आगर मालवा। जिले में एशिया का सबसे बड़ा गौ अभयारण्य है, फिर भी जिले में गायों की काफी दुर्दशा हो रही है. गायें यहां वहां भटक रही हैं, लेकिन जिले में कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने इन गायों का जिम्मा उठा रखा है और गायों की सेवा कर रहे हैं.
खिमाखेड़ी गांव और आस पास करीब 200 से अधिक गायें दर-दर भटक रही थी और खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाती थी. जिसे देखते हुए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर गायों को पालने का निर्णय लिया. इन गायों को सुबह जंगल में चराने का काम मांगीलाल गुर्जर करते हैं. जिन्हें ग्रामीण 200 रुपये प्रति परिवार प्रतिमाह वेतन देते हैं.
इसी तरह अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी गायों का पालन पोषण होने लगे तो गौमाता को दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा. गायों को चराने वाले मांगीलाल गुर्जर ने बताया कि करीब 200 गायों का वे दिन भर ध्यान रखते हैं. गांव के लोग सहायता के रूप में मासिक वेतन भी देते हैं.