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प्रशासन की चूक की सजा भुगत रहा किसान, एक बार लिए कर्ज की दो बार की वसूली

बालाघाट जिले में रहने वाले किसान महेश कुमार ने एक बार कर्ज ले तो लिया लेकिन उसको क्या पता था की उसको दो बार कर्ज चुकाना पड़ेगा.

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Published : Dec 26, 2019, 9:59 AM IST

Farmer suffering penalty of administration lapse
प्रशासन की चूक की सजा भुगत रहा किसान

बालाघाट। मुख्यमंत्री कमलनाथ की नेतृत्व वाली राज्य सरकार किसान कर्ज माफी की बात कर रही है. तो वहीं मध्यप्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. जहां किसान आज भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है. एक ऐसा ही मामला जिले के परसवाड़ा के रहने वाले एक किसान के साथ घटा है. जहां प्रशासन की उदासीनता के चलते किसान कर्जमाफी को लेकर आज भी उलझा हुआ है. डोंगरिया गांव में रहने वाले किसान महेश कुमार पर 18 हजार रुपये से ज्यादा का कर्ज था. जब अपना धान बेचने गए तो धान खरीद केन्द्र पर उनकी 18 हजार से ज्यादा की रशीद काट ली गई.

प्रशासन की चूक की सजा भुगत रहा किसान

किसान महेश कुमार ने अप्रैल 2019 में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति परसवाड़ा से 18 हजार 616 रूपये का कर्ज लिया था. जिसे 2019 को सोसायटी में जमा कर रसीद प्राप्त कर ली. इसके साथ ही किसान ने संबंधित कार्यालय से नो ड्यूस की रशीद भी ले ली. लेकिन जब किसान समर्थन मूल्य पर धान खरीद केन्द्र पर धान बेचने गया तो उसकी 18 हजार 616 रुपये की राशि दोबारा काट ली गई. जब किसान को पावती मिली तो वह चकरा गया.

जिसके बाद किसान ने बैंक कर्मचारियों को मामले से अवगत कराया. लेकिन कोई भी उसे उसकी रकम वापस देने का वादा नहीं कर पाया. किसान महेश कुमार इस समय कभी सोसायटी तो कभी बैंक के चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी कोई भी सुनने वाला नहीं है. आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रभारी प्रबंधक सीपी पटले ने बताया कि किसान का कर्ज भूलवश दोबारा कट चुका है लेकिन उसका समाधान समिति स्तर पर निकाल लिया जाएगा.

बालाघाट। मुख्यमंत्री कमलनाथ की नेतृत्व वाली राज्य सरकार किसान कर्ज माफी की बात कर रही है. तो वहीं मध्यप्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. जहां किसान आज भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है. एक ऐसा ही मामला जिले के परसवाड़ा के रहने वाले एक किसान के साथ घटा है. जहां प्रशासन की उदासीनता के चलते किसान कर्जमाफी को लेकर आज भी उलझा हुआ है. डोंगरिया गांव में रहने वाले किसान महेश कुमार पर 18 हजार रुपये से ज्यादा का कर्ज था. जब अपना धान बेचने गए तो धान खरीद केन्द्र पर उनकी 18 हजार से ज्यादा की रशीद काट ली गई.

प्रशासन की चूक की सजा भुगत रहा किसान

किसान महेश कुमार ने अप्रैल 2019 में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति परसवाड़ा से 18 हजार 616 रूपये का कर्ज लिया था. जिसे 2019 को सोसायटी में जमा कर रसीद प्राप्त कर ली. इसके साथ ही किसान ने संबंधित कार्यालय से नो ड्यूस की रशीद भी ले ली. लेकिन जब किसान समर्थन मूल्य पर धान खरीद केन्द्र पर धान बेचने गया तो उसकी 18 हजार 616 रुपये की राशि दोबारा काट ली गई. जब किसान को पावती मिली तो वह चकरा गया.

जिसके बाद किसान ने बैंक कर्मचारियों को मामले से अवगत कराया. लेकिन कोई भी उसे उसकी रकम वापस देने का वादा नहीं कर पाया. किसान महेश कुमार इस समय कभी सोसायटी तो कभी बैंक के चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी कोई भी सुनने वाला नहीं है. आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रभारी प्रबंधक सीपी पटले ने बताया कि किसान का कर्ज भूलवश दोबारा कट चुका है लेकिन उसका समाधान समिति स्तर पर निकाल लिया जाएगा.

Intro:प्रशासनिक उदासीनता के चलते किसान परेशान, एक बार लिए गए कर्ज की दो दो बार की गई वसूली, अब किसान लगा रहा दफ्तर के चक्करBody:परसवाड़ा (बालाघाट):- शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते प्रदेश में किसान शोषित, पीड़ित और वंचित नजर आ रहा है, कहीं कर्जमाफी उलझन बनी, तो कहीं समर्थन मूल्य पर बेचे गए धान के भुगतान के लिए भटकना पड़ा, कहीं शासन की योजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ा, तो कहीं पर अपनी उपज बेचने के लिए महिनो सोसायटीयों के चक्कर लगाना पड़ा, इन सब के बावजूद किसान की समस्याओं से न तो प्रदेश की सरकार को सरोकार है और न ही प्रशासन के नुमाइंदे किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीर नजर आ रहें है, हद तो तब हो गई जब किसान के द्वारा लिए गए कर्ज की राशि एक बार की बजाय दो दो बार वसूली जा रही है, इसे प्रशासनिक उदासीनता कहें या जवाबदारों की अकर्मन्यता, जहां किसान को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है, बहरहाल जो भी हो किन्तु एक मजबूर किसान से कर्ज की राशि दो दो बार वसूली किये जाने से जवाबदारों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े होना लाजमी है।

पूरा मामला बालाघाट जिले के आदिम जाति सेवा सहकारी समिति परसवाड़ा अंतर्गत आने वाले ग्राम डोंगरिया का है, जहां निवासरत एक किसान महेश कुमार पिता बुदधनसिंह यादव द्वारा अप्रैल 2019 में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति परसवाड़ा से 18616 रू का कर्ज लिया था, जिसे 02/11/2019 को सोसायटी में जमा कर रसीद प्राप्त कर ली गई, वहीं संबंधित कार्यालय से नो ड्यूस का प्रपत्र भी ले लिया गया, किन्तु इसके बाद समर्थन मूल्य पर धान खरीदी केन्द्र परसवाड़ा में उक्त किसान द्वारा धान बेचा गया तो उसे प्राप्त पावती में 18616 रू की राशि दोबारा काट ली गई, जैसे ही किसान ने पावती प्राप्त किया, वह चकरा गया, और आनन फानन में दौड़ लगाता हुआ बैंक की ओर भागा, जहां पर कर्मचारियों से अपनी व्यथा सुनाई किन्तु कृषक के बताए अनुसार संबंधित अधिकारियों के द्वारा किसान को कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब नही दिया गया, जिससे किसान मानसिक रूप से प्रताड़ना झेलते हुए कभी सोसायटी तो कभी बैंक के चक्कर लगाने पड़े, किन्तु कोई समाधान नही होने पर ग्राम के जागरूक नागरिकों से अपनी व्यथा सुनाई, जिन्होने मीडिया के माध्यम से किसान की समस्याओं को सामने लाकर उसे शीघ्र न्याय दिलाने की बात कही।
किसानों का शोषण बर्दाश्त नही- अशोक कटरे
इस दौरान परेशान किसान ने भाजयुमो मण्डल परसवाड़ा के अध्यक्ष अशोक कटरे को अपनी समस्या से अवगत कराया, जिस पर श्री कटरे सहित साथियों द्वारा मीडिया के समक्ष किसान की समस्याओं को रखते हुए कहा गया कि किसानों के साथ ऐसा करना कतई न्यायोचित नही है, और किसानों का शोषण और उनके साथ अन्याय कतई बर्दास्त नही किया जाएगा, उन्होने कहा उक्त किसान के साथ अन्याय हुआ है, जबकि उसके द्वारा ली गई कर्ज की राशि पहले ही जमा कर दी गई थी, ऐसे में पुनः दोबारा कर्ज की राशि वसूलना, संबंधित अधिकारी कर्मचारियों के तानाशाही रवैये को दर्शाता है, साथ ही उनका आरोप रहा कि किसानों के साथ इसी प्रकार की धोखा धड़ी करते हुए सोसायटी में जमकर भृष्टाचार किया जाता है, जिसका यह ताजा उदाहरण है, हालांकि उन्होने मीडिया के माध्यम से संबंधित उच्चाधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराते हुए इस तरह की अनियमितता और घोर लापरवाही करने वालों पर तत्काल कार्यवाही की मांग की है।
प्रबंधक ने कहा कर्मचारियों से हुई चूक
इस दौरान आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रभारी प्रबंधक सी पी पटले ने बताया कि उक्त किसान का कर्ज भूलवश दोबारा कट चुका है, किन्तु उसका समाधान समिति स्तर पर निकाल लिया जाएगा, जैसे ही किसान के खाते में धान की राशि आएगी, उसको ट्रांसफर बाउचर निकालकर राशि वापस कर दी जाएगी, इस दौरान उन्होने एक सप्ताह के अन्दर किसान के खाते में राशि वापस करने की बात कहीं किन्तु किसान पिछले एक सप्ताह से अधिक समय हो जाने के बाद भी अपनी मेहनत की उपज के वाजिब दाम के लिए भटकना पड़ रहा है, वहीं इस प्रकार की लापरवाही के सवाल पर प्रभारी प्रबंधक का कहना रहा कि यह माईनर मिस्टेक है, त्रूटिवश कभी कभी ऐसा हो जाता है, वहीं मीडिया के सवाल पर उन्होने कहा ि कइस प्रकार की गलती की पुनरावृत्ति भविष्य में होने पर संबंधित कर्मचारियों पर आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया गया।
और भी ऐसे मामले आएंगे सामने
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो क्षेत्र में और भी किसान है, जो इस तरह प्रशासनिक उदासीनता की दोहरी मार का दंश झेलने को मजबूर है, हालांकि इस तरह की प्रताड़ना का शिकार हुए किसानों के नाम सामने नही आ पाए है, किन्तु समाचार प्रकाशन के बाद और भी किसानों का नाम सामने आने की संभावना है, जो कि किसी न किसी प्रकार से प्रशासनिक अनियमितता के कारण शोषित हुए हैं।
                           
बाईट:- 1 महेश यादव, पीड़ित किसान
2 अशोक कटरे, भाजयुमो मण्डल अध्यक्ष
3 पी सी पटले, प्रबन्धकConclusion:बहरहाल सवाल वही कि आखिरकार कब तलक किसान शोषित, पीड़ित और वंचित नजर आएगा, निश्चित तौर पर इस ओर उच्चाधिकारियों के ध्यानाकर्षण की आवश्यकता है, ताकि किसानों के साथ हो रहे अन्याय और धोखाधड़ी पर लगाम लगाई जा सके और किसान की मेहनत की उपज के दाम पर किसी भी प्रकार से कोई सेंध न लगाने पाए।
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