अलीराजपुर। पश्चिम मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल अलीराजपुर जिले में आदिवासी समाज का भगोरिया हाट नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा. होली के एक सप्ताह पहले होता है भगोरिया मेले का आयोजन. जिसमें लाखों की हजारों लाखों की संख्या मे आदिवासी समाज के लोग होते हैं. जी हां विश्व प्रसिद्ध भगोरिया हाट को देखने देश विदेश से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इस पर्व की खासियत है कि आदिवासी समाज के लोग अपनी पारम्परिक वेशभूषा में अपने पूरे परिवार के साथ होली की खरीदारी करने आते हैं और हाट में लगे मेलों का आनन्द लेते हैं. खासकर यह पर्व पश्चिमी इलाकों में धूमधाम से मनाया जाता है. अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन और धार जिले में इस पर्व को मनाया जाता है.
झलकती है पुरानी संस्कृति
मद मस्त कर देने वाली बांसुरी की धुन और ढोलक की थाप हर किसी को झुमने पर विवश कर देती है. ऐसा ही नजारा पश्चिमी इलाके के अलीराजपुर जिले में होली के एक
सप्ताह पहले आने वाला भगोरिया हाट में रहता है. जिसमे आदिवासी समाज की सदियों पुरानी संस्कृति झलकती है. भगोरिया हाट में आदिवासी समाज के लोग अपने पूरे परिवार के साथ होली के पूजन सामग्री का सामान खरिदने आते हैं और इस हाट में लगे मेलों का आनन्द लेते हैं.
जरा हटकर है भगोरिया हाट: ढोल-मांदल की थाप पर थिरके आदिवासी
अपनी पारम्परिक वेशभूषा में आदिवासी युवक
युवती रंग बिरंगी वेशभूषा में नजर आते हैं. मेलों में समाज के लोग झूलों का लुत्फ लेते हैं. इस हाट में आदिवासी संस्कृति को देखने के लिए देश और विदेश से बड़ी संख्या में लोग आते हैं और इस पर्व का आनन्द लेते हैं. समाज के लोगों का कहना है की आदिवासी समाज में ज्यादतर लोग किसान है और इन लोगों के पास होली का ही एक ऐसा समय रहता है जब ये लोग अपने परिवार को ज्यादा समय दे पाते हैं. इसलिय भगोरिया हाट में समाज के लोगों से भी मिलना हो जाता है और उनको होली की शुभकामनाएं भी दे देते हैं. इसलिय भगोरिया हाट में आदिवासी समाज का हर इंसान भगोरिया हाट में जरुर जाता है.