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भक्तों के मन की अशांति को दूर करती हैं शीतला माता, नवरात्रि में उमड़ रही भक्तों की भीड़

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Published : Sep 30, 2019, 12:15 PM IST

सुसनेर के मेला ग्राउण्ड में स्थित शीतला माता का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. शीतला माता श्रृद्धालुओं के मन की अशांति को दूर करती है और शीतलता प्रदान करती हैं.

अशांति को दूर करती है शीतला माता

आगर-मालवा। नवरात्रि शुरु होने के साथ ही सभी प्रमुख मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. आगर मालवा में यूं तो आस्था के अनेकों केन्द्र है, लेकिन सुसनेर के मेला ग्राउण्ड में स्थित शीतला माता का मंदिर सबसे अनूठा है. कंठाल नदी के किनारे स्थित यह मंदिर नवरात्र में श्रृद्धालुओं की अटूट आस्था का केन्द्र बना हुआ है. जहां भक्त की सच्ची श्रृद्धा से मां शीतला की मनमोहक प्रतिमा का दर्शन करने आते हैं. शीतला माता श्रृद्धालुओं के मन की अशांति को दूर करती हैं और शीतलता प्रदान करती हैं.

भक्तों के मन की अशांति को दूर करती हैं शीतला माता

नवरात्रि की पंचमी पर शीतला मैया के दरबार से 25 किलोमीटर चुनरी यात्रा निकालकर नलखेडा स्थित विश्व शक्तिपीठ मां बंगलामुखी मैया को चढ़ाई जाती है. जिसमें हजारों की संख्या में श्रृद्धालु शामिल होते हैं. पूरे नगर में एक मात्र मंदिर होने से विवाह के समय दुल्हा-दुल्हन इसी मंदिर में पूजन करते हैं. जिसके बाद ही अन्य रस्में शुरु होती हैं. माता के एकमात्र दर्शन करने से ही भक्तों की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं.

मंदिर परिसर में दूधाखेडी वाली माताजी की प्रतिमा, भेरू महाराज व तनोडिया वाली माताजी विराजमान है. वहीं गर्भगृह में ही शीतला माता के साथ गुणानी माता, मोतीसर महाराज और चामुण्डा माता के भी दर्शन होते है. पूरा गर्भगृह झिलमिलाते रंग -बिरंगे कांच की कलाकृतियों से सुसज्जित है. जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

आगर-मालवा। नवरात्रि शुरु होने के साथ ही सभी प्रमुख मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. आगर मालवा में यूं तो आस्था के अनेकों केन्द्र है, लेकिन सुसनेर के मेला ग्राउण्ड में स्थित शीतला माता का मंदिर सबसे अनूठा है. कंठाल नदी के किनारे स्थित यह मंदिर नवरात्र में श्रृद्धालुओं की अटूट आस्था का केन्द्र बना हुआ है. जहां भक्त की सच्ची श्रृद्धा से मां शीतला की मनमोहक प्रतिमा का दर्शन करने आते हैं. शीतला माता श्रृद्धालुओं के मन की अशांति को दूर करती हैं और शीतलता प्रदान करती हैं.

भक्तों के मन की अशांति को दूर करती हैं शीतला माता

नवरात्रि की पंचमी पर शीतला मैया के दरबार से 25 किलोमीटर चुनरी यात्रा निकालकर नलखेडा स्थित विश्व शक्तिपीठ मां बंगलामुखी मैया को चढ़ाई जाती है. जिसमें हजारों की संख्या में श्रृद्धालु शामिल होते हैं. पूरे नगर में एक मात्र मंदिर होने से विवाह के समय दुल्हा-दुल्हन इसी मंदिर में पूजन करते हैं. जिसके बाद ही अन्य रस्में शुरु होती हैं. माता के एकमात्र दर्शन करने से ही भक्तों की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं.

मंदिर परिसर में दूधाखेडी वाली माताजी की प्रतिमा, भेरू महाराज व तनोडिया वाली माताजी विराजमान है. वहीं गर्भगृह में ही शीतला माता के साथ गुणानी माता, मोतीसर महाराज और चामुण्डा माता के भी दर्शन होते है. पूरा गर्भगृह झिलमिलाते रंग -बिरंगे कांच की कलाकृतियों से सुसज्जित है. जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

Intro:आगर-मालवा। यूं तो क्षेत्र में आस्था के केन्द्र अनेक है, लेकिन सुसनेर के मेला ग्राउण्ड में स्थित शीतला माता का मंदिर इनमें से अनूठा है। भक्त की सच्ची श्रृद्धा मां शीतला के दरबार में मोहक प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से पूरी हो जाती है। यहां मां श्रृद्धाुलओ के मन की उद्धिग्नता शांत करती है और शीतलता का आभास कराती है। कंठाल नदी किनारे स्थित शीतला मैया का यह मंदिर नवरात्र में श्रृद्धालुओ की अटूट आस्था का केन्द्र बना हुआ है। पूरे नगर में एक मात्र मंदिर होने से विवाह के समय इसी मंदिर में दुल्हा-दुल्हन के द्वारा माता पुजन की जाती है। मातारानी के आर्शीवाद से ही युवक-युवतीयों का ब्याह सम्पन्न होता है।Body:मंदिर के पूजारी पंडित जगदीशानंद जोशी के सानिध्य में प्रतिवर्ष नवरात्रि की पंचमी पर शीतला मैया के दरबार से 25 किलोमीटर पद चुनर यात्रा निकालकर नलखेडा स्थित विश्व शक्तिपीठ मां बंगलामुखी मैया को चढाई जाती है। जिसमें हजारो की संख्या में क्षेत्र के श्रृद्धालु शामिल होते है। नवरात्र के चलते कोई भक्त सुबह शाम तो कोई दिन भर माता के दरबार में रहकर आदिशक्ति की आराधना कर रहा है। तो वही कुछ श्रृद्धालु इस भीषण गर्मी में भी नंगे पेर रहकर और व्रत व उपवास रखकर शक्ति की भक्ति में लीन है।

आकर्षक है गर्भगृह की सजावट

शीतला माता मंदिर में आकर्षक कांच के दर्पण से की गई गर्भगृह की सजावट लोगो का मन मोह लेती है। यहां मां शीतला की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन करने और अपनी मन्नत मांगने के लिए दूर- दूर से श्रृद्धालु आ रहे है। पूरा गर्भगृह झिलमिलाते रंग -बिरंगे कांच की कलाकृतियो से सुसज्जित है।Conclusion:मां के आर्शीवाद से ही पूरा होता है विवाह
नगरीय क्षेत्र में हिन्दू परम्परा के अनुसार होना वाला कोई भी विवाह मां शीतला के आर्शीवाद के बिना पूरा नही होता है। विवाह से पूर्व दुल्हा-दुल्हन का माता पूजन इसी मंदिर में किया जाता है। उसके बाद ही विवाह की अन्य रस्में शुरू हुोती है।

इनके भी होते है दर्शन

इस मंदिर के गर्भगृह में ही शीतला माता के साथ गुणानी माता, मोतीसर महाराज और चामुण्डा माता भी विराजमान है। साथ मंदिर परिसर में दूधाखेडी वाली माताजी की प्रतिमा, भेरू महाराज व तनोडिया वाली माताजी के भी दर्शन होते है।

िवज्युअल- शीतला माता मंदिर, आकर्षक प्रतिमा, मंदिर परिसर, शिखर व पुजा करते हुएं श्रद्धालु।
बाईट- महेंद्र मीणा, सामाजिक कार्यकर्ता
बाईट- दिलीप जैन, श्रद्धालु सुसनेर।
बाईट- पंडित जगदीशानंद जोशी, पुजारी शीतला माता मंदिर, सुसनेर।
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