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ऐसे पढ़ेगा इंडिया ! यहां नन्हें हाथों में पैन और किताब नहीं, थमा दी जाती है झाड़ू

सरकार द्वारा करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जाता है, जिससे प्रदेश में निवास करने वाले गरीबों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में ही पढ़कर निजी विद्यालयों की तरह शिक्षा ग्रहण कर सके लेकिन जिले के ऐसे कई विद्यालय है, जहां शिक्षकों की मनमानी के चलते ऐसे नौनिहालों का भविष्य अंधकार में है.

School Ground Cleaning by Children in anuppur
अनूपपुर शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी में बच्चों ने लगाई झाड़ू
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Published : Feb 20, 2022, 10:09 PM IST

Updated : Feb 20, 2022, 10:51 PM IST

अनूपपुर। प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग को लेकर आये दिन बड़े-बड़े दावे करती है, शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जाता है, जिससे प्रदेश में निवास करने वाले गरीबों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में ही पढ़कर निजी विद्यालयों की तरह शिक्षा ग्रहण कर सके लेकिन जिले के ऐसे कई विद्यालय है, जहां शिक्षकों की मनमानी के चलते ऐसे नौनिहालों का भविष्य अंधकार में है.

अनूपपुर शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी में बच्चों ने लगाई झाड़ू

शिक्षकों की मनमर्जी
दरअसल, मामला अनूपपुर ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी का है, जहां शिक्षक विद्यालय समयानुसार आने की बजाए अपनी मनमर्जी से आते हैं. शिक्षकों की ऐसा डर कि बच्चे शिक्षकों के आने के पूर्व विद्यालय पहुंचकर झाड़ू लगाकर साफ-सफाई करते हैं. अब सबाल यह है कि, सरकार द्वारा बच्चों के लिए मुफ्त किताबें, ड्रेस, जूते-मोजे, स्वेटर और मध्यान्ह भोजन बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है तो इन नन्हें हाथों में झाड़ू किसने थमाई.

दुर्दशा देख अभिभावक परेशान
विद्यालय शासन के मानक के अनुरूप नहीं बल्कि शिक्षकों के अनुरूप संचालित है वहीं, इन हालातों को देखते हुए जब गांव के ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, शिक्षकों का आवागमन मनमाने समय से होता है, जबकि बच्चे स्कूल खुलने के पहले ही स्कूल परिसर में पहुंचकर विद्यालय खुलने का इंतजार करते रहते हैं. इस कारण बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती. ग्रामीणों का कहना है कि, मजबूरन हम लोगों को अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए सोचना पड़ता है, पर गरीब वर्ग के लोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं जिससे अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलवा सके और शासकीय विद्यालय की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. ग्रामीण कहते है कि, और जब हम ग्रामीणों द्वारा इस बात का विरोध किया जाता है तो हमारी बात में कोई ध्यान नहीं देता.

ऐसी है मध्यान्ह भोजन भी व्यवस्था
मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था को लेकर जब बच्चों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, कभी भी पूरी, खीर, हलवा आदि नहीं मिलता है. अनूपपुर जनपद के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी में शिवा स्व सहायता समूह द्वारा मध्याह्न भोजन बच्चों को दिया जाता है, जिस पर समूह संचालक द्वारा जमकर मनमानी करते हुए मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जाता.

Bihar Matric Exam 2022: हम नहीं सुधरेंगे! देखिए एग्जाम सेंटर पर पर्चा बनाने का LIVE VIDEO

अधिकारी का ऐसा जवाब
अनूपपुर जनपद के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी में बच्चो से झाडू लगवाने के बारे में कैमरे में पूछना चाहा तो विकास खंड शिक्षा अधिकारी के.के वर्मा ने गोलमोल जवाब देते हुए कैमरे में कुछ भी कहने से मना कर दिया और कहा कि चपरासी नहीं होंगे इसलिए विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों से झाड़ू लगवा दी गई होगी.

अनूपपुर। प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग को लेकर आये दिन बड़े-बड़े दावे करती है, शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जाता है, जिससे प्रदेश में निवास करने वाले गरीबों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में ही पढ़कर निजी विद्यालयों की तरह शिक्षा ग्रहण कर सके लेकिन जिले के ऐसे कई विद्यालय है, जहां शिक्षकों की मनमानी के चलते ऐसे नौनिहालों का भविष्य अंधकार में है.

अनूपपुर शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी में बच्चों ने लगाई झाड़ू

शिक्षकों की मनमर्जी
दरअसल, मामला अनूपपुर ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी का है, जहां शिक्षक विद्यालय समयानुसार आने की बजाए अपनी मनमर्जी से आते हैं. शिक्षकों की ऐसा डर कि बच्चे शिक्षकों के आने के पूर्व विद्यालय पहुंचकर झाड़ू लगाकर साफ-सफाई करते हैं. अब सबाल यह है कि, सरकार द्वारा बच्चों के लिए मुफ्त किताबें, ड्रेस, जूते-मोजे, स्वेटर और मध्यान्ह भोजन बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है तो इन नन्हें हाथों में झाड़ू किसने थमाई.

दुर्दशा देख अभिभावक परेशान
विद्यालय शासन के मानक के अनुरूप नहीं बल्कि शिक्षकों के अनुरूप संचालित है वहीं, इन हालातों को देखते हुए जब गांव के ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, शिक्षकों का आवागमन मनमाने समय से होता है, जबकि बच्चे स्कूल खुलने के पहले ही स्कूल परिसर में पहुंचकर विद्यालय खुलने का इंतजार करते रहते हैं. इस कारण बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती. ग्रामीणों का कहना है कि, मजबूरन हम लोगों को अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए सोचना पड़ता है, पर गरीब वर्ग के लोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं जिससे अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलवा सके और शासकीय विद्यालय की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. ग्रामीण कहते है कि, और जब हम ग्रामीणों द्वारा इस बात का विरोध किया जाता है तो हमारी बात में कोई ध्यान नहीं देता.

ऐसी है मध्यान्ह भोजन भी व्यवस्था
मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था को लेकर जब बच्चों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, कभी भी पूरी, खीर, हलवा आदि नहीं मिलता है. अनूपपुर जनपद के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी में शिवा स्व सहायता समूह द्वारा मध्याह्न भोजन बच्चों को दिया जाता है, जिस पर समूह संचालक द्वारा जमकर मनमानी करते हुए मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जाता.

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अधिकारी का ऐसा जवाब
अनूपपुर जनपद के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी में बच्चो से झाडू लगवाने के बारे में कैमरे में पूछना चाहा तो विकास खंड शिक्षा अधिकारी के.के वर्मा ने गोलमोल जवाब देते हुए कैमरे में कुछ भी कहने से मना कर दिया और कहा कि चपरासी नहीं होंगे इसलिए विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों से झाड़ू लगवा दी गई होगी.

Last Updated : Feb 20, 2022, 10:51 PM IST
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