अनूपपुर। जनपद अनूपपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत भाद प्रांगण के अंदर प्राचीन हस्तलिखित पत्थर आज भी अपनी कहानी बयां कर रहे हैं. कई पीढ़ियों से इस ग्राम पंचायत के ग्रामीण देउर बाबा धाम के नाम से पूजते आ रहे हैं.जिस जगह पर प्राचीन हस्तलिखित पत्थर रखे हुए हैं, उसी जगह कुछ दूरी पर उसी पत्थर से कुआं भी स्थापित है. (stones of pandava period are present in anuppur)
कब से यहां पत्थर हैं किसी को जानकारी नहींः ग्रामीणों ने बताया कि यह जो पत्थर है, हमारे आसपास कहीं नहीं मिलता. यह पत्थर कब से है हमें जानकारी नहीं है. हमारी कई पीढ़ी बीत चुकी जिस तरह से हमारे पूर्वज पूजा पाठ करते चले आए उसी तरह आज भी हम लोग इस जगह पर पूजा-पाठ यज्ञ करते हैं. हमने आज तक इससे कोई छेड़छाड़ नहीं की है. हमारे लिए यह ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ पूजनीय भी है. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. (No one knows since when stones have been here)
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लोगों की मन्नते होती है पूरीः स्थानीय ग्रामीण कमल केवट ने बताया कि यहां पर जो पत्थर है. पांडव लोगों के द्वारा गाड़ा गया पत्थर है. हमारे गांव में किसी प्रकार की अगर कोई समस्या होती है तो देउर बाबा उद्धार कर देते हैं. यह जो मंदिर है पांडव काल के समय का है. पांडवों के द्वारा यहां पर पुणे का भी निर्माण किया गया जो आज भी है. हमारे यहां जो भी सच्चे मन से कुछ मांगता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. (peoples wishes come true)
रहस्य आज भी बरकरारः अनूपपुर जिले में प्राचीन हस्तलिपि पत्थरों पर रहस्य आज भी बरकरार है. जिले के कोयलांचल क्षेत्र ग्राम पंचायत दालसागर में स्थित शिवलहरा धाम में भी मान्यता है कि पांडव लोग अज्ञातवास में यहां पर आए थे. उसी प्रकार के हस्तलिपि पत्थर आसपास के क्षेत्रों में आज देखने को मिल जाते हैं. पुरातत्व विभाग विभाग की टीम ने कई बार इस जगह पर रिसर्च भी किया परंतु आज भी पत्थरों पर लिखे शब्दों का रहस्य कोई नहीं जान पाया है. (The mystery still persists)