अलीराजपुर। खेती करना कोई आम कामों में से नहीं है. यहां किसानों को एक फसल तैयार करने के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है. यह तो सभी जानते हैं. पहाड़ी क्षेत्र, ढलाननुमा भूमि, पथरीली जमीन, मृदा की कम गहराई और रेतीली मिट्टी में खेती करना एक चुनौती भरा काम है. ऐसे में पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक पद्धति से कृषि करके बेहतर परिणाम लाने के विशेष प्रयास अलीराजपुर जिले में किये जा रहे हैं. जिसके प्रारंभिक परिणाम उत्साहजनक और किसानों को आधुनिक तकनीक से कृषि कि ओर आकर्षित कर रहे हैं. कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा मक्का फसल लेने की पारंपरिक कृषि पद्धति से हटकर आधुनिक पद्धति से मक्का उपज से उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
इसके लिए साल 2019-20 में जिले भर के 250 किसानों का चयन किया गया है. आधुनिक पद्धति से मक्का फसल लगाने तथा उत्पादकता वृद्धि के लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसमें मक्का बोवनी के लिए जमीन की तैयारी से लेकर कटाई एवं गहाई तक की प्रैक्टिस के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर मक्का फसल प्रर्दान प्लांट तैयार कराए गए. जिसके तहत हर किसान के यहां एक-एक एकड़ का प्रर्दान प्लाॅट तैयार कराया गया. उन्नत संकर बीज का चयन किया गया है. बीजों का उपचार किया गया है. लाइन से लाइन एवं पौधे से पौधे की निर्धारित दूरी पर बुआई संतुलित उर्वरक का निश्चित समय पर उपयोग आदि तकनीक से फसल लेकर मक्का फसल उत्पादकता में बढ़ोतरी के प्रारंभिक परिणामों में सफलता मिली है.
आधुनिक तकनीकी अपनाकर बड़ी उपज
जिले में मक्का फसल की औसत उत्पादकता 20.18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि औसत से अधिक वर्षा की स्थिति में 193 प्रर्दान प्लाटों की औसत उत्पादकता 36.07 प्रति हेक्टेयर रही है. पन्ना में उक्त मक्का फसल प्रर्दान प्लाॅट की न्यूनतम उपज 12.00 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज, मध्यम उपज 40.00 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा अधिकतम उपज 68.80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की गई. साल 2020-21 खरीफ सीजन में इन प्रर्दान प्लाॅटों की संख्या में वृद्धि करते हुए जिले के 6 विकासखंडों में 430 किसानों के यहां मक्का प्रर्दान प्लाॅट तैयार किए गए हैं.
कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा मक्का उत्पादकता वृद्धि के लिए किसानों को खेत की जुताई, बीज चयन, बीजोपचार, दवाओं और खाद के उपयोग के साथ-साथ समय-समय पर तकनीकी मार्गर्दान तथा फसल की कटाई और गहाई के समय फसल उत्पादकता के अंतर तक का मार्गर्दान प्रदान किया गया है. जिसका परिणाम यह हुआ कि उक्त किसान पारंपरिक और तकनीकी विधि से मक्का फसल से होने वाले अंतर को समझने लगे हैं. फसल उत्पादकता बढ़ने से किसानों के चेहरों पर खुशी छा गई है.
किसानों की हो रही अच्छी आमदनी
ग्राम आम्बुआ के रहने वाले किसान कालू सिंह, खरपई के गणपत सिंह, रोडधा के हिमका सहित कई किसानों ने बताया पारंपरिक के बजाए उन्नत तकनीक से मक्का फसल लेने से हमें ज्यादा लाभ हुआ. जबकि पहले के मुकाबले उन्नत तकनीक से ली गई मक्का फसल से मक्का उत्पादन में वृद्धि हुई है, आगे भी हम आधुनिक तकनीक को अपनाकर ही मक्का की फसल लेंगे.