अशोकनगर। अशोकनगर में नदी, तालाबों में अवैध उत्खनन को रोकने के लिए भले ही शासन द्वारा कितनी भी शख्ती की जा रही हो, लेकिन फिर भी खनन माफियाओं के बुलंद हौसलों के आगे प्रशासन बेबस नजर ही आता है. अशोकनगर जिले में लगभग 40 से अधिक स्थानों पर बजरी का अवैध रूप से उत्खनन किया जा रहा है और यह सारा अवैध खेल प्रशासन के नाक के नीचे किया जा रहा है.
पनडुब्बी डाल कर हो रहा अवैध उत्खनन
अशोकनगर की नदियों में पनडुब्बी की सहायता से बेखौफ होकर माफिया बजरी निकाल रहे हैं. इस बजरी को उनके द्वारा बाजार में खपत किया जा रहा है. जिले में बेतवा, कैथन, कुर मासा सहित अन्य नदियों पर अवैध उत्खनन किया जा रहा है. पनडुब्बी डाल कर अवैध कारोबारी अपना गोरखधंधा चला रहे हैं. इन्हें रोकने की जहमत ना तो प्रशासन उठा रहा हैं और ना ही उन पर अंकुश लगाने की कोई बड़ी कार्रवाई की जाती है. कारण कुछ भी हो लेकिन इन दिनों जिले में यह व्यापार खूब फल फूल रहा है. तीन हजार से 3500 रुपये में बजरी निकालकर बाजार में ट्रॉली खुलेआम बेची जा रही है.
प्रतिदिन इन स्थानों से निकाली जाती है बजरी
क्षेत्र में गोरा, बेतवा,कुरमासा, बर्री सहित अन्य नदियों के किनारे जेसीबी और पनडुब्बी की सहायता से बजरी निकालकर बेचने की प्रक्रिया जारी है. आलम यह है कि जो भी इनका विरोध करता है. माफिया उन्हें दबाने का हर संभव प्रयास करते हैं. लिहाजा उनका यह अवैध कारोबार खूब फल फूल रहा है. उत्खनन माफिया माइनिंग एवं पुलिस की मिलीभगत के चलते इस अवैध व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं. नदियों से निकाली गई इस अवैध रेत का रात के समय परिवहन किया जाता है.
प्रशासन बन रहा मूक दर्शक
माइनिंग ऑफिसर अशोक सिंहारे से जब इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना है, कि मुझे अवैध उत्खनन के बारे में कोई जानकारी नहीं है. आप लोगों के बारे में मुझे जानकारी मिली है, तो कार्रवाई की जाएगी. कुछ समय पूर्व माइनिंग विभाग द्वारा घाट पर कार्रवाई के दौरान पर्ची मिली थी. इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई विभाग द्वारा नहीं की गई. हालांकि अपना पल्ला झाड़ते हुए माइनिंग ऑफिसर ने कार्रवाई करने की बात कही है.