अनूपपुर। अमरकंटक ऊंची पहाड़ी क्षेत्र में बसा हुआ है. यहां नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है. यहां हर साल दिसंबर महीने में तापमान न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाता है. कई बार यहां की जमीन पर बर्फ रूपी सफेद ओस जमी दिखाई देती हैं. ठंड के पीक का समय मुख्य रूप से दिसंबर व जनवरी ही होता है. हर साल इस समय अमरकंटक में तापमान 1 और 0 डिग्री पर पहुंचता है, लेकिन इस बार दिसंबर और जनवरी में तापमान 1 और जीरो डिग्री पर नहीं पहुंचा था, पर 3 फरवरी शुक्रवार को तापमान कुछ समय के लिए शून्य पर पहुंच गया था.
ओस की बूंदें जमने से दिखा खूबसूरत नजारा: अमरकंटक में नर्मदा तटीय क्षेत्र और अन्य स्थानों पर सफेद बर्फ रूपी ओस की बूंदें सुबह जमी रहीं. ठंड का समय लगभग समाप्त की ओर है, लेकिन हिमालय में हो रही बर्फबारी से मौसम में बदलाव हो रहा है. इसके चलते ठंड जिले के वातावरण में समाई हुई है. पवित्र नगरी अमरकंटक के माई की बगिया, रामघाट, कपिलधारा मार्ग और आसपास लगे गांव में घास और पैरा में खर्रा जमा हुआ नजर आया. अमरकंटक में ठंड अच्छी खासी महसूस हो रही थी. शीतलहर चलने के कारण तापमान में गिरावट आ गई थी.शुक्रवार की सुबह ओस की बूंदे जमने का मनोहरी नजारा दूर-दूर से आए पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को देखने को मिल ही गया.
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ठंड पड़ने से अरहर की फसल को नुकसान: गुरुवार को भी अमरकंटक सहित जिले के चारों तहसील क्षेत्र में कड़ाके की ठंड थी. शुक्रवार की सुबह भी लोगों को ठंड का सामना करना पड़ा. पुष्पराजगढ़ तहसील क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ने से अरहर की फसल को नुकसान हुआ. माघ माह चल रहा है, ठंड के फिर से पलट कर आने की संभावना कम थी, लेकिन पर्यावरण में बदलाव के चलते लोगों को फरवरी माह में भी ठंड का सुहावना मौसम मिल रहा है. लोग भी चाहते हैं कि अधिक दिनों तक ऐसे ही ठंड बरकरार रहे. संभावना जताई गई है कि अगर शुक्रवार और शनिवार की रात हवाएं न चली तो एक बार फिर यहां तापमान नीचे आ जाएगा और बर्फ जमने जैसा नजारा अमरकंटक की धरा पर नजर आएगा.