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स्कूल वाहनों में क्षमता से अधिक बैठ रहे बच्चे, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान - जान जोखिम में डालना

बालाघाट जिले के लाजी में प्रशासन कि बड़ी लापरवाही सामने आयी है. जहां प्राइवेट स्कूलों के वाहनों में क्षमता से ज्यादा बच्चों को बैठाया जा रहा है. लेकिन प्रशासन मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

भेड़ बकरियो की तरह स्कूली सफर तय कर रहै नौनिहाल
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Published : Oct 2, 2019, 1:02 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 2:52 PM IST

बालाघाट। जिले में यातायात व परिवहन विभाग की लापरवाही की वजह से स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर प्राईवेट खटारा स्कूली वाहन में अपने घर से स्कूल तक का सफर तय कर रहे हैं. जिस पर प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

स्कूल वाहनों में क्षमता से अधिक बैठ रहे बच्चे

मामला बालाघाट के लांजी का है जहां पर एक टाटा सूमो में 34 स्कूली बच्चों को खटारा टाटा सूमों में भेड़-बकरियों की तरह भर कर घर से स्कूल तक पंहुचाया जा रहा था. इस दौरान लांजी एसडीओपी नितेश भार्गव की नजर वाहन पर पड़ी तो उन्होंने वाहन के पिछले कांच में बच्चो के गाल चिपके देखकर गाड़ी रुकवाई. एसडीओपी ने जब बच्चों को बाहर निकाला, महज 10 से 12 बच्चों की क्षमता वाले इस वाहन में से करीब 34 स्कूली बच्चे निकले. जिसके बाद एसडीओपी ने तत्काल वाहन मालिक पर कार्रवाई की.

गौर करने वाली बात है कि रोजाना इसी तरह से स्कूली बच्चों को स्कूली वाहनों में भरकर स्कूल ले जाया और लाया जा रहा है. लेकिन इस और यातायात विभाग के अधिकारी कर्मचारियो की नजर है ना ही परिवहन विभाग के आला अधिकारियों की प्रशासनिक अधिकारी भी गहरी नींद में सोए हुए हैं.

बालाघाट। जिले में यातायात व परिवहन विभाग की लापरवाही की वजह से स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर प्राईवेट खटारा स्कूली वाहन में अपने घर से स्कूल तक का सफर तय कर रहे हैं. जिस पर प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

स्कूल वाहनों में क्षमता से अधिक बैठ रहे बच्चे

मामला बालाघाट के लांजी का है जहां पर एक टाटा सूमो में 34 स्कूली बच्चों को खटारा टाटा सूमों में भेड़-बकरियों की तरह भर कर घर से स्कूल तक पंहुचाया जा रहा था. इस दौरान लांजी एसडीओपी नितेश भार्गव की नजर वाहन पर पड़ी तो उन्होंने वाहन के पिछले कांच में बच्चो के गाल चिपके देखकर गाड़ी रुकवाई. एसडीओपी ने जब बच्चों को बाहर निकाला, महज 10 से 12 बच्चों की क्षमता वाले इस वाहन में से करीब 34 स्कूली बच्चे निकले. जिसके बाद एसडीओपी ने तत्काल वाहन मालिक पर कार्रवाई की.

गौर करने वाली बात है कि रोजाना इसी तरह से स्कूली बच्चों को स्कूली वाहनों में भरकर स्कूल ले जाया और लाया जा रहा है. लेकिन इस और यातायात विभाग के अधिकारी कर्मचारियो की नजर है ना ही परिवहन विभाग के आला अधिकारियों की प्रशासनिक अधिकारी भी गहरी नींद में सोए हुए हैं.

Intro:बालाघाट- बालाघाट में यातायाता व परविहन विभाग की लापरवाही के कारण स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर खटारा स्कूली वाहन में अपने घर से स्कूल तक का सफर तय कर रहै है...इस ओर ना ही यातायात विभाग की नजर है ना ही परिवहन विभाग की....जिसके कारण कभी भी बङा हादसा स्कूली बच्चो के साथ हो सकता है..ताजा मामला बालाघाट के लांजी का है जहां पर एक टाटा सूमो में 34 स्कूली बच्चो को खटारा टाटा सूमों में भेङ बकरियों की तरह भर कर घर से स्कूल तक रोजाना सफर करवाया जा रहा है...गौर करने वाली बात है कि वाहन चालक नाबालिक होने के साथ साथ उसके पास लायसेंस भी नहीं है..वहीं जिस वाहन से बच्चो को स्कूल ले जाया जा रहा है उसका फिटनेश भी नहीं करवाया गया...इससे साफ जाहिर है कि स्कूली बच्चो के जान के साथ खिलवाङ स्कूली वाहन चालक व मालिक द्वारा किया जा रहा है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी कुंभकर्ऩी नींद में सोया हुआ है....Body:लांजी क्षेत्र में संचालित अनेको अशासकीय स्कूलों में क्षेत्र के दुर दराज से नौनिहाल अध्ययन करने के लिये आते है, स्कूलो के द्वारा विद्यार्थियो को लाने ले जाने के लिये स्कूल बस आदि वाहनो की व्यवस्था की गई है लेकिन बावजूद इसके कुछ निजी वाहन मालिको के द्वारा अपने ग्रामो से स्थानीय स्कूलो में विद्यार्थियो को लाना ले जाना करते है यह वाहन ना तो परिवहन विभाग के नियमानुसार संचालित है और ना ही पुलिस एवं परिवहन विभाग के नियमो को पालन करते है वर्षो पुराने वाहनो का उपयोग कर स्कूली बच्चो को लाना ले जाना करते तथा इस अवसर में हमेशा दिखाई देते ही की मात्र 9 से 10 सवारी बैठने वाले इन वाहनो में कैसे 30 से 35 बच्चो को भर कर लाया जाये ताकि वाहन मालिको की ज्यादा कमाई हो सके।
एसडीओपी लांजी ने रोका वाहन, 34 बच्चो को सुमो वाहन से बहार निकाल अपने वाहन से भेजा स्कूल
स्थानीय अशासकीय स्कूलो में पढने वाले मासूम नन्हे मुन्ने छात्र छात्राओ को भेड बकरियो की तरह वाहन में भरकर स्कूल पंहुचाते हुये लांजी एसडीओपी नितेश भार्गव की नजर वाहन पर पडी देखा की एक वाहन में बच्चे इस कदर भरे पडे है वाहन के पीछली कांच में बच्चो के गाल चिपक गये है, हिलने डुलने तक की जगह नही दिखाई दे रही थी, एसडीओपी ने वाहन को रोका एवं सर्वप्रथम वाहन से एक एक करके जब बच्चो को बहार निकाला गया तो कुल 34 बच्चे बाहर निकले...... अब जरा सोचिये महज रूपये पैसे कमाने के चलते कैसे भेड बकरियो की तरह बच्चो को भरा गया होगा, वंही यह बच्चे ग्राम नेवरवाही सहित अन्य आस पास के ग्रामो के बच्चे थे जो कि 10 से 15 किमी की सफर तय कर रहे थे इन वाहनो मे कैसे तकलीफे होती होगी, वाहन में 34 बच्चे उनके 34 स्कूल बैग, 34 टिफीन बास्केट इत्यादि सभी वाहन के अंदर अब कैसे जगह रहती होगी और बच्चो की क्या हालत होती होगी यह सोचकर भी रौंगटे खडे हो जाते है, सांस लेने तक की जगह बच्चो के लिये नही बचती ऐसे मे अगर कोई अप्रिय दुर्घटना हो जाये तो सबसे पहले वही स्कूल प्रबंधन के लोग, अभिभावक गण, शासन प्रशासन को पुलिस विभाग को दोषी ठहरायेंगे लेकिन वर्तमान मे जो आपकी आंखो के सामने घोर लापरवाही दोहराई जा रही है उसे आप रोजाना नजर अंदाज कर रहे है। जबकि आपकी शत प्रतिशत जवाबदारी बनती है, अपने बच्चो को ख्याल आप लोगो को रखना है।
वाहन मालिक को तो प्रत्येक माह के रूपये पैसे से मतलब है वह तो चाहेगा की 34 की जगह 40 बच्चे भी आये तो मै भरकर ले जाउंगा। वंही अभिभावक एवं स्कूल प्रबंधन इस विषय पर अवश्य ध्यान देंवे की जिस वाहन में हमारे बच्चे जा रहे है उसकी हालत कैसी कन्डम हालत मे दिख रहे वाहन मे कैसे आप अपने बच्चो को भेज रहे है यंहा तो एसडीओपी लांजी ने वाहन को रोककर उसमे से बच्चो को बहार निकाल अपने वाहनो से बच्चो को स्कूल पंहुचाया है लेकिन क्या प्रत्येक बार एसडीओपी इन वाहनो के आगे पीछे होंगे, और अगर कोई अप्रिय घटना घट जाती तो क्या होता।
यातायात व परिवहन विभाग की लापरवाही उजागर
गौर करने वाली बात है कि रोजाना इसी तरह से स्कूली बच्चो को स्कूली वाहनो में भरकर स्कूल ले जाया और लाया जा रहा है लेकिन इस ओर यातायात विभाग के अधिकारी कर्मचारियो की नजर है ना ही परिवहन विभाग के आला अधिकारियों का....आपको बता दूं कि जिस वाहन से 34 बच्चे भेङ बकरियों की तरह रोजाना स्कूल तक की सफर करते है उस वाहन का चालक नाबालिक है ..उसके पास लायसेंस भी नहीं है.....जिस वाहन में बच्चो को स्कूल ले जाया जा रहा है वह खटारा व पुरानी है....जिसका फिटनेंश तक नहीं करवाया गया है..ऐसे में हमारे देश के भविष्य नौनिहाल कैसे सुरक्षित रहैंगे..यह सवाल लाजिमी है.....Conclusion:वाहन मालिक पर होगी कार्यवाही, स्कूल प्रबंधन को भेजा जायेगा नोटिस- एसडीओपी भार्गव
वाहन में बेरहमी से स्कूली बच्चे भरे देख लांजी एसडीओपी नितेश भार्गव के द्वारा तत्काल वाहन से बच्चो को उतारकर वाहन को पुलिस थाना लांजी में खडा करवाया गया साथ ही अपने वाहन से बच्चो को स्कूल छुडवाया गया। वंही इस संबध मे जब एसडीओपी नितेश भार्गव से चर्चा की गई तो उन्होने सीधे वाहन मालिक अमानवीय प्रवृत्ति को बताते हुये कहा की हमारे द्वारा कडाई से इस संबध में कार्यवाही की जावेगी, साथ ही स्कूल प्रबंधन को भी नोटिस भेजा जायेगा। वंही इस तरह की सभी वाहन जो की परिवहन नियमो का पालन किये बगैर संचालित हो रहे है, स्कूली बच्चो को बेरहमी की तरह वाहन में बिठा रहे है इन सब कर कडी से कडी कार्यवाही की जावेगी।
यातायात व परिवहन विभाग की लापरवाही उजागर
गौर करने वाली बात है कि रोजाना इसी तरह से स्कूली बच्चो को स्कूली वाहनो में भरकर स्कूल ले जाया और लाया जा रहा है लेकिन इस ओर यातायात विभाग के अधिकारी कर्मचारियो की नजर है ना ही परिवहन विभाग के आला अधिकारियों का....आपको बता दूं कि जिस वाहन से 34 बच्चे भेङ बकरियों की तरह रोजाना स्कूल तक की सफर करते है उस वाहन का चालक नाबालिक है ..उसके पास लायसेंस भी नहीं है.....जिस वाहन में बच्चो को स्कूल ले जाया जा रहा है वह खटारा व पुरानी है....जिसका फिटनेंश तक नहीं करवाया गया है..ऐसे में हमारे देश के भविष्य नौनिहाल कैसे सुरक्षित रहैंगे..यह सवाल लाजिमी है.....
स्कूल प्रबंधन एवं अभिभावक की भी है जवाबदारी
उक्त प्रकरण में एक बात साफ तौर पर स्पष्ट होती है की स्कूल प्रबंधन एवं अभिभावक अपनी जवाबदारियो को समझने में अक्षम दिखाई दे रहे है जिसका फायदा यह वाहन मालिक उठा रहे है या स्कूल प्रंबधन को शायद ऐसा लगता होगा की हमारे स्कूल में ज्यादा से ज्यादा बच्चे आये अब वे बच्चे कैसे आते है कंहा से आते है इससे कोई मतलब नही है अगर ऐसी सोच स्कूल प्रंबंधन की होगी तो वे भी इस प्रकरण में उतने ही दोषी है जितना वाहन मालिक और चालक। देखा जाता है की स्थानीय कुछ स्कूलो में तो पर्याप्त स्कूल बस इत्यादि है लेकिन लांजी मे अभी भी कुछ स्कूल ऐसे है खास तौर पर प्राथमिक स्कूल जंहा अभी तक स्कूली परमिट वाहन नही है निजी वाहनो से ही स्कूली बच्चो लाना ले जाना किया जा रहा है। परिवहन विभाग के द्वारा अनेको नियम प्रणाली स्कूली वाहनो के लिये लागू की गई है जो कि बच्चो के हित के लिये उनकी सुरक्षार्थ के लिये लागू है स्कूल प्रबंधन आवश्यक रूप से इन सभी नियम प्रणाली का अनुसरण कर स्कूली वाहनो को संचालित करे तथा उक्त प्रकार के निजी वाहनो को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करे तो कि आगामी समय मे किसी अप्रिय दुर्घटनाऐं ना घटित हो सके।
बाईट-नितेश भार्गव एस डी ओ पी लांजी बालाघाट
बाईट-कुलभूषण कसार नाबालिक वाहन चालक
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट
Last Updated : Oct 2, 2019, 2:52 PM IST
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