सागर : जबलपुर हाइकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों के बारे में बड़ा फैसला सुनाया है. हाइकोर्ट ने पूर्व अतिथि शिक्षकों की याचिका पर जिम्मेदार अफसरों को 45 दिन के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है. पूर्व अतिथि शिक्षक याचिकार्ताओं ने बीते सत्र में कार्यरत रहने के दौरान का मानदेय व फिर से नियुक्ति दिलाने की मांग की थी. याचिका में बताया गया कि अतिथि शिक्षक रहते हुए स्कूलों में पढ़ाया है. लेकिन अक्टूबर 2023 से 5 महीने का मानदेय नहीं दिया गया, जबकि अतिथि शिक्षकों के स्कूलों में उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर भी हैं. इन अतिथि शिक्षकों ने फरवरी 2024 तक शैक्षणिक कार्य किया.
क्या है मामला, सिलसिलेवार समझिए
याचिकाकर्ता पूर्व अतिथि शिक्षक अजय ठाकुर ने बताया "हाइकोर्ट के एडवोकेट राजेश दुबे के जरिए हम लोगों ने 15 सितम्बर 2024 को हाइकोर्ट में याचिका करते हुए ब्याज सहित लंबित वेतन दिलाने और नियुक्त करने का आग्रह किया था. हम लोग अतिथि शिक्षक के रूप में कार्यरत थे लेकिन अक्टूबर 2023 से वेतन मिलना बंद हो गया. हम लोगों ने फरवरी 2024 तक बतौर अतिथि शिक्षक नियुक्त शाला में अध्यापन कार्य भी किया. याचिका में प्रदेश शासन, जिला शिक्षा अधिकारी सहित बीईओ को पार्टी बनाया गया."
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आदेश की कॉपी लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे अतिथि शिक्षक
अतिथि शिक्षकों ने इससे पहले बीईओ, डीईओ, कलेक्टर की जनसुनवाई और 181 पर आवेदन देकर मानदेय दिलाने की मांग की थी. सुनवाई नहीं होने पर अतिथि शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई. अतिथि शिक्षक अजय ठाकुर, पंकज साहू, आशीष कुमार, उदयभान लोधी, प्रसन्न कुर्मी, हरविंद सिंह, नीरज अहिरवार, मुकेश अहिरवार द्वारा याचिका लगाई गई. याचिकाकर्ता अजय ठाकुर ने बताया "हाइकोर्ट ने 24 अक्टूबर 2024 को अनावेदकों को 45 दिन में निर्णय लेने का आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद हम लोगों ने कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी सहित बीईओ को आदेशानुसार निर्णय लेने के लिए आवेदन दिया है."