अशोकनगर। साल 2023 चुनावी साल है, कुछ महीनों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत एमपी की सभी 230 विधानसभा सीटों का बारीकी से विश्लेषण कर रहा है. इस विश्लेषण में हम आपको हर सीट के बारे बताएंगे, इससे जुड़े विकास कार्य, मौजूदा पार्टियों की स्थिति, राजनीतिक समीकरण. इसके साथ ही मौजूदा विधायकों द्वारा किए गए चुनावी वादे क्या जमीनी स्तर पर कारगर हुए हैं या फिर जनता विकास के इंतजार में है. आज हम आपको अशोकनगर जिले के मुंगवाली सीट के बारे में बताएंगे.
सिंधिया के प्रभाववाली सीट: मुंगावली सीट एमपी विधानसभा सीट की सबसे महत्वपूर्ण सीट में से एक है. मुंगावली सीट इसलिए भी खास है, क्योंकि यह सीट केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभावसाली सीट में से एक मानी जाती है. वर्तमान समय में इस सीट पर बीजेपी विधायक है. जो सिंधिया समर्थक हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थामा था, तब उनके साथ समर्थन में कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों में मुंगावली के मौजूदा विधायक बृजेन्द्र सिंह यादव भी शामिल थे. बृजेंद्र सिंह यादव ने अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया था. बता दें बृजेन्द्र सिंह यादव के इस्तीफा देने के चलते मुंगावली सीट पर उपचुनाव हुए थे.
मुंगावली सीट का इतिहास: मुंगावली सीट आजादी के बाद साल 1957 में अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इस सीट पर होने वाला यह 16वां चुनाव है. साल 1993 की बात करें तो इस सीट पर कांग्रेस के आनंद कुमार पालीवाल ने जीत हासिल की थी. जबकि 1998 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. वहीं साल 2003 में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. साल 2003 के बाद 2008 में हुए चुनाव में यहां बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस को मिली जीत: मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में साल 2013 के उपचुनाव में कांग्रेस महेंद्र सिंह कालूखेड़ा चुनाव जीते थे. उनका सामना भाजपा के प्रत्याशी राव देशराज सिंह से था, लेकिन अचानक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा का निधन होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ. जिसमें कांग्रेस से बृजेंद्र सिंह यादव व भाजपा से दिवंगत देशराज सिंह यादव की पत्नी बाई साहब यादव को टिकट मिला. इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह यादव जीते. साल 2018 में कांग्रेस पार्टी से बृजेंद्र सिंह यादव को टिकट मिला, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने डॉक्टर केपी यादव को मैदान में उतारा, लेकिन बृजेंद्र सिंह यादव ने फिर बाजी मारते हुए कांग्रेस को जीत दिलाई. हालांकि सिंधिया के बीजेपी का दामन थामते हुए कांग्रेस से विधायक रहे बृजेंद्र सिंह यादव ने भी इस्तीफा दे दिया था. लिहाजा साल 2020 में यहां उपचुनाव हुए थे.
मुंगावली सीट पर मतदाता: मुंगावली विधानसभा सीट पर अगर मतदाता की बात करें तो यहां कुल मतदाता 202,263 हैं. जिसमें महिला मतदाता कुल 95 हजार 127 हैं. जबकि पुरुष मतदाता 107,131 हैं. इसके अलावा 5 अन्य मतदाता है.
पिछले तीन पंचवर्षीय चुनावों का परिणाम
साल 2008 का विधानसभा चुनाव: साल 2008 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने राव देशराज सिंह यादव को मैदान में उतारा था. जबकि कांग्रेस ने अरविंद कुमार अब्बी को टिकट दिया था. जहां चुनावी परिणाम में बीजेपी के अरविंद कुमार ने 45991 वोटों से जीत हासिल करते हुए कांग्रेस के अरविंद कुमार को हराया था.
साल 2013 का विधानसभा चुनाव: साल 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने एक बार फिर राव देशराज सिंह पर भरोसा जताया था. वहीं कांग्रेस महेंद्र सिंह कालूखेड़ा को टिकट दिया था. जहां चुनावी परिणाम में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस महेंद्र सिंह ने 70,675 मतों से जीत प्राप्त की थी.
साल 2018 का विधानसभा चुनावः साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस बार कांग्रेस ने सिंधिया समर्थक बृजेंद्र सिंह यादव को टिकट दिया था. जबकि बीजेपी ने केपी यादव को बृजेंद्र सिंह यादव के विरोध में उतारा था. इस बार भी जीत कांग्रेस को हासिल हुई थी. कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह यादव ने 55, 346 मतों से केपी यादव को परास्त किया था.
साल 2020 उपचुनाव: बता दें ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी का हाथ थामने के बाद मुंगावली से कांग्रेस के विधायक बृजेंद्र सिंह यादव ने भी इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. जिसके बाद साल 2020 में यहां एक बार फिर उपचुनाव हुए. इस बार बीजेपी ने सिंधिया समर्थक बृजेंद्र सिंह यादव को टिकट दिया था. जबकि कांग्रेस ने कन्हईराम लोधी पर दांव लगाया था. लिहाजा उपचुनाव में कांग्रेस को हार मिली थी और बृजेंद्र सिंह यादव ने मुंगावली सीट पर जीत हासिल की थी.
जातिगत समीकरण: मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में अगर जातिगत समीकरण की बात करें तो यह यादव बाहुल्य क्षेत्र है. यहां अनुसूचित जाति व जनजाति के 47 हजार मतदाता हैं. 40 हजार यादव, दांगी 15 हजार, लोधी वोट 19 हजार, कुशवाह 9 हजार, गुर्जर 6 हजार, मुस्लिम 7 हजार, ब्राह्मण 5 हजार व अन्य मतदाता हैं.
मुंगावली की खासियत: यहां बेतवा नदी बहती है. वहीं बेतवा नदी से लगा बीना का रिफायनरी है. इसके साथ ही मुंगावली के पास ही माता सीता का प्रसिद्ध मंदिर है, जो करीला के नाम से जाना जाता है. यहां माता सीता को भगवान राम के बिना पूजा जाता है. इसे जानकी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दें श्रीलंका के बाद दुनिया में यह दूसरा मंदिर है, जहां मां सीता बिना राम के विराजी हैं. माता सीता के साथ उनको दोनों पुत्र लव और कुश भी स्थापित है. कहते हैं यहां कोई भी मन्नत मांगने पर पूरी होती है. यह हर साल रंगपंचमी पर विशाल मेला का आयोजन होता है. लोग पुत्र प्राप्ती को लेकर मन्नत मांगने पहुंचते हैं, वहीं मनोकामना पूरी होने पर यहां राई नृत्य कराया जाता है.
मुंगावली क्षेत्र के मुद्दे: यहां की जनता में बीजेपी सरकार को लेकर नाराजगी भी देखी जा रही है. सबसे बड़ा कारण है, सीएम शिवराज ने स्मार्ट सिटी बनाने का दावा किया था, स्मार्ट सिटी का काम शुरु तो हुआ, लेकिन कुछ खास नहीं, जिसके चलते लोगों में नाराजगी है. इसके अलावा सीएम माता सीता के भव्य मंदिर बनाने का भी वादा किया था, जो अधूरा है.