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बिजली नहीं होने से अंधेरे में रहने को आदिवासी मजबूर - balaghat news

आदिवासी बैगा आज भी बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है. गांव में मूलभूत सुविधाओं की बात तो दूर, महज बिजली की रोशनी ही मिल जाये यही उनके लिये काफी है.

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Published : Jul 11, 2019, 12:10 AM IST

बालाघाट। आदिवासी बैगा मूलभूत सुविधाओं से दूर आज भी बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है. परसवाड़ा क्षेत्र के वनग्राम कुकड़ा में पिछले 15 दिनों से बिजली नहीं है, लिहाजा यहां के लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं.

Tribal people forced to live in the dark

बिजली विभाग को मामले की कई बार सूचना दी गई , लेकिन अधिकारी-कर्मचारियों ने लोगों की समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. बरसात के दिनों में अंधेरा होने की वजह से लोगों को जहरीले जीव-जंतु से भी जान का खतरा बना रहता है.

प्रशासनिक उदासिनता के चलते वनग्रामो में बिजली व्यवस्था चरमरा गई है, जिसका खामियाजा भोलेभाले आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है. बैगा आदिवासियों को शासन-प्रशासन द्वारा मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित करने का दम्भ भरा जाता है, लेकिन यहां पर जमीनी हकीकत सिर्फ ढाक के तीन पात ही है. बैगा आदिवासियों ने बिजली की सप्लाई कर अंधेरे से निजात दिलाने की गुहार लगाई है

बालाघाट। आदिवासी बैगा मूलभूत सुविधाओं से दूर आज भी बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है. परसवाड़ा क्षेत्र के वनग्राम कुकड़ा में पिछले 15 दिनों से बिजली नहीं है, लिहाजा यहां के लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं.

Tribal people forced to live in the dark

बिजली विभाग को मामले की कई बार सूचना दी गई , लेकिन अधिकारी-कर्मचारियों ने लोगों की समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. बरसात के दिनों में अंधेरा होने की वजह से लोगों को जहरीले जीव-जंतु से भी जान का खतरा बना रहता है.

प्रशासनिक उदासिनता के चलते वनग्रामो में बिजली व्यवस्था चरमरा गई है, जिसका खामियाजा भोलेभाले आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है. बैगा आदिवासियों को शासन-प्रशासन द्वारा मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित करने का दम्भ भरा जाता है, लेकिन यहां पर जमीनी हकीकत सिर्फ ढाक के तीन पात ही है. बैगा आदिवासियों ने बिजली की सप्लाई कर अंधेरे से निजात दिलाने की गुहार लगाई है

Intro:वनग्राम में निवासरत आदिवासी बैगा आज भी बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है, यहाँ मूलभूत सुविधाओं की बात तो दूर, महज बिजली की रोशनी ही मिल जाये यही उनके लिये काफी है।Body:परसवाड़ा (बालाघाट) :- जिले के आदिवासी बाहुल्य परसवाड़ा क्षेत्र के वनग्राम कुकड़ा में बिजली व्यवस्था ठप्प होने से अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर हैं बैगा आदिवासी, यहाँ पिछले 15 दिनों से बिजली व्यवस्था पूरी तरह बंद हो चुकि है जिससे बरसात के इस मौसम में जहरीले जीव जंतुओं से जान का खतरा बना रहता है, वही बार बार विभाग को सूचना देने के बाद भी अधिकारी कर्मचारियों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, ऐसी परिस्थिति में मजबूरन अंधेरे में रात बिता रहे हैं बैग आदिवासी।
हालांकि राष्ट्रीय मानव कहे जाने वाले बैगा आदिवासियों को शासन प्रशासन द्वारा मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित करने का दम्भ भरा जाता है, मगर यहां पर जमीनी हकीकत सिर्फ ढाक के तीन पात ही हैं । सरकारी आंकड़ों की मानें तो इनके लिए अनेकों योजनाएं संचालित हैं, किंतु उनके जीवन में आज भी दूर-दूर तक कहीं कोई रोशनी दिखाई नहीं देती है।
बहरहाल वनग्राम में निवासरत बैगा आदिवासियों का मानना है कि उन्हें इस बारिश के मौसम में बिजली की आपूर्ति कर अंधेरे से निजात दिला दी जाए यही उनके लिए काफी होगा जिसको लेकर वे लगातार गुहार लगा रहे हैं

अशोक गिरी गोस्वामी
Etv भारत परसवाड़ा (बालाघाट)Conclusion:प्रशासनिक उदासिनता के चलते वनग्रामो में बिजली व्यवस्था चरमरा कर रह गई है, और जिसका खामियाजा यहाँ निवासरत भोलेभाले आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है, वही शिकायत के बाद भी इनकी ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है।
जहाँ आज भी ग्रामीण अंचलों में बिजली के अभाव में अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर हैं लोग, आखिरकार ऐसे में डिजिटल इंडिया का सपना कहां तक साकार होगा ये सोचने वाली बात है।
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