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कोरोना से जंग: ड्यूटी और फर्ज दोनों साथ निभा रहे रोजेदार

कोरोना से इस समय पूरा विश्व जंग लड़ रहा है. वहीं रमजान का महीना होने के चलते इस्लाम को मानने वाले कोरोना योद्धा धर्म और फर्ज दोनों बखूबी निभाते हैं.

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Published : May 8, 2020, 5:25 PM IST

Both duty and duty are working together in ashoknagar
ड्यूटी और फर्ज दोनों साथ निभा रहे रोजेदार

अशोकनगर। 15 घंटे का लंबा रोजा, 42 डिग्री तापमान और गर्म हवाओं के बीच रोजेदार रोजा रखकर अपना फर्ज भी बखूबी निभा रहे हैं. रोजे और फर्ज को एक साथ निभा रहे यातायात थाने में पदस्थ एएसआई सफायत खान का कहना है कि दिनभर धूप में सड़क पर खड़े होकर ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं. तपा देने वाली गर्मी में रोजे के दौरान लोगों को सोशल डिस्टेंस और मास्क पहनने की समझाइश दे रहे हैं. जरूरी बात ये है कि रोजा रखने वाले पुलिसकर्मी अपने फर्ज को लेकर प्रतिबद्धता दिखा रहे हैं.

कड़ी धूप में कर्ज भी और फर्ज भी

रोजे और ड्यूटी दोनों का ही फर्ज निभा रहे एएसआई सफायत खान की कार्यशैली ओर उनके जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है. इस झुलसा देने वाली गर्मी में जहां रोजेदार सड़क पर चलने-फिरने से गुरेज कर रहे हैं. ऐसे समय में सड़कों पर खड़े होकर ये पुलिसकर्मी लोगों को कोरोना से बचने के तरीके बता रहे हैं. यातायात थाने में पदस्थ सफायत खान ने बताया वो 10 साल की उम्र से ही रोजा रखते आ रहे हैं. रोजा होने के बाद भी सुबह 8 बजे ड्यूटी पर आ जाते हैं और रात 9 बजे तक चौराहे पर तैनात रहते हैं. दोपहर में समय निकाल कर नमाज अदा करते हैं और ऐसे ही इफ्तारी भी कर लेते हैं. रोजा और नौकरी दोनों ही फर्ज हैं, ऐसे में दोनों ही मुझसे जुदा नहीं हो सकते. इसलिए दोनों ही फर्ज और धर्म को पूरी ईमानदारी से अदा कर रहा हूं.

ड्यूटी सबसे ऊपर- सफायत खान

सफायत खान ने कहा कि खुशनसीब हूं की इबादत के साथ लोगों की मदद करने का मिला मौका है. अल्लाह ताला से दुआ है कि सब जल्द ठीक हो जाए, लॉकडाउन खुले ताकि सभी काम पर लौटें. अपनी इबादत में बस यही अल्लाह से मांग करते हैं कि हमारा देश जल्द से जल्द पूर्ण स्वस्थ हो, ताकि अमन-चैन बना रहे. धूप में रोजे के दौरान परेशानी तो होती है, लेकिन ड्यूटी सबसे ऊपर है. रोजा का समय साल में एक बार समय आता है, इसे छोड़ भी नहीं सकते. यह किसी को नहीं पता कि अगले साल नसीब होंगे भी या नहीं. हालांकि धूप है परेशानी तो बहुत आती है लेकिन ड्यूटी सबसे ऊपर है.

अशोकनगर। 15 घंटे का लंबा रोजा, 42 डिग्री तापमान और गर्म हवाओं के बीच रोजेदार रोजा रखकर अपना फर्ज भी बखूबी निभा रहे हैं. रोजे और फर्ज को एक साथ निभा रहे यातायात थाने में पदस्थ एएसआई सफायत खान का कहना है कि दिनभर धूप में सड़क पर खड़े होकर ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं. तपा देने वाली गर्मी में रोजे के दौरान लोगों को सोशल डिस्टेंस और मास्क पहनने की समझाइश दे रहे हैं. जरूरी बात ये है कि रोजा रखने वाले पुलिसकर्मी अपने फर्ज को लेकर प्रतिबद्धता दिखा रहे हैं.

कड़ी धूप में कर्ज भी और फर्ज भी

रोजे और ड्यूटी दोनों का ही फर्ज निभा रहे एएसआई सफायत खान की कार्यशैली ओर उनके जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है. इस झुलसा देने वाली गर्मी में जहां रोजेदार सड़क पर चलने-फिरने से गुरेज कर रहे हैं. ऐसे समय में सड़कों पर खड़े होकर ये पुलिसकर्मी लोगों को कोरोना से बचने के तरीके बता रहे हैं. यातायात थाने में पदस्थ सफायत खान ने बताया वो 10 साल की उम्र से ही रोजा रखते आ रहे हैं. रोजा होने के बाद भी सुबह 8 बजे ड्यूटी पर आ जाते हैं और रात 9 बजे तक चौराहे पर तैनात रहते हैं. दोपहर में समय निकाल कर नमाज अदा करते हैं और ऐसे ही इफ्तारी भी कर लेते हैं. रोजा और नौकरी दोनों ही फर्ज हैं, ऐसे में दोनों ही मुझसे जुदा नहीं हो सकते. इसलिए दोनों ही फर्ज और धर्म को पूरी ईमानदारी से अदा कर रहा हूं.

ड्यूटी सबसे ऊपर- सफायत खान

सफायत खान ने कहा कि खुशनसीब हूं की इबादत के साथ लोगों की मदद करने का मिला मौका है. अल्लाह ताला से दुआ है कि सब जल्द ठीक हो जाए, लॉकडाउन खुले ताकि सभी काम पर लौटें. अपनी इबादत में बस यही अल्लाह से मांग करते हैं कि हमारा देश जल्द से जल्द पूर्ण स्वस्थ हो, ताकि अमन-चैन बना रहे. धूप में रोजे के दौरान परेशानी तो होती है, लेकिन ड्यूटी सबसे ऊपर है. रोजा का समय साल में एक बार समय आता है, इसे छोड़ भी नहीं सकते. यह किसी को नहीं पता कि अगले साल नसीब होंगे भी या नहीं. हालांकि धूप है परेशानी तो बहुत आती है लेकिन ड्यूटी सबसे ऊपर है.

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