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इलाज के दौरान महिला की मौत, परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाया लापरवाही का आरोप

अशोकनगर जिला अस्पताल में इलाज के दौरान एक महिला की मौत हो गई. मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज नहीं करने का आरोप लगाया और बिना पोस्टमार्टम कराए शव को अपने घर ले गए.

Woman dies during treatment
इलाज के दौरान महिला की मौत
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Published : Jan 18, 2020, 7:31 PM IST

Updated : Jan 18, 2020, 9:43 PM IST

अशोकनगर । जिला अस्पताल में इलाज के दौरान एक महिला की मौत का मामला सामने आया है. महिला की मौत होने के बाद परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज नहीं करने का आरोप लगाया. हालांकि सिविल सर्जन की समझाइश के बाद मामला शांत हो गया.

इलाज के दौरान महिला की मौत

जिले के गांव काकाखेड़ी निवासी कच्छु अपनी बेटी रचना को पेट फूलने की शिकायत लेकर जिला अस्पताल में आया था, जहां उसने अपनी बेटी के इलाज के लिए पर्चा काउंटर से पर्ची लेकर भर्ती भी कराया. लेकिन महिला को उपचार करने के लिए डॉक्टर द्वारा कभी बर्न यूनिट, तो कभी महिला वार्ड में लाने ले जाने के नाम पर दौड़ाया गया. इस दौरान महिला की मौत हो गई.

इस घटना के बाद नाराज परिजन अपनी बेटी को जिला अस्पताल में इलाज नहीं मिलने के कारण शव अपने घर वापस ले जाने लगे. लेकिन इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान तैनात डॉ. संदीप भल्ला ने उन्हें समझाते हुए कहा कि पर्ची बन जाने के बाद अब महिला के शव का पोस्टमार्टम जरूरी है. इस बात पर परिजन भड़क गए और मृतका के पिता ने साफ लहजे में कहा कि जब हमारी बेटी का डॉक्टर द्वारा इलाज नहीं किया गया तो हम पोस्टमार्टम भी नहीं कराएंगे. लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा पुलिस बुलाकर उन्हें रोका गया.

जब परिजनों द्वारा पूरे मामले की जानकारी सिविल सर्जन हिमांशु शर्मा को दी गई तो उन्होंने पहले सबसे पहले महिला की मौत पर उसके परिजनों से माफी मांगी और कहा कि समय नहीं मिलने के कारण उसका उपचार नहीं हो सका. लेकिन डॉक्टरों की केस रिपोर्ट से पता चला है 8 माह पहले वह जल गई थी, जिस कारण रोगों से लड़ने की क्षमता उसके शरीर में कम हो गई थी. इसके कारण उसकी मौत हो गई. सिविल सर्जन की समझाइश के बाद परिजन एक कागज पर 'हमें पोस्टमार्टम नहीं कराना' लिखकर दिया और शव को अपने घर ले गए.

अशोकनगर । जिला अस्पताल में इलाज के दौरान एक महिला की मौत का मामला सामने आया है. महिला की मौत होने के बाद परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज नहीं करने का आरोप लगाया. हालांकि सिविल सर्जन की समझाइश के बाद मामला शांत हो गया.

इलाज के दौरान महिला की मौत

जिले के गांव काकाखेड़ी निवासी कच्छु अपनी बेटी रचना को पेट फूलने की शिकायत लेकर जिला अस्पताल में आया था, जहां उसने अपनी बेटी के इलाज के लिए पर्चा काउंटर से पर्ची लेकर भर्ती भी कराया. लेकिन महिला को उपचार करने के लिए डॉक्टर द्वारा कभी बर्न यूनिट, तो कभी महिला वार्ड में लाने ले जाने के नाम पर दौड़ाया गया. इस दौरान महिला की मौत हो गई.

इस घटना के बाद नाराज परिजन अपनी बेटी को जिला अस्पताल में इलाज नहीं मिलने के कारण शव अपने घर वापस ले जाने लगे. लेकिन इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान तैनात डॉ. संदीप भल्ला ने उन्हें समझाते हुए कहा कि पर्ची बन जाने के बाद अब महिला के शव का पोस्टमार्टम जरूरी है. इस बात पर परिजन भड़क गए और मृतका के पिता ने साफ लहजे में कहा कि जब हमारी बेटी का डॉक्टर द्वारा इलाज नहीं किया गया तो हम पोस्टमार्टम भी नहीं कराएंगे. लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा पुलिस बुलाकर उन्हें रोका गया.

जब परिजनों द्वारा पूरे मामले की जानकारी सिविल सर्जन हिमांशु शर्मा को दी गई तो उन्होंने पहले सबसे पहले महिला की मौत पर उसके परिजनों से माफी मांगी और कहा कि समय नहीं मिलने के कारण उसका उपचार नहीं हो सका. लेकिन डॉक्टरों की केस रिपोर्ट से पता चला है 8 माह पहले वह जल गई थी, जिस कारण रोगों से लड़ने की क्षमता उसके शरीर में कम हो गई थी. इसके कारण उसकी मौत हो गई. सिविल सर्जन की समझाइश के बाद परिजन एक कागज पर 'हमें पोस्टमार्टम नहीं कराना' लिखकर दिया और शव को अपने घर ले गए.

Intro:अशोकनगर. जिला अस्पताल में उपचार के दौरान एक महिला की मौत का मामला प्रकाश में आया है. महिला की मौत होने के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज नहीं करने का आरोप लगाया. हालांकि सिविल सर्जन के समझाइश के बाद मामला शांत हो सका.


Body: ग्राम काकाखेड़ी निवासी कच्छु अपनी बेटी रचना का पेट फूलने की शिकायत को लेकर जिला अस्पताल में आया था. जहां उसने अपनी बेटी के इलाज के लिए पर्चा काउंटर से पर्चा लेकर भर्ती भी कराया. लेकिन महिला को उपचाGर करने के लिए डॉक्टर द्वारा कभी बर्न यूनिट, तो कभी महिला वार्ड में लाने ले जाने के लिए कहा गया. इसी दौरान महिला की मौत हो गई.
इस पूरी घटना के बाद नाराज परिजन अपनी बेटी को जिला अस्पताल में इलाज नहीं मिलने के कारण रचना के शव को अपने घर वापस ले जाने लगे. लेकिन इतने में ही डॉक्टर संदीप भल्ला जो इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान तैनात थे, उन्होंने परिजनों को समझाते हुए कहा कि पर्चा बन जाने के बाद अब महिला के शव का पोस्टमार्टम होगा. जिस पर परिजन भड़क गए और उन्होंने साफ लहजे में कहा कि जब मेरी बेटी का डॉक्टर द्वारा इलाज नहीं किया गया, तो मैं पोस्टमार्टम भी नहीं कराऊंगा. लेकिन प्रबंधन द्वारा पुलिस बुलाकर उन्हें रोका गया.
इस पूरे मामले की जानकारी जब परिजनों द्वारा सिविल सर्जन हिमांशु शर्मा को दी गई तो उन्होंने पहले तो बेटी की मौत हो जाने पर उनसे माफी मांगी. और कहा कि समय नहीं मिलने के कारण उसका उपचार नहीं हो सका. लेकिन डॉक्टरों की केस रिपोर्ट से पता चला है 8 माह पहले जब बह जल गई थी, जिसके कारण इसके अंगों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो गई थी. जिसके कारण उसकी मौत हो गई. सिविल सर्जन की समझाइश के बाद परिजन एक कागज पर लिखकर दे गए कि 'हमें पोस्टमार्टम नहीं कराना'और रचना के शव को अपने घर ले गए.
सिविल सर्जन हिमांशु शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा सभी वार्डों में उनके नाम एवं नंबर की सूची लगाई जाएगी.ताकि किसी भी मरीज को परेशानी होने पर वे सीधे उनसे संपर्क कर सकेंगे. ताकि किसी भी तरह की परेशानी मरीजों को ना हो.
वाइट-कच्छु, मृतक का पिता
बाइट- हिमांशु शर्मा, सिविल सर्जन


Conclusion:
Last Updated : Jan 18, 2020, 9:43 PM IST
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