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Vivah Panchami 2022: इस कारण विवाह पंचमी के दिन लोग नहीं करते बेटियों की शादी, जानिए वजह.. - विवाह पंचमी पर लोग विवाह नहीं करते

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी (Vivah Panchami 2022) मनाई जाती है. विवाह पंचमी को श्रीराम विवाहोत्सव (ram janki vivah) कहा जाता है, आज के दिन ही माता सीता का विवाह भगवान श्रीराम से हुआ था, बावजूद इसके आज के दिन लोग विवाह नहीं करते हैं. जानिए क्यों-

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विवाह पंचमी Etv Bharat
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Published : Nov 28, 2022, 7:58 AM IST

भोपाल। 28 नवंबर यानी आज विवाह पंचमी का शुभ मुहुर्त (Vivah Panchami shubh muhurat) है, त्रेतायुग में आज के ही दिन श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था. श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली इस तिथि को विवाह पंचमी भी कहते हैं. भगवान राम को चेतना और माता सीता को प्रकृति शक्ति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए चेतना और प्रकृति के मिलन की वजह से ही यह दिन महत्वपूर्ण हो जाता है.

कहां अशुभ माना जाता है आज का दिन: अग्रहायण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जगत जननी सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह (ram janki vivah) हुआ था. हिंदू धर्म में इस विवाह को सबसे पवित्र उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है. इस तिथि को धर्म ग्रंथों में सबसे शुभ माना जाता है. लेकिन, मिथिला में ठीक इसका उल्टा है, मिथिला में लोग अग्रहायण मास की पंचमी अर्थात विवाह पंचमी को लड़के-लड़कियों की शादी नहीं करते हैं. इसके पीछे क्या तर्क है और यह परंपरा क्यों पुराने समय से चली आ रही है, आइए जानते हैं.

इसलिए शुभ नहीं माना जाता आज का दिन: विवाह पंचमी के दिन मिथिला में पारंपरिक रूप से शादी ब्याह न होने के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं. कहा जाता है कि जगत जननी सीता (Goddess Sita) और मर्यादा पुरुषोत्तम राम (Lord Ram) का विवाह अग्रहायण मास की पंचमी को हुआ था और इस हिसाब से यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है. लेकिन मिथिला में इस तिथि को शादी ब्याह की दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता है. सीता और राम की शादी भले ही काफी पवित्र मानी जाती हो, लेकिन यह शादी सफल नहीं मानी गई थी. दरअसल, इस शादी के बाद अयोध्या और जनकपुर के राजवंशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इसमें भी सबसे ज्यादा नुकसान माता सीता को हुआ था. राजमहल में पली-बढ़ी राजकुमारी सीता जब अपनी ससुराल अयोध्या पहुंची तो उन्हें राजमहल का सुख नहीं मिला, उनके पति श्री राम को 14 साल का वनवास मिला और माता सीता भी उनके साथ चली गईं. वन में माता सीता को कई प्रकार के कष्ट सहने पड़े. दुराचारी रावण उनका हरण कर लंका ले गया और माता सीता को अशोक वाटिका में दिन-रात गुजारने पड़े. नियति का खेल यहां पर भी नहीं रुका. माता सीता जब वापस अयोध्या पहुंची तो एक धोबी के तंज कसने पर भगवान श्री राम ने माता सीता को महल से निकाल दिया और आखिरकार माता सीता को उसी धरती माता की शरण लेनी पड़ी जिससे उनका अवतरण हुआ था. विद्वानों का कहना है कि इसी वजह से मिथिला के लोग इस मुहूर्त को शुभ नहीं मानते और इस दिन पारंपरिक तौर पर शादी ब्याह नहीं होते हैं.

Aaj Ka Panchang 28 November: विवाह पंचमी तिथि आज, जानें क्या कहता है आपका नक्षत्र

दुखों और कष्टों से भरा बेटी का वैवाहिक जीवन: आज के दिन विवाह के लिए अबूझ मुहुर्त यानी सबसे शुभ मुहुर्त माना जाता है, लेकिन मिथिला के लोग आज के दिन अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते हैं. मान्यता है कि आज के दिन विवाह होने पर देवी सीता और भगवान का संपूर्ण वैवाहिक जीवन दुखों और कष्टों से भरा रहा था, इसलिए मिथिला के लोग आज के दिन अपनी बेटियों की शादी नहीं करते.

विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त:
पंचमी तिथि की शुरुआत: 27 नवंबर को शाम 4 बजकर 25 मिनट पर.
पंचमी तिथि समाप्त: 28 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर.

भोपाल। 28 नवंबर यानी आज विवाह पंचमी का शुभ मुहुर्त (Vivah Panchami shubh muhurat) है, त्रेतायुग में आज के ही दिन श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था. श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली इस तिथि को विवाह पंचमी भी कहते हैं. भगवान राम को चेतना और माता सीता को प्रकृति शक्ति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए चेतना और प्रकृति के मिलन की वजह से ही यह दिन महत्वपूर्ण हो जाता है.

कहां अशुभ माना जाता है आज का दिन: अग्रहायण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जगत जननी सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह (ram janki vivah) हुआ था. हिंदू धर्म में इस विवाह को सबसे पवित्र उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है. इस तिथि को धर्म ग्रंथों में सबसे शुभ माना जाता है. लेकिन, मिथिला में ठीक इसका उल्टा है, मिथिला में लोग अग्रहायण मास की पंचमी अर्थात विवाह पंचमी को लड़के-लड़कियों की शादी नहीं करते हैं. इसके पीछे क्या तर्क है और यह परंपरा क्यों पुराने समय से चली आ रही है, आइए जानते हैं.

इसलिए शुभ नहीं माना जाता आज का दिन: विवाह पंचमी के दिन मिथिला में पारंपरिक रूप से शादी ब्याह न होने के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं. कहा जाता है कि जगत जननी सीता (Goddess Sita) और मर्यादा पुरुषोत्तम राम (Lord Ram) का विवाह अग्रहायण मास की पंचमी को हुआ था और इस हिसाब से यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है. लेकिन मिथिला में इस तिथि को शादी ब्याह की दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता है. सीता और राम की शादी भले ही काफी पवित्र मानी जाती हो, लेकिन यह शादी सफल नहीं मानी गई थी. दरअसल, इस शादी के बाद अयोध्या और जनकपुर के राजवंशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इसमें भी सबसे ज्यादा नुकसान माता सीता को हुआ था. राजमहल में पली-बढ़ी राजकुमारी सीता जब अपनी ससुराल अयोध्या पहुंची तो उन्हें राजमहल का सुख नहीं मिला, उनके पति श्री राम को 14 साल का वनवास मिला और माता सीता भी उनके साथ चली गईं. वन में माता सीता को कई प्रकार के कष्ट सहने पड़े. दुराचारी रावण उनका हरण कर लंका ले गया और माता सीता को अशोक वाटिका में दिन-रात गुजारने पड़े. नियति का खेल यहां पर भी नहीं रुका. माता सीता जब वापस अयोध्या पहुंची तो एक धोबी के तंज कसने पर भगवान श्री राम ने माता सीता को महल से निकाल दिया और आखिरकार माता सीता को उसी धरती माता की शरण लेनी पड़ी जिससे उनका अवतरण हुआ था. विद्वानों का कहना है कि इसी वजह से मिथिला के लोग इस मुहूर्त को शुभ नहीं मानते और इस दिन पारंपरिक तौर पर शादी ब्याह नहीं होते हैं.

Aaj Ka Panchang 28 November: विवाह पंचमी तिथि आज, जानें क्या कहता है आपका नक्षत्र

दुखों और कष्टों से भरा बेटी का वैवाहिक जीवन: आज के दिन विवाह के लिए अबूझ मुहुर्त यानी सबसे शुभ मुहुर्त माना जाता है, लेकिन मिथिला के लोग आज के दिन अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते हैं. मान्यता है कि आज के दिन विवाह होने पर देवी सीता और भगवान का संपूर्ण वैवाहिक जीवन दुखों और कष्टों से भरा रहा था, इसलिए मिथिला के लोग आज के दिन अपनी बेटियों की शादी नहीं करते.

विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त:
पंचमी तिथि की शुरुआत: 27 नवंबर को शाम 4 बजकर 25 मिनट पर.
पंचमी तिथि समाप्त: 28 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर.

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