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बिजली की शिकायत पर जेई का छलका दर्द, कहा- खुद के पैसे से पेट्रोल डालकर जाते हैं गांव - विद्युत कंपनी

बिजली की समस्या से परेशान ग्रामीणों ने जब अपनी समस्या से जेई को रू-ब-रू कराया तो जेई भी अपने दर्द को रोक नहीं पाए और ग्रामीणों के सामने उनका दर्द छलक गया. पढ़िए पूरी खबर...

Villagers troubled by electricity problem
बिजली की समस्या से परेशान ग्रामीण
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Published : Sep 16, 2020, 2:51 AM IST

अशोकनगर। बिजली की समस्या लेकर किसान संघ के नेतृत्व में जुगया गांव के ग्रामीण बिजली कंपनी के दफ्तर पहुंचे. जहां ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताते हुए कंपनी के जेई (सहायक प्रबंधक) मयंक कुमार अरजरिया से बातचीत की. ग्रामीणों ने बताया कि साहब रात के समय बच्चे गर्मी में बेहाल हो जाते हैं. मच्छरों के काटने से बीमारी भी फेल रही है, ग्रामीणों की बात सुनकर कंपनी के जेई ने अपनी बात रखी.

कंपनी के सहायक प्रबंधक अरजरिया ने किसानों से बातचीत करते हुए बताया कि हम लोगों के पास 1240 डीपी है. जिनमें प्रत्येक पॉइंट पर शिकायत आने पर हमें मौके पर पहुंचना पड़ता है. आपकी तरह हम भी परेशान हैं. हमें कंपनी द्वारा किसी भी तरह का वाहन नहीं दिया गया है. ऐसे में हमें अपनी सैलरी से पैसा खर्च कर बाइक में पेट्रोल डालकर मौके पर पहुंचना पड़ता है. हालांकि कंपनी से ऐसे कार्यों के लिए वाहन दिया जाता है, जबकि कंपनी द्वारा हमें केवल वसूली के लिए ही सैलरी दी जाती है.

ग्रामीणों का कहना है कि हरिजन बस्ती में डीपी नहीं होने के कारण अंधेरा पड़ा रहता है. नई डीपी लगाने के लिए एवं अन्य डीपीओ से कनेक्शन कराने के लिए ग्रामीणों ने विद्युत कंपनी के सहायक प्रबंधक से गुहार लगाई थी.

अशोकनगर। बिजली की समस्या लेकर किसान संघ के नेतृत्व में जुगया गांव के ग्रामीण बिजली कंपनी के दफ्तर पहुंचे. जहां ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताते हुए कंपनी के जेई (सहायक प्रबंधक) मयंक कुमार अरजरिया से बातचीत की. ग्रामीणों ने बताया कि साहब रात के समय बच्चे गर्मी में बेहाल हो जाते हैं. मच्छरों के काटने से बीमारी भी फेल रही है, ग्रामीणों की बात सुनकर कंपनी के जेई ने अपनी बात रखी.

कंपनी के सहायक प्रबंधक अरजरिया ने किसानों से बातचीत करते हुए बताया कि हम लोगों के पास 1240 डीपी है. जिनमें प्रत्येक पॉइंट पर शिकायत आने पर हमें मौके पर पहुंचना पड़ता है. आपकी तरह हम भी परेशान हैं. हमें कंपनी द्वारा किसी भी तरह का वाहन नहीं दिया गया है. ऐसे में हमें अपनी सैलरी से पैसा खर्च कर बाइक में पेट्रोल डालकर मौके पर पहुंचना पड़ता है. हालांकि कंपनी से ऐसे कार्यों के लिए वाहन दिया जाता है, जबकि कंपनी द्वारा हमें केवल वसूली के लिए ही सैलरी दी जाती है.

ग्रामीणों का कहना है कि हरिजन बस्ती में डीपी नहीं होने के कारण अंधेरा पड़ा रहता है. नई डीपी लगाने के लिए एवं अन्य डीपीओ से कनेक्शन कराने के लिए ग्रामीणों ने विद्युत कंपनी के सहायक प्रबंधक से गुहार लगाई थी.

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