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'तराजू' का बैलेंस ठीक करने वाले विभाग का बिगड़ा बैलेंस, अधिकारी-कर्मचारी पानी से बचने के लिए लगा रहे छलांग

'इंसाफ' के तराजू का बैलेंस मुकम्मल करने वाले नापतौल विभाग का बैलेंस आजकल इतना बिगड़ा हुआ है कि अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने ही दफ्तर तक पहुंचने के लिए जूता हाथ में लेकर लंबी-लंबी छलांग लगानी पड़ रही है, ताकि उनका बैलेंस बना रहे.

'तराजू' का बैलेंस ठीक करने वाले विभाग का बिगड़ा बैलेंस
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Published : Sep 19, 2019, 6:00 PM IST

अनूपपुर। नापतौल विभाग का कार्यालय आजकल पानी के बैलेंस का अंदाजा भी नहीं लगा पा रहा है क्योंकि दफ्तर के पास मूर्ति विसर्जन के लिए बना कुंड बारिश के चलते भर चुका है. ऊपर से दफ्तर तक पहुंचने के लिए रोजाना अधिकारियों-कर्मचारियों को छापेमारी जैसी कूद-फांद करनी पड़ती है और जब ऑफिस से निकलना होता है, तब भी उसी प्रक्रिया को दोहराना पड़ता है, जबकि ऑफिस तक पहुंचने के लिए जूता हाथ में लेकर लंबी छलांग लगानी पड़ती है. पिछले पांच साल से यही हाल है, लेकिन बारिश के दौरान इनकी ये समस्या और भी बढ़ जाती है.

'तराजू' का बैलेंस ठीक करने वाले विभाग का बिगड़ा बैलेंस

नापतौल विभाग के कर्मचारी कई बार इस समस्या से प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन ने वर्ष 2015 में त्योहार के दौरान खनिज विभाग तथा नापतौल विभाग के बीच गहरे गड्ढे को प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अस्थाई कुंड बनाया था. जिसमें हर साल मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है. बाद में इसे सुधारा नहीं गया, जिसके चलते नापतौल विभाग के कार्यालय तक पहुंचने के लिए आम आदमी के अलावा अधिकारियों-कर्मचारियों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

अनूपपुर। नापतौल विभाग का कार्यालय आजकल पानी के बैलेंस का अंदाजा भी नहीं लगा पा रहा है क्योंकि दफ्तर के पास मूर्ति विसर्जन के लिए बना कुंड बारिश के चलते भर चुका है. ऊपर से दफ्तर तक पहुंचने के लिए रोजाना अधिकारियों-कर्मचारियों को छापेमारी जैसी कूद-फांद करनी पड़ती है और जब ऑफिस से निकलना होता है, तब भी उसी प्रक्रिया को दोहराना पड़ता है, जबकि ऑफिस तक पहुंचने के लिए जूता हाथ में लेकर लंबी छलांग लगानी पड़ती है. पिछले पांच साल से यही हाल है, लेकिन बारिश के दौरान इनकी ये समस्या और भी बढ़ जाती है.

'तराजू' का बैलेंस ठीक करने वाले विभाग का बिगड़ा बैलेंस

नापतौल विभाग के कर्मचारी कई बार इस समस्या से प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन ने वर्ष 2015 में त्योहार के दौरान खनिज विभाग तथा नापतौल विभाग के बीच गहरे गड्ढे को प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अस्थाई कुंड बनाया था. जिसमें हर साल मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है. बाद में इसे सुधारा नहीं गया, जिसके चलते नापतौल विभाग के कार्यालय तक पहुंचने के लिए आम आदमी के अलावा अधिकारियों-कर्मचारियों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

Intro:जिला संयुक्त कलेक्ट्रेट परिसर के सटे जिला अनूपपुर नापतौल विभाग कार्यालय में पानी के भराव के कारण चारों ओर से घिरा हुआ है |कार्यालय के चारों ओर गड्ढे में पानी भर जाने के कारण अधिकारी कर्मचारी कार्यालय तक नहीं पहुंच पा रहे हैं | अधिकारियों कर्मचारी तथा जनता को ऑफिस तक जाने के लिए घुटनों भर पानी में चलकर जाना पड़ता है | लगभग 25 लाख की लागत से बनी इस विभागीय कार्यालय तक कोई पहुंच मार्ग नहीं बनाया गया है| रास्ते के लिए विभाग के अधिकारी व कर्मचारी पिछले 5 साल से तरस रहे हैं अन्य दिनों तक इसी प्रकार गड्ढों के रास्ते कार्यालय तक पहुंच जाते हैं | लेकिन बारिश में कार्यालय तक मुश्किल हो जाता है | इसके लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा बार-बार उपलब्ध कराने की अपील की गई उपेक्षित छोड़ दिया गया पीडब्ल्यूडी विभाग की जानकारी के अनुसार 2010 में नाता विभाग कार्यालय के भवन का निर्माण संयुक्त कलेक्टर परिसर के अंदर बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था| लेकिन भूमि की कमी के कारण बाद में इसे संयुक्त कलेक्ट्रेट कार्यालय के पास भूमि आवंटित कर दिया गया लोक निर्माण विभाग द्वारा 25 लाख 24 हजार की लागत से 2012 में जिला नापतोल प्रयोगशाला यह कार्यालय के रूप में बनाया गया इसमें 28 जुलाई 2014 को नए भवन इस कार्यालय का अनावरण किया गया था तब से अब तक पानी की व्यवस्था नहीं बनाई गई है | Body:नापतौल विभाग अधिकारियों के अनुसार गहरे गड्ढे के कारण जिला प्रशासन ने वर्ष 2015 में खनिज विभाग तथा नापतोल विभाग के बीच बने गड्ढे को त्यौहार के दौरान प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अस्थाई कौन का निर्माण करवाया गया था जिससे प्रतिवर्ष इस कुंड में गणपति दुर्गा काली तथा अन्य प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है | नापतोल विभाग में के कार्यालय में आने के लिए जनता कर्मचारी तथा अधिकारियों को बड़ी जद्दोजहद कर करनी पड़ती है घुटनों पर पानी के बीच होकर कार्यालय पहुंचा जाता है| Conclusion:
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