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Balaghat Boys Hostel में दूषित खाना खाने से बच्चे हो रहे बीमार, छात्रावास अधीक्षक गायब - बालाघाट बालक छात्रावास में मिलता है दूषित खाना

बालाघाट के बालक छात्रावास से एक घटना सामने आई है, जहां दूषित खाना खाने की वजह से कई बच्चे बीमार पड़ गए हैं. मीडिया ने जब हॉस्टल के अधीक्षक से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां के दूषित खाना और अव्यवस्थाओं को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को किया जा चुका है. लेकिन उधर से कोई कार्रवाई नहीं हुई. मजबूरी में जो उपलब्ध होता है वही सर्व किया जाता है.

Balaghat Boys Hostel contaminated food Served
बालाघाट बालक छात्रावास में मिलता है दूषित खाना
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Published : Aug 20, 2022, 10:54 PM IST

बालाघाट। बालक छात्रावास किरनापुर से एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां पर कच्चा चावल और दूषित पानी पीने से बच्चे लगातार बीमार हो रहे हैं. इस मामले को लेकर मीडिया की टीम जब छात्रावास पहुंची तो उन्हें छात्रावास के अधीक्षक गायब मिले. इस दौरान बच्चों की हालत बिगड़ता देख उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.

छात्रावास में नहीं मूलभूत सुविधाएं: छात्रावास में रहने वाले छात्रों के हाल इन दिनों काफी बेहाल हैं. मूलभूत सुविधाओं की बात तो छोड़िए यहां रहने वाले बच्चे गंदगी के कारण पेट, उल्टी और दस्त की बीमारी से ग्रसित हैं. छात्रावास की पानी की टंकी में सफेद रंग का तरल पदार्थ भी मिला है, जिससे उसमें पेस्टिसाइड मिले होने की आशंका जताई जा रही है. बच्चों ने बताया कि रोजाना नाश्ते से लेकर रात के भोजन तक का पूरा मेन्यू फिक्स रहता है, लेकिन टेबल पर नाश्ते के नाम पर कुछ भी नजर नहीं आता.

बालाघाट बालक छात्रावास में मिलता है दूषित खाना

मूलभूत सुविधाओं से नदारद छात्रावास: छात्रावास अधीक्षक डीसी रामटेके से मीडिया ने जब बात की तो उन्होंने रोजाना छात्रावास में रहने से सीधे तौर पर असहमति जताई, साथ ही अधीक्षक ने अव्यवस्थाओं को भी स्वीकार करते हुए कहा कि इस बारे में उच्चाधिकारियों को कई बार सूचित कर चुके हैं. इन सब छात्रावासों का जिम्मा आदिवासी विभाग के पास है. आदिवासी विभाग द्वारा बच्चों पर प्रतिमाह 900 रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन यहां बच्चों को ना तो स्वादिष्ट भोजन दिया जा रहा है और न ही पौष्टिक खाना खिलाया जा रहा है. अन्य सुविधाएं भी नदारद हैं.

बालक छात्रावास में नहीं रहते अधीक्षक: ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम किरनापुर में आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा अनुसूचित बालक छात्रावास संचालित किया जा रहा है. इसमें छात्रावास अधीक्षक के रूप में डीसी रामटेके पदस्थ हैं, जो किरनापुर अपने मुख्यालय में नहीं रहते हैं बल्कि अपने गृह ग्राम चिखला बालाघाट में रहते हैं. छात्रावास को भगवान भरोसे छोड़कर शासन के नियमों को ठेंगा दिखा रहे है, वह अपने निजी कार्यों में व्यस्त रहते हैं और घर में आराम फरमाते हैं.

Narsinghpur Midday Meal बच्चों को दिए जाने वाले मिडडे मील में मिले कीड़े, सड़ा हुआ आटा और चावल भी मिले

अधीक्षक पर होगी कार्रवाई: छात्राओं ने बताया कि रात में किसी तरह की समस्या होने पर अधीक्षक फोन भी नहीं उठते हैं. अगर किसी तरह फोन उठ भी गया तो वह रात के समय छात्रावास में आना उचित नहीं समझते. जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रुति चौधरी ने बताया कि मीडिया के जरिए हमें सूचना प्राप्त हुई है. कल बालक छात्रावास किरनापुर का निरीक्षण किया जाएगा. अगर छात्रावास अधीक्षक की लापरवाही से बच्चों को तबीयत खराब हुई, तो अधीक्षक पर कार्रवाई की जाएगी.

बालाघाट। बालक छात्रावास किरनापुर से एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां पर कच्चा चावल और दूषित पानी पीने से बच्चे लगातार बीमार हो रहे हैं. इस मामले को लेकर मीडिया की टीम जब छात्रावास पहुंची तो उन्हें छात्रावास के अधीक्षक गायब मिले. इस दौरान बच्चों की हालत बिगड़ता देख उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.

छात्रावास में नहीं मूलभूत सुविधाएं: छात्रावास में रहने वाले छात्रों के हाल इन दिनों काफी बेहाल हैं. मूलभूत सुविधाओं की बात तो छोड़िए यहां रहने वाले बच्चे गंदगी के कारण पेट, उल्टी और दस्त की बीमारी से ग्रसित हैं. छात्रावास की पानी की टंकी में सफेद रंग का तरल पदार्थ भी मिला है, जिससे उसमें पेस्टिसाइड मिले होने की आशंका जताई जा रही है. बच्चों ने बताया कि रोजाना नाश्ते से लेकर रात के भोजन तक का पूरा मेन्यू फिक्स रहता है, लेकिन टेबल पर नाश्ते के नाम पर कुछ भी नजर नहीं आता.

बालाघाट बालक छात्रावास में मिलता है दूषित खाना

मूलभूत सुविधाओं से नदारद छात्रावास: छात्रावास अधीक्षक डीसी रामटेके से मीडिया ने जब बात की तो उन्होंने रोजाना छात्रावास में रहने से सीधे तौर पर असहमति जताई, साथ ही अधीक्षक ने अव्यवस्थाओं को भी स्वीकार करते हुए कहा कि इस बारे में उच्चाधिकारियों को कई बार सूचित कर चुके हैं. इन सब छात्रावासों का जिम्मा आदिवासी विभाग के पास है. आदिवासी विभाग द्वारा बच्चों पर प्रतिमाह 900 रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन यहां बच्चों को ना तो स्वादिष्ट भोजन दिया जा रहा है और न ही पौष्टिक खाना खिलाया जा रहा है. अन्य सुविधाएं भी नदारद हैं.

बालक छात्रावास में नहीं रहते अधीक्षक: ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम किरनापुर में आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा अनुसूचित बालक छात्रावास संचालित किया जा रहा है. इसमें छात्रावास अधीक्षक के रूप में डीसी रामटेके पदस्थ हैं, जो किरनापुर अपने मुख्यालय में नहीं रहते हैं बल्कि अपने गृह ग्राम चिखला बालाघाट में रहते हैं. छात्रावास को भगवान भरोसे छोड़कर शासन के नियमों को ठेंगा दिखा रहे है, वह अपने निजी कार्यों में व्यस्त रहते हैं और घर में आराम फरमाते हैं.

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अधीक्षक पर होगी कार्रवाई: छात्राओं ने बताया कि रात में किसी तरह की समस्या होने पर अधीक्षक फोन भी नहीं उठते हैं. अगर किसी तरह फोन उठ भी गया तो वह रात के समय छात्रावास में आना उचित नहीं समझते. जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रुति चौधरी ने बताया कि मीडिया के जरिए हमें सूचना प्राप्त हुई है. कल बालक छात्रावास किरनापुर का निरीक्षण किया जाएगा. अगर छात्रावास अधीक्षक की लापरवाही से बच्चों को तबीयत खराब हुई, तो अधीक्षक पर कार्रवाई की जाएगी.

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