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अपनों ने छोड़ा साथ तो डॉक्टर ने बढ़ाया हाथ, मरीज की जान बचाने के लिए किया रक्तदान

मरीज दयाराम आदिवासी को खून की मात्रा महज 3 ग्राम निकली. मरीज की स्थिति देख ड्यूटी डॉक्टर ने खून चढ़ाने के लिए लिख दिया. लेकिन परिजनों ने रक्त देने से मना कर दिया और मरीज को वापस घर ले जाने लगे. तब डॉक्टर जैन ने स्वयं ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान किया. साथ ही मरीज की जान बचाने के लिए दो अन्य युवकों से भी रक्तदान करवाया.

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Published : Jun 13, 2019, 5:10 PM IST

ब्लड़ देते डॉक्टर

अशोकनगर। ईसागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक मामला सामने आया है, जिसमें परिजनों के मरीज को खून देने से मना करने पर डॉक्टर ने खुद ही मरीज को खून दिया. एक युवक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसके शरीर में रक्त की मात्रा 3 ग्राम थी. जिसके बाद डॉक्टर ने मानवता दिखाते हुए मरीज को न सिर्फ अपना खून दिया, बल्कि 2 लोगों को फोन लगाकर उनसे भी रक्तदान कराया, ताकि युवक की जान बचाई जा सके.

डॉक्टर ने दिया मरिज को खून

सरकारी अस्पताल के मेल वार्ड में टीवी का मरीज दयाराम आदिवासी भर्ती हुआ. परीक्षण के दौरान उसके शरीर में खून की मात्रा महज 3 ग्राम निकली. मरीज की स्थिति देख ड्यूटी डॉक्टर ने खून चढ़ाने के लिए लिख दिया. लेकिन परिजनों ने रक्त देने से मना कर दिया और मरीज को वापस घर ले जाने लगे. तब डॉक्टर जैन ने स्वयं ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान किया. साथ ही मरीज की जान बचाने के लिए दो अन्य युवकों से भी रक्तदान करवाया.

डॉक्टर संदीप जैन ने बताया कि पुरुष वार्ड में भर्ती दयाराम की स्थिति बहुत ही गंभीर थी. उसके शरीर मात्र 3 ग्राम खून था. टीबी की बीमारी से ग्रसित है. जब उसके परिजनों को ब्लड देने के लिए कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया और घर ले जाने की जिद करने लगे, इसके बाद मरीज का उपचार जरूरी था. इसलिए वे स्वयं रक्तदान किये.

अशोकनगर। ईसागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक मामला सामने आया है, जिसमें परिजनों के मरीज को खून देने से मना करने पर डॉक्टर ने खुद ही मरीज को खून दिया. एक युवक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसके शरीर में रक्त की मात्रा 3 ग्राम थी. जिसके बाद डॉक्टर ने मानवता दिखाते हुए मरीज को न सिर्फ अपना खून दिया, बल्कि 2 लोगों को फोन लगाकर उनसे भी रक्तदान कराया, ताकि युवक की जान बचाई जा सके.

डॉक्टर ने दिया मरिज को खून

सरकारी अस्पताल के मेल वार्ड में टीवी का मरीज दयाराम आदिवासी भर्ती हुआ. परीक्षण के दौरान उसके शरीर में खून की मात्रा महज 3 ग्राम निकली. मरीज की स्थिति देख ड्यूटी डॉक्टर ने खून चढ़ाने के लिए लिख दिया. लेकिन परिजनों ने रक्त देने से मना कर दिया और मरीज को वापस घर ले जाने लगे. तब डॉक्टर जैन ने स्वयं ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान किया. साथ ही मरीज की जान बचाने के लिए दो अन्य युवकों से भी रक्तदान करवाया.

डॉक्टर संदीप जैन ने बताया कि पुरुष वार्ड में भर्ती दयाराम की स्थिति बहुत ही गंभीर थी. उसके शरीर मात्र 3 ग्राम खून था. टीबी की बीमारी से ग्रसित है. जब उसके परिजनों को ब्लड देने के लिए कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया और घर ले जाने की जिद करने लगे, इसके बाद मरीज का उपचार जरूरी था. इसलिए वे स्वयं रक्तदान किये.

Intro:अशोकनगर. रक्तदान महादान है, लेकिन इस बात के लिए लोगों में जागरूकता नहीं है. जिसके कारण वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजन रक्त देने की बात सुनते ही मरीज को छोड़कर दूर खड़े हो जाते हैं. ऐसा ही एक मामला जिला अस्पताल में देखने को मिला, जब ईसागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक युवक को सीरियस स्थिति में जिला अस्पताल भर्ती कराया गया. उसके शरीर में रक्त की मात्रा 3 ग्राम थी. जिसके बाद डॉक्टर ने मानवता दिखाते हुए मरीज को ना सिर्फ अपना खून दिया, बल्कि 2 लोगों को फोन लगाकर उनसे भी रक्तदान कराया, ताकि युवक की जान बचाई जा सके.


Body:बुधवार को जिला अस्पताल के मेल बार्ड में टीवी के मरीज दयाराम आदिवासी भर्ती हुआ. परीक्षण के दौरान उसके शरीर में मात्र 3 ग्राम खून की मात्रा निकली. मरीज की स्थिति देखकर ड्यूटी डॉक्टर ने खून चढ़ाने के लिए लिख दिया. सुबह जब बार्ड में राउंड लेने के लिए डॉक्टर पहुंचे.तभी ब्लड बैंक प्रभारी डॉ संदीप जैन मरीज की गंभीर स्थिति देखते हुए उन्होंने उसके साथ मौजूद जीजा जसवंत को तत्काल ब्लड की व्यवस्था करने के लिए कहा. जब जीजा ने रक्त नही देने की बात कही और मरीज को वापस अपने घर ले जाने की बात कही. इसके बाद डॉ श्री जैन ने स्वयं ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान किया. साथ ही मरीज की जान बचाने दो अन्य युवक को भी रक्तदान कर आया.


Conclusion:डॉक्टर संदीप जैन ने बताया कि पुरुष वार्ड में भर्ती दयाराम की स्थिति बहुत ही गंभीर थी. उसके शरीर मात्र 3 ग्राम खून था. एवं टीवी की बीमारी से ग्रसित है. जब उसके परिजनों को ब्लड देने के लिए कहा गया.तो उन्होंने रख देने से मना कर दिया. और घर ले जाने की जिद करने लगे इसके बाद मरीज को उपचार कराना जरूरी था. इसलिए मैंने स्वयं रक्तदान किया एवं दो अन्य यूनिट ब्लड के लिए दो लोगों से भी ब्लड दिलाया.
बाइट-डॉक्टर संदीप जैन,ब्लड बैंक प्रभारी.
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