अनूपपुर। दीवारों में दरार, टपकती छतें, भवन की दीवारों पर उगे पौधे, टूटे दरवाजे और गंदे शौचालय, यह हाल है अनूपपुर जिले के जैतहरी विकासखण्ड की ग्राम पंचायत लाहसुना में स्थित आदिवासी बालक छात्रावास का. भवन की स्थिति बहुत ही ज्यादा जर्जर है, जो कभी भी गिर सकता है. इससे छात्रावास में रहने वाले बच्चों पर हर समय खतरा बना हुआ है. इसी खतरे के भय से बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता. ऐसी हालत के बावजूद भी इस जर्जर भवन में 50 सीटों का छात्रावास संचालित हो रहा है, जिसकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को भी है.
यह छात्रावास 1980 में 20 सीटों के साथ संचालित हुआ था. भवन में दो कमरे में ही बच्चों की रहने की व्यवस्था है. फिर भी यहां सीटें बढ़ाकर 50 कर दी गईं, जिससे अब एक बेड पर दो बच्चे सोते हैं. भवन में बारिश के दिनों में दीवारों से पानी अंदर आता है, जिससे दीवारों में काई जम गई है. दीवारें कई जगह से उखड़ चुकी हैं और छत झुक गई है, जो कभी भी गिर सकती है. जिस कारण बच्चों की जान को खतरा बना हुआ है. छत को लेकर बच्चे दहशत में है, शौचालय की स्थिति भी भवन जैसी ही खराब है. हैंडपंप से भी लाल पानी निकल रहा है, जिसका उपयोग करने के लिए बच्चे मजबूर हैं.
छात्रावास अधीक्षक द्वारा कई बार विकासखण्ड अधिकारी और सहायक आयुक्त के साथ कलेक्टर को भी लिखित और मौखिक रूप से जर्जर छात्रावास की जानकारी दी जा चुकी है. बावजूद इसके अधिकारियों ने अभी तक कोई सुध नहीं ली है. वहीं जब ट्राइबल विभाग के सहायक आयुक्त डीएस राव को मामले की जानकारी दी गई, तो उन्होंने प्रपोजल भिजवाकर नए भवन की मांग किए जाने की बात कही. तत्काल में अतिरिक्त कक्ष की व्यवस्था करने की बात कही.