडाउन में महाराष्ट्र की ओर जाने वाली बसें और ट्रेन के साधन नहीं मिलने पर डॉ प्रज्ञा ने अपनी स्कूटी से ही नागपुर तक का सफर तय करने का फैसला किया.डॉ प्रज्ञा के परिजन पहले तो बेटी को ऐसे भेजने में झिझक रहे थे, लेकिन उनकी सेवा भावना और दृढ़ इच्छाशक्ति देखते हुए उन्होंने भी बेटी का साथ देना ठीक समझा. डॉक्टर प्रज्ञा सुबह स्कूटी से नागपुर के लिए निकल गईं.दोपहर में वहां पहुंचते ही वो मरीज के इलाज में लग गईं.

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बालाघाट की इस साहसी बेटी प्रज्ञा ने बताया कि वह नागपुर में रोजाना 6 घंटे एक कोविड अस्पताल में सेवा देती हैं. यहां वे RMO के पद पर कार्यरत हैं. इसके अलावा रोजाना शाम को भी एक अन्य अस्पताल में सेवाएं देती हैं. उन्हें लगभग रोज 12 घंटे से ज्यादा समय तक PPE किट पहनकर काम करना पड़ता है.

dr pragya ready
ना धूप की चिंता, ना खाने-पीने की फिक्र

किसी के काम आना ही जीवन है

प्रज्ञा ने बताया कि वह अपने घर आईं थीं. इस दौरान लॉकडाउन लग जाने के कारण नागपुर वापसी का साधन नहीं मिला. लेकिन जब उन्हें ये पता चला कि मरीजों की संख्या बढ़ रही है, तो वो स्कूटी से ही लगभग 180 किमी तक का सफर तय कर नागपुर पहुंच गईं.

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खुद स्कूटी चलाकर बालाघाट से नागपुर तक तेज धूप और गर्मी में 180 किलोमीटर का सफर 7 घंटे में पूरा हुआ. धूप और गर्मी ने तो परेशान किया ही, रास्ते में कुछ खाने पीने को नहीं मिला, लेकिन दोबारा अपने काम पर लौटने और मरीजों की सेवा करने का सुकून मन को शांति दे रहा है.

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