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बालाघाट: 230 करोड़ के फर्जी टर्नओवर का मामला, सेल्स टैक्स विभाग के उड़े होश

बालाघाट जिले से टैक्स चोरी का एक मामला सामने आया है, जिसके तहत 3 व्यापारिक फर्मों द्वारा 230 करोड़ का फर्जी टर्नओवर हुआ है. साथ ही इन फर्म पर कुल 36 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है.

230 करोड़ का फर्जी लेनदेन
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Published : Aug 3, 2019, 1:04 PM IST

बालाघाट। जिले में तीन व्यापारिक फर्मों द्वारा 230 करोड़ का फर्जी टर्नओवर दिखाने का मामला सामने आया है. इन फर्म पर कुल 36 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है, लेकिन जब सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट ने मामले की पड़ताल शुरू की, तो फर्म में दिए गए पते भी गलत निकले, जबकि तीनों फर्म द्वारा ज्यादातर लेनदेन महाराष्ट्र और गुजरात में होना बताया गया है. वहीं विभाग अब इसे हवाला कारोबार के रूप में देख रहा है.

तीन फर्मों ने फर्जी तरीके से सरकार को लगाया 36 करोड़ का चूना

सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक मेसर्स जय भारत इंटरप्राइजेज, मोती नगर केबिन हॉस्पिटल के पास संचालित होने की जानकारी सामने आई है, लेकिन जिस जगह पर फर्म का बोर्ड लगाया गया था वह अब गायब है. इस फर्म के संचालक सीमा प्रकाश रीनावा हैं, जिन्हें जीएसटी नंबर 1 मार्च 2018 को दिया गया था. फर्म मालिक इस तारीख से कारोबर कर रही हैं, जिसमें कुल 128 करोड़ का टर्नओवर महाराष्ट्र में होना बताया गया है.

वहीं दूसरी फर्म मेसर्स सिद्धेश्वर एक्सपोर्ट बैहर की बताई जा रही है. इसमें एक चाय वाले के बेटे के नाम पर अधिकांश लेनदेन की बात सामने आई है. इसमें 90 लाख रुपए तक के भुगतान की जानकारी मिली है. जब सेल्स टैक्स विभाग ने चाय वाले के बेटे से लेनदेन के विषय में पूछताछ की, तो युवक को लेनदेन की कोई जानकारी नहीं थी. यह फर्म सत्य नारायण के नाम से दर्ज है. इस फर्म ने गुजरात और महाराष्ट्र में विक्रय करना बताया है और फर्म द्वारा 53 करोड़ से अधिक का टर्नओवर दिखाया गया है.

तीसरी फर्म गढ़ी स्थित मेसर्स रेक्सटेना एक्सिम है, जो अंकित पटले के नाम पर है. फर्म मालिक ने 29 मार्च 2019 को जीएसटी नम्बर लिया है. फर्म में 49 करोड़ से अधिक का टर्नओवर दिख रहा है.

वहीं कर चोरी के मामले में सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट इन फर्म संचालकों की तलाश में जुट गया है, हालांकि विभाग के मुताबिक इस तरह के लेन-देन में बैंकों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.

जिन्होंने इतने कम अवधि में फर्म को करोड़ों का लेन-देन करने में मदद की. बैंक ने इस लेनदेन को लेकर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की है. सेल्स टैक्स विभाग इस पूरे मामले को हवाला कारोबार से जोड़कर देख रहा है.

बालाघाट। जिले में तीन व्यापारिक फर्मों द्वारा 230 करोड़ का फर्जी टर्नओवर दिखाने का मामला सामने आया है. इन फर्म पर कुल 36 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है, लेकिन जब सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट ने मामले की पड़ताल शुरू की, तो फर्म में दिए गए पते भी गलत निकले, जबकि तीनों फर्म द्वारा ज्यादातर लेनदेन महाराष्ट्र और गुजरात में होना बताया गया है. वहीं विभाग अब इसे हवाला कारोबार के रूप में देख रहा है.

तीन फर्मों ने फर्जी तरीके से सरकार को लगाया 36 करोड़ का चूना

सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक मेसर्स जय भारत इंटरप्राइजेज, मोती नगर केबिन हॉस्पिटल के पास संचालित होने की जानकारी सामने आई है, लेकिन जिस जगह पर फर्म का बोर्ड लगाया गया था वह अब गायब है. इस फर्म के संचालक सीमा प्रकाश रीनावा हैं, जिन्हें जीएसटी नंबर 1 मार्च 2018 को दिया गया था. फर्म मालिक इस तारीख से कारोबर कर रही हैं, जिसमें कुल 128 करोड़ का टर्नओवर महाराष्ट्र में होना बताया गया है.

वहीं दूसरी फर्म मेसर्स सिद्धेश्वर एक्सपोर्ट बैहर की बताई जा रही है. इसमें एक चाय वाले के बेटे के नाम पर अधिकांश लेनदेन की बात सामने आई है. इसमें 90 लाख रुपए तक के भुगतान की जानकारी मिली है. जब सेल्स टैक्स विभाग ने चाय वाले के बेटे से लेनदेन के विषय में पूछताछ की, तो युवक को लेनदेन की कोई जानकारी नहीं थी. यह फर्म सत्य नारायण के नाम से दर्ज है. इस फर्म ने गुजरात और महाराष्ट्र में विक्रय करना बताया है और फर्म द्वारा 53 करोड़ से अधिक का टर्नओवर दिखाया गया है.

तीसरी फर्म गढ़ी स्थित मेसर्स रेक्सटेना एक्सिम है, जो अंकित पटले के नाम पर है. फर्म मालिक ने 29 मार्च 2019 को जीएसटी नम्बर लिया है. फर्म में 49 करोड़ से अधिक का टर्नओवर दिख रहा है.

वहीं कर चोरी के मामले में सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट इन फर्म संचालकों की तलाश में जुट गया है, हालांकि विभाग के मुताबिक इस तरह के लेन-देन में बैंकों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.

जिन्होंने इतने कम अवधि में फर्म को करोड़ों का लेन-देन करने में मदद की. बैंक ने इस लेनदेन को लेकर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की है. सेल्स टैक्स विभाग इस पूरे मामले को हवाला कारोबार से जोड़कर देख रहा है.

Intro:बालाघाट- बालाघाट में तीन ऐसे व्यापारिक फर्म का नाम सामने आया हैं जिन्होने 230 करोड़ का टर्नओवर दिखाया हैं और शासन को टैक्स के रुप में एक रुपये भी जमा नहीं किया। जिसके चलते इन 3 व्यवसायी पर 36 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया हैं। अब सेलटैक्स जब इन कम्पनियों की पड़ताल कर रही हैं तो उनके फर्म के दिये गये पतों पर उनका अता-पता ही नहीं हैं। जबकि फर्म द्वारा ज्यादातर विक्रय महाराष्ट्र व गुजरात में बताया गया हैं।
बता देवें कि राज्य कर एईबी जबलपुर ने 29,30 व 31 जुलाई की तारीख में 135 व्यवसाईयों की जांच की गई हैं। जिसमें 110 व्यवसायी बोगस पाये गये हैं। एक पत्र के माध्यम से एईबी जबलपुर ने खुलासा किया हैं कि बालाघाट में तीन ऐसे व्यवसायी है जिन्होने 230 करोड़ का फर्जी टर्नओवर किया। लेकिन टैक्स जमा नहीं किया। जिससे 36 करोड़ के टैक्स की चोरी सामने आयी।
Body:ये है फर्म व पता-1- मेसर्स जय भारत इंटरप्राइजेज मोती नगर केबिन हास्पिटल के निकट संचालित करना बताया गया हैं। जिस स्थान के एक कमरे में यह फर्म का बोर्ड लगाया गया था वह अब गायब हैं। इस फर्म के संचालक सीमा प्रकाश रीनावा हैं। जिनका जीएसटी नम्बर 1 मार्च 2018 को मिला हैं अर्थात इस तारीख से वह कारोबर कर रही हैं। जिसमें 128 करोड़ का टर्न ओव्हर किया व अधिकांश विक्रय महाराष्ट्र का बताया हैं।

2- मेसर्स सिद्धेश्वर एक्सपोर्ट का पता बैहर बताया गया हैं। जिसमें एक चायवाले के बेटे के नाम पर अधिकाश लेनदेन हुआ हैं। जिसमें 90 लाख रूपये तक के भुगतान हुये हैं। परंतु उस चायवाले के बेटे को इस लेनदेन की कोई जानकारी ही नहीं हैं। इस फर्म के प्रोपराइटर सत्यनारायन हैं और 27 मार्च 2019 को जीएसटी नम्बर लिया गया हैं। अर्थात इसी तारीख से कारोबार करना बताया गया हैं। जिन्होने गुजरात व महाराष्ट्र में विक्रय करना बताया और 53 करोड़ से अधिक का टर्नओव्हर दिखाया हैं।


3- गढ़ी के फर्म मेसर्स रेक्सटेना एक्सिम के प्रोपराईटर अंकित पटले हैं। जिन्होने 29 मार्च 2019 को जीएसटी नम्बर लिया हैं। इस फर्म ने 49 करोड़ से अधिक का टर्नओव्हर दिख रहा हैं। जिन्होने पूरी सप्लाई मेसर्स सिद्धेश्वर एक्सपोर्ट बैहर को करना बताया हैं।
Conclusion: इन स्थान पर इन फर्मो का कही पर अता-पता नहीं हैं। जिन्होने इतने कम अवधि में बोगस व कागज में फर्म बनाकर करोड़ा का कारोबार कर राज्य सरकार के 36 करोड़ की सेलटैक्स की चोरी कर ली। अब इन फर्म के संचालकों की तलाश में सेलटैक्स विभाग जुटा हैं। हालांकि इस तरह के लेनेदेन में बैंकों की भूमिका संदिग्ध हैं। जिन्होने इतने कम अवधि में बने फर्म को करोड़ो का लेन देन करने में मदद की। जबकि बैंक चाहती तो इसे रोक लगाकर पकड़ा सकती थी। एक तरह से यह पूरा मामला हवाला कारोबार से जुड़ा हो सकता हैं।
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट
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