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MP Election 2023: चंदेरी जीतने BJP ने तोड़ा अपना ही नियम, क्या 75 साल के जगन्नाथ रघुवंशी खिला पायेंगे 'कमल का फूल'

चुनाव की घोषणा से पहले ही 30 प्रत्याशियों की घोषणा कर बीजेपी ने सभी को अचरज में डाल दिया है. वहीं चंदेरी विधानसभा सीट पर प्रत्याशी का चुनाव और भी चौकाने वाला रहा, क्योंकि इस सीट के लिए जिस प्रत्याशी का टिकट फाइनल किया, उसके लिये चुनाव लड़ने की उम्र वाले अपने ही नियम में बदलाव कर दिया. चंदेरी विधानसभा सीट से बीजेपी के घोषित प्रत्याशी जगन्नाथ रघुवंशी हैं, जिनकी उम्र 75 साल है. आइये जानते हैं कि उम्रदराज प्रत्याशी की राजनीतिक पैठ कितनी है और इस चुनाव में उनके लिए क्या चुनौतियां सामने आने वाली हैं. ETV Bharat की इलेक्शन सीरीज 'MP के महाराज' में..

MP Election 2023
जगन्नाथ रघुवंशी
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Published : Aug 21, 2023, 3:38 PM IST

अशोकनगर। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं. खास कर भाजपा 2018 में हुए हश्र को दोहराना नहीं चाहती, यही वजह है कि अभी से 39 सीटों के प्रत्याशियों की एक सूची जारी कर चुकी है. जिसमें अशोकनगर जिले की तीन में से एक चंदेरी विधानसभा का भी नाम है. खास बात यह है कि इस सीट को जीतने के लिए पिछली बार बनाए 75 प्लस को टिकट ना देने वाले नियम को भी पार्टी ने पीछे छोड़ दिया है. यहां भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व विधायक और वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है, जिनकी उम्र 75 साल है. यानि वे इस लिस्ट के सबसे उम्रदराज प्रत्याशी हैं, लेकिन ये चुनाव रघुवंशी के लिए भी जीतना आसान नहीं होगा, क्योंकि इस सीट पर लगातार 10 वर्षों से कांग्रेस का कब्जा है.

क्यों लगी जगन्नाथ रघुवंशी के नाम पर प्रत्याशी की मुहर: चंदेरी विधानसभा के गठन के बाद 2008 में हुए पहले चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन इसके बाद 2013 और 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अलग-अलग प्रत्याशी उतारे, लेकिन जनता ने दोनों ही बार कांग्रेस के प्रत्याशी गोपाल सिंह चौहान को अपना विधायक चुना. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को एक अनुभवी और क्षेत्र में मजबूत पकड़ वाले जिताऊ प्रत्याशी की तलाश थी, जो जगन्नाथ रघुवंशी के रूप में पूरी हुई क्योंकि वे अशोकनगर से भाजपा के पुराने और विश्वनीय कार्यकर्ता, पदाधिकारी और विधायक रहे हैं. साथ ही वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष भी हैं. ऐसे में जनता और कार्यकर्ता दोनों से ही सीधा जुड़ाव है और राजनीति में करीब 55 वर्ष का अनुभव भी है, जो उनके नाम पर मुहर लगाने के लिए काफी रहा होगा.

जगन्नाथ रघुवंशी पर बीजेपी के भरोसे की वजह: पूर्व विधायक जगन्नाथ सिंह रघुवंशी या कहें जगन्नाथ सिंह यादव संगठन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. रघुवंशी ने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से ही कर दी थी. वे पहली बार विधायक अशोकनगर विधानसभा सीट से 2003 में बने, लेकिन, उन्होंने संगठन की कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है. जगन्नाथ रघुवंशी 11 सालों तक भाजयुमो के प्रांताध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा मंडी चुनाव में मंडी सदस्य बने. भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति में भी वे 12 वर्षों तक सदस्य थे. इसके साथ ही राष्ट्रीय परिषद में भी शामिल रहे. वहीं विधायक बनने और अपने कार्यकाल के बाद उन्होंने अगला चुनाव 2022 में हुए पंचायत चुनाव में लड़ा और अशोकनगर से जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गये. ऐसे में उनके राजनीतिक अनुभव और जनता के बीच छवि को देखते हुए बीजेपी ने इस बार चंदेरी फतह करने के लिए मैदान में उतार दिया है.

चंदेरी में पिछले चुनाव की स्थिति: पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2018 के विधानसभा में कांग्रेस ने अपनी चंदेरी सीट के ही सिटिंग विधायक गोपाल सिंह चौहान को दोबारा टिकट दिया था. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने नये प्रत्याशी के रूप में भूपेन्द्र द्विवेदी को चुनाव लड़ाया, लेकिन चंदेरी की जनता ने गोपाल सिंह चौहान को 45,106 वोट देकर बीजेपी के भूपेन्द्र द्विवेदी को 5,165 वोट से हराया था, जिन्हें चुनाव में 40,931 मत प्राप्त हुए थे.

यहां पढ़ें...

अंदरूरी असंतोष बढ़ा सकता है मुश्किल: सत्ता से बाहर होने के बाद भी चंदेरी की जनता ने पिछले दो चुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है. ऐसे में बीजेपी प्रत्याशी जगन्नाथ रघुवंशी के लिए उनका विश्वास पाना तो सर्वोपरि है ही, साथ ही पार्टी संगठन को भी क्षेत्र में मज़बूत और कार्यकर्ता के जरिए बूथ लेवल तक पकड़ बनाना बड़ा चेलेंज होगा, क्योंकि रघुवंशी अशोकनगर विस क्षेत्र से विधायक रहे मूल रूप से वहाई के नेता है लेकिन चन्देरी विधानसभा में टिकट की उम्मीद में पहले से ही कई उम्मीदवार अपनी जमीन सेट करने में लगे थे फिर चाहे वे पूर्व विधायक राव राजकुमार सिंह हो, पूर्व प्रत्याशी भूपेन्द्र द्विवेदी हो अन्य बीजेपी नेता. अब अचानक से उनकी जगह रघुवंशी को टिकट मिल जाने से कहीं ना कहीं मन में मलाल और अंदरूनी विरोध पैदा हो सकता है और अगर बीजेपी ने हालातों को क़ाबू में नहीं किया तो एक बार फिर भाजपा को प्रयास के लिए 5 साल इंतज़ार करना पड़ सकता है.

अशोकनगर। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं. खास कर भाजपा 2018 में हुए हश्र को दोहराना नहीं चाहती, यही वजह है कि अभी से 39 सीटों के प्रत्याशियों की एक सूची जारी कर चुकी है. जिसमें अशोकनगर जिले की तीन में से एक चंदेरी विधानसभा का भी नाम है. खास बात यह है कि इस सीट को जीतने के लिए पिछली बार बनाए 75 प्लस को टिकट ना देने वाले नियम को भी पार्टी ने पीछे छोड़ दिया है. यहां भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व विधायक और वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है, जिनकी उम्र 75 साल है. यानि वे इस लिस्ट के सबसे उम्रदराज प्रत्याशी हैं, लेकिन ये चुनाव रघुवंशी के लिए भी जीतना आसान नहीं होगा, क्योंकि इस सीट पर लगातार 10 वर्षों से कांग्रेस का कब्जा है.

क्यों लगी जगन्नाथ रघुवंशी के नाम पर प्रत्याशी की मुहर: चंदेरी विधानसभा के गठन के बाद 2008 में हुए पहले चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन इसके बाद 2013 और 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अलग-अलग प्रत्याशी उतारे, लेकिन जनता ने दोनों ही बार कांग्रेस के प्रत्याशी गोपाल सिंह चौहान को अपना विधायक चुना. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को एक अनुभवी और क्षेत्र में मजबूत पकड़ वाले जिताऊ प्रत्याशी की तलाश थी, जो जगन्नाथ रघुवंशी के रूप में पूरी हुई क्योंकि वे अशोकनगर से भाजपा के पुराने और विश्वनीय कार्यकर्ता, पदाधिकारी और विधायक रहे हैं. साथ ही वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष भी हैं. ऐसे में जनता और कार्यकर्ता दोनों से ही सीधा जुड़ाव है और राजनीति में करीब 55 वर्ष का अनुभव भी है, जो उनके नाम पर मुहर लगाने के लिए काफी रहा होगा.

जगन्नाथ रघुवंशी पर बीजेपी के भरोसे की वजह: पूर्व विधायक जगन्नाथ सिंह रघुवंशी या कहें जगन्नाथ सिंह यादव संगठन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. रघुवंशी ने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से ही कर दी थी. वे पहली बार विधायक अशोकनगर विधानसभा सीट से 2003 में बने, लेकिन, उन्होंने संगठन की कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है. जगन्नाथ रघुवंशी 11 सालों तक भाजयुमो के प्रांताध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा मंडी चुनाव में मंडी सदस्य बने. भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति में भी वे 12 वर्षों तक सदस्य थे. इसके साथ ही राष्ट्रीय परिषद में भी शामिल रहे. वहीं विधायक बनने और अपने कार्यकाल के बाद उन्होंने अगला चुनाव 2022 में हुए पंचायत चुनाव में लड़ा और अशोकनगर से जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गये. ऐसे में उनके राजनीतिक अनुभव और जनता के बीच छवि को देखते हुए बीजेपी ने इस बार चंदेरी फतह करने के लिए मैदान में उतार दिया है.

चंदेरी में पिछले चुनाव की स्थिति: पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2018 के विधानसभा में कांग्रेस ने अपनी चंदेरी सीट के ही सिटिंग विधायक गोपाल सिंह चौहान को दोबारा टिकट दिया था. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने नये प्रत्याशी के रूप में भूपेन्द्र द्विवेदी को चुनाव लड़ाया, लेकिन चंदेरी की जनता ने गोपाल सिंह चौहान को 45,106 वोट देकर बीजेपी के भूपेन्द्र द्विवेदी को 5,165 वोट से हराया था, जिन्हें चुनाव में 40,931 मत प्राप्त हुए थे.

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अंदरूरी असंतोष बढ़ा सकता है मुश्किल: सत्ता से बाहर होने के बाद भी चंदेरी की जनता ने पिछले दो चुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है. ऐसे में बीजेपी प्रत्याशी जगन्नाथ रघुवंशी के लिए उनका विश्वास पाना तो सर्वोपरि है ही, साथ ही पार्टी संगठन को भी क्षेत्र में मज़बूत और कार्यकर्ता के जरिए बूथ लेवल तक पकड़ बनाना बड़ा चेलेंज होगा, क्योंकि रघुवंशी अशोकनगर विस क्षेत्र से विधायक रहे मूल रूप से वहाई के नेता है लेकिन चन्देरी विधानसभा में टिकट की उम्मीद में पहले से ही कई उम्मीदवार अपनी जमीन सेट करने में लगे थे फिर चाहे वे पूर्व विधायक राव राजकुमार सिंह हो, पूर्व प्रत्याशी भूपेन्द्र द्विवेदी हो अन्य बीजेपी नेता. अब अचानक से उनकी जगह रघुवंशी को टिकट मिल जाने से कहीं ना कहीं मन में मलाल और अंदरूनी विरोध पैदा हो सकता है और अगर बीजेपी ने हालातों को क़ाबू में नहीं किया तो एक बार फिर भाजपा को प्रयास के लिए 5 साल इंतज़ार करना पड़ सकता है.

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