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चावल घोटाले में EOW से जांच कराना सही, लेकिन CBI जांच हुई तो होंगे कई खुलासे - प्रदीप जायसवाल

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Published : Sep 4, 2020, 9:51 PM IST

बालाघाट-मंडला में हुए चावल घोटाले को लेकर निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा मामले में EOW से जांच कराए जाने के फैसले का स्वागत किया है. साथ ही कहा कि अगर सीबीआई इसकी जांच करेगी तो मामले में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

Independent MLA Pradeep Jaiswal
निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल

बालाघाट। बालाघाट-मंडला में हुए चावल घोटाले को लेकर मध्यप्रदेश राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष और निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.

निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल

मीडिया से चर्चा करते हुए प्रदीप जायसवाल ने कहा कि बालाघाट और मंडला के राईस मिलर्स ने शासन द्वारा कस्टम मीलिंग के लिए दिए गए अच्छे धान के स्थान पर घटिया और निम्न स्तरीय चावल प्रदान किया, जो कि जानवरों के खाने लायक भी नहीं था. यह चावल प्रशासन द्वारा लॉकडाउन के दौरान गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों से वितरित किया गया. यह उनके जीवन से खिलवाड़ किया गया.

प्रदीप जायसवाल ने प्रदेश शासन द्वारा इस पूरे मामले की जॉच ईओडब्ल्यू से कराने के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि चूंकि यह मामला बेहद संगीन है और इसके तार जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक फैले हुए हैं, इसीलिए यदि इसकी जांच सीबीआई से करवाई जाए, तो कई बड़े-बड़े खुलासे हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि यह कोई अभी का मामला नहीं है. यह पिछले 5-6 सालों से लगातार चला आ रहा है. पिछले लगातार 3-4 सालों से बालाघाट जिले से अन्य जिलों को जाने वाली चावल की रेंक घटिया चावल होने के कारण रिजेक्ट की जा रही है, लेकिन बाद में अधिकारीगण राईस मिल संचालकों के साथ मिलकर मामले को रफा दफा कर देते हैं.

पिछले साल भी बालाघाट जिले से प्रदेश के अन्य जिलों को भेजी गई चावल की रेक जांच के बाद रिजेक्ट हो गई थी. लेकिन उसके बावजूद भी किसी भी राईस मिलर्स पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. उन्होंने कहा कि चावल घोटाले के मामले को उनके द्वारा पहले भी विधानसभा में उठाया गया है, लेकिन शासन द्वारा कभी कोई भी कार्रवाई
नहीं की गई. जिससे व्यापारियों के हौसले बुलंद होते गए.

बालाघाट। बालाघाट-मंडला में हुए चावल घोटाले को लेकर मध्यप्रदेश राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष और निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.

निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल

मीडिया से चर्चा करते हुए प्रदीप जायसवाल ने कहा कि बालाघाट और मंडला के राईस मिलर्स ने शासन द्वारा कस्टम मीलिंग के लिए दिए गए अच्छे धान के स्थान पर घटिया और निम्न स्तरीय चावल प्रदान किया, जो कि जानवरों के खाने लायक भी नहीं था. यह चावल प्रशासन द्वारा लॉकडाउन के दौरान गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों से वितरित किया गया. यह उनके जीवन से खिलवाड़ किया गया.

प्रदीप जायसवाल ने प्रदेश शासन द्वारा इस पूरे मामले की जॉच ईओडब्ल्यू से कराने के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि चूंकि यह मामला बेहद संगीन है और इसके तार जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक फैले हुए हैं, इसीलिए यदि इसकी जांच सीबीआई से करवाई जाए, तो कई बड़े-बड़े खुलासे हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि यह कोई अभी का मामला नहीं है. यह पिछले 5-6 सालों से लगातार चला आ रहा है. पिछले लगातार 3-4 सालों से बालाघाट जिले से अन्य जिलों को जाने वाली चावल की रेंक घटिया चावल होने के कारण रिजेक्ट की जा रही है, लेकिन बाद में अधिकारीगण राईस मिल संचालकों के साथ मिलकर मामले को रफा दफा कर देते हैं.

पिछले साल भी बालाघाट जिले से प्रदेश के अन्य जिलों को भेजी गई चावल की रेक जांच के बाद रिजेक्ट हो गई थी. लेकिन उसके बावजूद भी किसी भी राईस मिलर्स पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. उन्होंने कहा कि चावल घोटाले के मामले को उनके द्वारा पहले भी विधानसभा में उठाया गया है, लेकिन शासन द्वारा कभी कोई भी कार्रवाई
नहीं की गई. जिससे व्यापारियों के हौसले बुलंद होते गए.

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